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वॉक-इन-इंटरव्यू में सिलेक्ट डॉक्टर्स को दो हफ्ते में जारी करें नियुक्ति पत्र, मनमानी नहीं कर सकती सरकार: हाई कोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया से सिलेक्ट डॉक्टर्स को दो हफ्ते में नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए गए हैं. पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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Published : Nov 26, 2022, 8:04 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया से सिलेक्ट डॉक्टर्स को दो हफ्ते में नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने सरकार पर सख्त टिप्पणी भी की है. न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वो मनमानी नहीं कर सकती. अदालत ने 7 दिसंबर 2021 को आयोजित वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया में चयनित प्रार्थी डॉक्टर्स को 2 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने आदेश दिए. खंडपीठ ने कहा कि सरकार बिना किसी ठोस कारण के पात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी करने से इंकार नहीं कर सकती.

मामले के अनुसार 29 नवम्बर 2021 को स्वास्थ्य विभाग ने कांट्रेक्ट आधार पर वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से डॉक्टर्स के 81 पद भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए. प्रार्थी डॉक्टर्स सहित कुल 450 डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया में भाग लिया. साक्षात्कार के बाद 76 डॉक्टरों की मेरिट लिस्ट तैयार की गई. अदालत पहुंचे प्रार्थियों के नाम भी उस लिस्ट में शामिल थे, परंतु विभाग ने 1 फरवरी 2022 को केवल 43 डॉक्टरों को ही नियुक्ति पत्र जारी किए. प्रार्थियों का नम्बर 43 डॉक्टरों के बाद था इसलिए उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए. सरकार का कहना था कि विभाग में 114 डॉक्टर सरप्लस है. हाईकोर्ट ने पाया कि विभाग और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों का कैडर अलग-अलग है.

स्वास्थ्य मंत्री ने भी विधान सभा में 81 डॉक्टरों के पद खाली होने की बात करते हुए शीघ्र ही इन्हें भरने का भरोसा दिया था. इसलिए डॉक्टरों के सरप्लस होने की बात गलत पाई गई. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने भी कैबिनेट मीटिंग में कहा था कि प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 500 डॉक्टरों के पद और भरे जाएंगे. इस तरह 11 अप्रैल 2022 को 114 डॉक्टरों के पद स्वीकृत किए गए.

वहीं, 30 सितम्बर 2022 को 300 डॉक्टरों के पद सृजित किए गए. प्रार्थियों का आरोप था कि सरकार का यह कहना गलत है कि 81 पदों के खिलाफ केवल 43 पद ही भरे जाने थे, क्योंकि 21 जुलाई 2022 को दो सालों के लिए 106 अस्थाई डॉक्टरों की भर्तियां की गई. कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए सरकार को आदेश दिए कि दो हफ्ते के भीतर प्रार्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करे. अदालत ने ये भी आदेश जारी किए हैं कि सरकार आगामी 30 दिसंबर को आदेश से संबंधित अनुपालना रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे.

ये भी पढ़ें- क्या होता है हॉर्स ट्रेडिंग का मतलब? कहां से आया? हिमाचल में कांग्रेस को भी डर

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया से सिलेक्ट डॉक्टर्स को दो हफ्ते में नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने सरकार पर सख्त टिप्पणी भी की है. न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वो मनमानी नहीं कर सकती. अदालत ने 7 दिसंबर 2021 को आयोजित वॉक-इन-इंटरव्यू प्रक्रिया में चयनित प्रार्थी डॉक्टर्स को 2 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने आदेश दिए. खंडपीठ ने कहा कि सरकार बिना किसी ठोस कारण के पात्र उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी करने से इंकार नहीं कर सकती.

मामले के अनुसार 29 नवम्बर 2021 को स्वास्थ्य विभाग ने कांट्रेक्ट आधार पर वॉक-इन-इंटरव्यू के माध्यम से डॉक्टर्स के 81 पद भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए. प्रार्थी डॉक्टर्स सहित कुल 450 डॉक्टरों ने इस प्रक्रिया में भाग लिया. साक्षात्कार के बाद 76 डॉक्टरों की मेरिट लिस्ट तैयार की गई. अदालत पहुंचे प्रार्थियों के नाम भी उस लिस्ट में शामिल थे, परंतु विभाग ने 1 फरवरी 2022 को केवल 43 डॉक्टरों को ही नियुक्ति पत्र जारी किए. प्रार्थियों का नम्बर 43 डॉक्टरों के बाद था इसलिए उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए. सरकार का कहना था कि विभाग में 114 डॉक्टर सरप्लस है. हाईकोर्ट ने पाया कि विभाग और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों का कैडर अलग-अलग है.

स्वास्थ्य मंत्री ने भी विधान सभा में 81 डॉक्टरों के पद खाली होने की बात करते हुए शीघ्र ही इन्हें भरने का भरोसा दिया था. इसलिए डॉक्टरों के सरप्लस होने की बात गलत पाई गई. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने भी कैबिनेट मीटिंग में कहा था कि प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 500 डॉक्टरों के पद और भरे जाएंगे. इस तरह 11 अप्रैल 2022 को 114 डॉक्टरों के पद स्वीकृत किए गए.

वहीं, 30 सितम्बर 2022 को 300 डॉक्टरों के पद सृजित किए गए. प्रार्थियों का आरोप था कि सरकार का यह कहना गलत है कि 81 पदों के खिलाफ केवल 43 पद ही भरे जाने थे, क्योंकि 21 जुलाई 2022 को दो सालों के लिए 106 अस्थाई डॉक्टरों की भर्तियां की गई. कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए सरकार को आदेश दिए कि दो हफ्ते के भीतर प्रार्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करे. अदालत ने ये भी आदेश जारी किए हैं कि सरकार आगामी 30 दिसंबर को आदेश से संबंधित अनुपालना रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे.

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