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पौराणिक मृकुला देवी मंदिर की नक्काशी बदलने का मामला, केंद्र सरकार की रिपोर्ट के बाद आर्कियोलॉजी अधीक्षक हाईकोर्ट तलब

लाहौल स्पीति जिला के उदयपुर स्थित पौराणिक मां मृकुला देवी मंदिर की नक्काशी बदलने (Mrikula Devi temple in Lahaul) की सूचना का हाईकोर्ट ने सख्त संज्ञान लिया है. नक्काशी बदलने के मामले में हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High court) ने आर्कियोलाजी अधीक्षक को तलब किया है. न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अधीक्षक को स्पष्टीकरण देने के लिए सोमवार 17 अक्टूबर को अदालत में तलब किया है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Pradesh High court
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Published : Oct 15, 2022, 8:05 PM IST

शिमला: हिमाचल में लाहौल स्पीति जिला के उदयपुर स्थित पौराणिक मां मृकुला देवी मंदिर की नक्काशी बदलने (Mrikula Devi temple in Lahaul) की सूचना का हाईकोर्ट ने सख्त संज्ञान लिया है. नक्काशी बदलने के मामले में हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High court) ने आर्कियोलाजी अधीक्षक को तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अधीक्षक को स्पष्टीकरण देने के लिए सोमवार 17 अक्टूबर को अदालत में तलब किया है. खंडपीठ ने अधीक्षक को सोमवार को अदालत में पेश होने का आदेश जारी किया है.

इस मामले में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट के माध्यम से केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि मंदिर के जीर्णोद्घार के लिए ठेकेदार को काम सौंपा गया है. मंदिर की मुरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है. इस मामले में एमिक्स क्यूरी यानी कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि मुरम्मत करते समय मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदली जा रही है. मंदिर के अंदर के हिस्से की मरम्मत नहीं की गई है. अंदर से मंदिर की दीवारों में दरारें आ चुकी हैं. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंदिर को मरम्मत के लिए ठेकेदार के हवाले किया है.

मंदिर के पौराणिक महत्व से अनजान ठेकेदार अपनी मर्जी से मरम्मत कार्य कर रहा है. इससे मंदिर की पौराणिक नक्काशी नष्ट हो रही है. अदालत ने मंदिर भवन के जीर्णोद्धार के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) को विशेष टीम गठित करने के आदेश जारी किए थे. वहीं, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) कुल्लू की तरफ से अदालत में बताया गया है कि मंदिर के दोनों हिस्सों के बीच की छत झुकी हुई है और कभी भी गिर सकती है. लकड़ी का एक पुराना खंभा फट रहा है. छत का बाहरी हिस्सा भी गिर रहा है, मंदिर में पूर्व में किया गया रंग पुरातत्व विभाग ने फिर से यानी नए सिरे से रंगने के लिए हटा दिया था, लेकिन उसके बाद मंदिर को बिल्कुल भी रंग नहीं किया गया है.

उन्होंने आगे कहा है कि उक्त मंदिर की सुरक्षा वर्ष 1989 में पुरातत्व विभाग ने अपने हाथ में ले ली थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता वंदना मिश्रा ने माता मृकुला देवी मंदिर की कई तस्वीरें प्रस्तुत की थी, जिससे पता चलता है कि मंदिर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है. मंदिर की छत अस्थायी रूप से लकड़ी के तख्तों के उपयोग से टिकाई गई है. मंदिर की चारों तरफ की दीवारों में दरारें हैं. प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है. कोर्ट मित्र ने मंदिर के पुजारी के साथ जो बातचीत की, उसके अनुसार अगर तत्काल मरम्मत नहीं की गई तो यह मंदिर कभी भी गिर सकता है. अब मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदलने को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है.

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शिमला: हिमाचल में लाहौल स्पीति जिला के उदयपुर स्थित पौराणिक मां मृकुला देवी मंदिर की नक्काशी बदलने (Mrikula Devi temple in Lahaul) की सूचना का हाईकोर्ट ने सख्त संज्ञान लिया है. नक्काशी बदलने के मामले में हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High court) ने आर्कियोलाजी अधीक्षक को तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने अधीक्षक को स्पष्टीकरण देने के लिए सोमवार 17 अक्टूबर को अदालत में तलब किया है. खंडपीठ ने अधीक्षक को सोमवार को अदालत में पेश होने का आदेश जारी किया है.

इस मामले में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट के माध्यम से केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि मंदिर के जीर्णोद्घार के लिए ठेकेदार को काम सौंपा गया है. मंदिर की मुरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है. इस मामले में एमिक्स क्यूरी यानी कोर्ट मित्र ने अदालत को बताया कि मुरम्मत करते समय मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदली जा रही है. मंदिर के अंदर के हिस्से की मरम्मत नहीं की गई है. अंदर से मंदिर की दीवारों में दरारें आ चुकी हैं. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने मंदिर को मरम्मत के लिए ठेकेदार के हवाले किया है.

मंदिर के पौराणिक महत्व से अनजान ठेकेदार अपनी मर्जी से मरम्मत कार्य कर रहा है. इससे मंदिर की पौराणिक नक्काशी नष्ट हो रही है. अदालत ने मंदिर भवन के जीर्णोद्धार के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) को विशेष टीम गठित करने के आदेश जारी किए थे. वहीं, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) कुल्लू की तरफ से अदालत में बताया गया है कि मंदिर के दोनों हिस्सों के बीच की छत झुकी हुई है और कभी भी गिर सकती है. लकड़ी का एक पुराना खंभा फट रहा है. छत का बाहरी हिस्सा भी गिर रहा है, मंदिर में पूर्व में किया गया रंग पुरातत्व विभाग ने फिर से यानी नए सिरे से रंगने के लिए हटा दिया था, लेकिन उसके बाद मंदिर को बिल्कुल भी रंग नहीं किया गया है.

उन्होंने आगे कहा है कि उक्त मंदिर की सुरक्षा वर्ष 1989 में पुरातत्व विभाग ने अपने हाथ में ले ली थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता वंदना मिश्रा ने माता मृकुला देवी मंदिर की कई तस्वीरें प्रस्तुत की थी, जिससे पता चलता है कि मंदिर जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है. मंदिर की छत अस्थायी रूप से लकड़ी के तख्तों के उपयोग से टिकाई गई है. मंदिर की चारों तरफ की दीवारों में दरारें हैं. प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है. कोर्ट मित्र ने मंदिर के पुजारी के साथ जो बातचीत की, उसके अनुसार अगर तत्काल मरम्मत नहीं की गई तो यह मंदिर कभी भी गिर सकता है. अब मंदिर की पौराणिक नक्काशी बदलने को लेकर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है.

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