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प्लास्टिक से संबंधित इकाइयां ईपीआर पोर्टल पर करें रजिस्ट्रेशन, नहीं तो होगी कार्रवाई

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Published : Feb 16, 2023, 7:54 PM IST

आज प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन यानी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट की समीक्षा को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बैठक की गई. जिसकी अध्यक्षता राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने की. बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए.

प्लास्टिक से संबंधित इकाइयां ईपीआर पोर्टल पर करें रजिस्ट्रेशन
प्लास्टिक से संबंधित इकाइयां ईपीआर पोर्टल पर करें रजिस्ट्रेशन

शिमला: प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट के तहत प्लास्टिक उत्पादकों सहित इससे जुड़ी इकाइयों को ईपीआर यानि विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (एक्टेंडिंड प्रोडयूसर्स रिस्पांसिबिलिटी) ईपीआर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. ताकि इससे वेस्ट का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके. लेकिन अधिकतर लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इसके चलते हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बारे में निर्देश जारी किए हैं. दरअसल हिमाचल प्रदेश में आज प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन यानी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट की समीक्षा को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बैठक की गई.

बैठक की अध्यक्षता राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने की. इस बैठक में ये निर्देश जारी किए गए हैं. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नोटिफाई किए गए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 के प्रावधानों को हिमाचल में लागू करने की समीक्षा भी की गई. इस एक्ट को लागू करने का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक वेस्ट का समुचित प्रबंधन करना है जो कि पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है.

प्लास्टिक से संबंधित सारा विवरण देना है जरूरी- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों और अपशिष्ट संसाधकों (वेस्ट प्रोसेसरों) के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व यानी ईपीआर पोर्टल बनाया गया है. इन सभी को इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. रजिस्ट्रेशन के दौरान प्लास्टिक उत्पादों की मात्रा, आयात अथवा बेचे गए उत्पादों का ब्यौरा और इसके प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होती है. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त इन अपशिष्टों के एकत्रीकरण, पृथक्करण, पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग), पुनः उपयोग और निस्तारण का लक्ष्य भी इन्हें हासिल करना है.

30 जून तक सालाना विवरण देना सुनिश्चित करें- प्रदूषण बोर्ड ने उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों से कहा गया है कि वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अथवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समिति के समक्ष 30 जून तक निर्धारित प्रपत्र पर एक साल का विवरण दें. ईपीआर लक्ष्यों का मकसद प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों की और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है.

हिमाचल में 800 इकाइयां प्लास्टिक कारोबार से जुड़ी हुई- बैठक में बताया गया कि प्रदेश में प्लास्टिक उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों व रिसाइकलरों को मिलाकर लगभग 800 प्लास्टिक वेस्ट पैकेजिंग इकाइयां क्रियाशील हैं और इनमें से अभी केवल 84 इकाइयों ने ही ईपीआर पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आवेदन किया है.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी इकाइयों का भी ईपीआर पोर्टल पर पंजीकृत करना सुनिश्चित करवाएं. इसके तहत प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्टों के एकत्रीकरण, पृथक्करण और संसाधकों (रिसाइकलरों) तक इन अपशिष्टों के परिवहन और प्लास्टिक अपशिष्टों के निस्तारण और खरीद अनुबंध आदि का विवरण देना होगा. अगर प्लास्टिक वेस्ट राज्य से बाहर संसाधकों को भेजे जाते हैं, तो इसका भी पूरा ब्यौरा दिया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: अनिल कुमार होंगे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के विधानसभा क्षेत्र नादौन सेल के OSD

शिमला: प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट के तहत प्लास्टिक उत्पादकों सहित इससे जुड़ी इकाइयों को ईपीआर यानि विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (एक्टेंडिंड प्रोडयूसर्स रिस्पांसिबिलिटी) ईपीआर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. ताकि इससे वेस्ट का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके. लेकिन अधिकतर लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इसके चलते हिमाचल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बारे में निर्देश जारी किए हैं. दरअसल हिमाचल प्रदेश में आज प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन यानी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट की समीक्षा को लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बैठक की गई.

बैठक की अध्यक्षता राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने की. इस बैठक में ये निर्देश जारी किए गए हैं. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नोटिफाई किए गए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 के प्रावधानों को हिमाचल में लागू करने की समीक्षा भी की गई. इस एक्ट को लागू करने का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक वेस्ट का समुचित प्रबंधन करना है जो कि पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है.

प्लास्टिक से संबंधित सारा विवरण देना है जरूरी- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों और अपशिष्ट संसाधकों (वेस्ट प्रोसेसरों) के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व यानी ईपीआर पोर्टल बनाया गया है. इन सभी को इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है. रजिस्ट्रेशन के दौरान प्लास्टिक उत्पादों की मात्रा, आयात अथवा बेचे गए उत्पादों का ब्यौरा और इसके प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होती है. प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आधारभूत ढांचा उपलब्ध करवाने के अतिरिक्त इन अपशिष्टों के एकत्रीकरण, पृथक्करण, पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग), पुनः उपयोग और निस्तारण का लक्ष्य भी इन्हें हासिल करना है.

30 जून तक सालाना विवरण देना सुनिश्चित करें- प्रदूषण बोर्ड ने उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों से कहा गया है कि वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अथवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या प्रदूषण नियंत्रण समिति के समक्ष 30 जून तक निर्धारित प्रपत्र पर एक साल का विवरण दें. ईपीआर लक्ष्यों का मकसद प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों की और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है.

हिमाचल में 800 इकाइयां प्लास्टिक कारोबार से जुड़ी हुई- बैठक में बताया गया कि प्रदेश में प्लास्टिक उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों व रिसाइकलरों को मिलाकर लगभग 800 प्लास्टिक वेस्ट पैकेजिंग इकाइयां क्रियाशील हैं और इनमें से अभी केवल 84 इकाइयों ने ही ईपीआर पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आवेदन किया है.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी इकाइयों का भी ईपीआर पोर्टल पर पंजीकृत करना सुनिश्चित करवाएं. इसके तहत प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्टों के एकत्रीकरण, पृथक्करण और संसाधकों (रिसाइकलरों) तक इन अपशिष्टों के परिवहन और प्लास्टिक अपशिष्टों के निस्तारण और खरीद अनुबंध आदि का विवरण देना होगा. अगर प्लास्टिक वेस्ट राज्य से बाहर संसाधकों को भेजे जाते हैं, तो इसका भी पूरा ब्यौरा दिया जाना चाहिए.

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