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शिक्षा विभाग का प्रदेश के स्कूल प्रबंधन को अल्टिमेटम, बच्चों की सुरक्षा व सुविधा का रखें विशेष ख्याल - नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइंस

स्कूल प्रबंधन की ही जिम्मेदारी होगी कि वह इस बात को भी देखें कि छात्रों को घर में भी पौष्टिक आहार मिल रहा है या नहीं. अठारह वर्ष तक छात्र व छात्राओं की सुरक्षा व बचाव स्कूल प्रबंधन के हाथों में है जिन्हें उसे पूरा करना होगा.

himachal pradesh education department
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Published : Jul 11, 2019, 8:39 AM IST

शिमला: शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइंस स्कूल पॉलिसी 2016, नेशनल पॉलिसी ऑन चिल्ड्रेन 2013 के नियमों का पालन करने के निर्देश जारी किए गए हैं. प्रदेश के स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल प्रबंधन का होगा. स्कूल प्रबंधन को ही छात्रों की स्कूल परिसर और इसके बाहर भी सुरक्षा का जिम्मा उठाना होगा. छात्रों को सुरक्षित भवन मुहैया करवाने के साथ ही उनकी हर गतिविधि पर नजर रखनी होगी.

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शिक्षा विभाग ने जिला उपनिदेशकों को इस बारे में निर्देश जारी कर स्कूल प्रधानाचार्यों को अवगत करवाने को कहा है. शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि छात्रों की सुरक्षा व बचाव को लेकर स्कूल के भवन सुरक्षित है या नहीं यह देखने के साथ ही छात्र स्कूल के बाहर कहां जाते हैं, वह सुरक्षित रूप से घर तक पहुंच रहे हैं या नहीं इन सभी पहलुओं पर भी अब स्कूल प्रबंधन को ही ध्यान देना होगा. पॉलिसी के प्रावधान के तहत स्कूलों क छोटी उम्र से ही छात्रों का शारीरिक विकास सही ढंग से हो रहा है, या नहीं इसके लिए भी वह क्या खा रहे इस पर ध्यान देना होगा.

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बता दें कि नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्डराइट ने छात्रों की सुरक्षा व बचाव के लिए सरकारी और निजी स्कूलों को भी इस दायरे में लाया है. इसके तहत यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह का हादसा चाहे वो स्कूल में होता है या स्कूल बस में स्कूल समय के दौरान या उसके बाद होता है तो बच्चों की जिम्मेदारी स्कूल की है. अगर वह इसे नहीं निभाते है और उनकी वजह से बच्चे को दिक्कत आती है तो यह जुविनाइल जस्टिस एक्ट 2015 का उल्लंघन माना जाएगा.

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इसके साथ ही 17 अगस्त 2017 को हाइकोर्ट की ओर से छात्रों के बचाव और सुरक्षा को लेकर दिए गए निर्देशों का भी स्कूलों को पालन करना होगा. इसके तहत शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि स्कूल छात्रों को स्कूल लाने के लिए अपनी बसें उपलब्ध करवाने के साथ ही अभिभावकों को अपने बच्चों को अलग-अलग गाड़ियों में ना ले जा कर गाड़ी शेयर कर बच्चों को स्कूल पहुंचांए जिससे कि सड़कों पर गाड़ियों के बेतरतीब ढंग से खड़े करने के साथ ही ट्रैफिक की समस्या का भी समाधान हो सकेगा.

शिमला: शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइंस स्कूल पॉलिसी 2016, नेशनल पॉलिसी ऑन चिल्ड्रेन 2013 के नियमों का पालन करने के निर्देश जारी किए गए हैं. प्रदेश के स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल प्रबंधन का होगा. स्कूल प्रबंधन को ही छात्रों की स्कूल परिसर और इसके बाहर भी सुरक्षा का जिम्मा उठाना होगा. छात्रों को सुरक्षित भवन मुहैया करवाने के साथ ही उनकी हर गतिविधि पर नजर रखनी होगी.

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शिक्षा विभाग ने जिला उपनिदेशकों को इस बारे में निर्देश जारी कर स्कूल प्रधानाचार्यों को अवगत करवाने को कहा है. शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि छात्रों की सुरक्षा व बचाव को लेकर स्कूल के भवन सुरक्षित है या नहीं यह देखने के साथ ही छात्र स्कूल के बाहर कहां जाते हैं, वह सुरक्षित रूप से घर तक पहुंच रहे हैं या नहीं इन सभी पहलुओं पर भी अब स्कूल प्रबंधन को ही ध्यान देना होगा. पॉलिसी के प्रावधान के तहत स्कूलों क छोटी उम्र से ही छात्रों का शारीरिक विकास सही ढंग से हो रहा है, या नहीं इसके लिए भी वह क्या खा रहे इस पर ध्यान देना होगा.

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बता दें कि नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्डराइट ने छात्रों की सुरक्षा व बचाव के लिए सरकारी और निजी स्कूलों को भी इस दायरे में लाया है. इसके तहत यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह का हादसा चाहे वो स्कूल में होता है या स्कूल बस में स्कूल समय के दौरान या उसके बाद होता है तो बच्चों की जिम्मेदारी स्कूल की है. अगर वह इसे नहीं निभाते है और उनकी वजह से बच्चे को दिक्कत आती है तो यह जुविनाइल जस्टिस एक्ट 2015 का उल्लंघन माना जाएगा.

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इसके साथ ही 17 अगस्त 2017 को हाइकोर्ट की ओर से छात्रों के बचाव और सुरक्षा को लेकर दिए गए निर्देशों का भी स्कूलों को पालन करना होगा. इसके तहत शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए हैं कि स्कूल छात्रों को स्कूल लाने के लिए अपनी बसें उपलब्ध करवाने के साथ ही अभिभावकों को अपने बच्चों को अलग-अलग गाड़ियों में ना ले जा कर गाड़ी शेयर कर बच्चों को स्कूल पहुंचांए जिससे कि सड़कों पर गाड़ियों के बेतरतीब ढंग से खड़े करने के साथ ही ट्रैफिक की समस्या का भी समाधान हो सकेगा.

Intro:प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल प्रबंधन का होगा। स्कूल प्रबंधन को ही छात्रों की स्कूल परिसर और इसके बाहर भी सुरक्षा का जिम्मा उठाना होगा। छात्रों को सुरक्षित भवन मुहैया करवाने के साथ ही उनकी हर गतिविधि पर नज़र रखनी होगी।शिक्षा विभाग की ओर से यह निर्देश जारी किए गए है कि स्कूलों को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइंस स्कूल पॉलिसी 2016, नेशनल पॉलिसी ऑन चिल्ड्रन 2013 के नियमों का पालन करने के निर्देश जारी किए गए। शिक्षा विभाग ने जिला उपनिदेशकों को इस बारे में निर्देष जारी कर स्कूल प्रधानाचार्यो को अवगत करवाने को कहा है।

Body:शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए है कि छात्रों की सुरक्षा व बचाव को लेकर स्कूल के भवन सुरक्षित है या नहीं यह देखने के साथ ही छात्र स्कूल के बाहर कहां जाते है, वह सुरक्षित रूप से घर तक पहुंच रहे है या नहीं इन सभी पहलुओं पर भी अब स्कूल प्रबंधन को ही ध्यान देना होगा। पॉलिसी के प्रावधान के तहत स्कूलों क छोटी उम्र से ही छात्रों का शारीरिक विकास सही ढंग से हो रहा है, या नहीं इसके लिए भी वह क्या खा रहे इस पर ध्यान देना होगा। स्कूल प्रबंधन की ही जिम्मेवारी होगी कि वह इस बात को भी देखें कि छात्रों को घर में भी पोष्टिक आहार मिल रहा है या नहीं। कुल मिलाकर अठारह वर्ष तक छात्र व छात्राओं की सुरक्षा व बचाव स्कूल प्रबंधन के हाथों में है जिन्हें उसे पूरा करना होगा। Conclusion:बता दे कि नेशनल कमीशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्डराइट ने छात्रों की सुरक्षा व बचाव के लिए सरकारी ओर निजी स्कूलों को भी इस दायरें में लाया है। इसके तहत यह भी कहा गया है कि किसी भी तरह का हादसा चाहे वो स्कूल में होता है या स्कूल बस में स्कूल समय के दौरान या उसके बाद होता है तो बच्चों की जिम्मेवारी स्कूल की है। अगर वह इसे नहीं निभाते है और उनकी वजह से बच्चे को दिक्कत आती है तो यह जुविनाइल जस्टिस एक्ट 2015 का उल्लंघन माना जाएगा। इसके साथ ही 17 अगस्त 2017 को हाइकोर्ट की ओर से छात्रों के बचाव और सुरक्षा को लेकर दिए गए निर्देशों का भी स्कूलों को पालन करना होगा। इसके तहत शिक्षा विभाग ने निर्देश दिए है कि स्कूल छात्रों को स्कूल लाने के लिए अपनी बसें उपलब्ध करवाने के साथ ही अभिभावकों को अपने बच्चों को अलग-अलग गाड़ियों में ना ले जा कर गाड़ी शेयर कर बच्चों को स्कूल पहुंचाए जिससे कि सड़कों पर गाड़ियों के बेतरतीब ढंग से खड़े करने के साथ ही ट्रैफिक की समस्या का भी समाधान हो सकेगा।
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