शिमला: अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण की अवधि बढ़ाने के लिए संसद में पारित बिल पर चर्चा का उत्तर देते हुए सीएम जयराम ने कहा कि हर चीज को राजनीतिक लाभ की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए. यह विधेयक ना केंद्र ने राजनीतिक दृष्टि से लाया है ना ही इस विधानसभा में राजनीतिक दृष्टि से लाया गया है. मुख्यमंत्री कहा कि हमने सोचा था इस बिल पर कोई दो राय नहीं है. इसलिए हमने आगे के कार्यक्रम तय किए थे. बता दें कि आज हिमाचल विधानसभा का विशेष सत्र मेंं एससी एसटी आरक्षण को मंजूरी दे दी गई है.
इस प्रकार की चर्चा से एक दिन की खबर बन सकती है, लेकिन अगर कांग्रेस यह माने की आरक्षण पर इस प्रकार की चर्चा से कोई लाभ उनको मिलने वाला है तो यह उनकी भूल है. उन्होंने कहा कि जिस गंभीरता से विधानसभा में चर्चा की जा रही है, अगर उस गंभीरता से जमीनी स्तर पर भी काम किया जाए तो सामाजिक भेदभाव की समस्या ही खत्म हो जाएगी. प्रदेश में आज भी सामाजिक भेदभाव की परिस्थिति है इस बात को सबको स्वीकर कर लेनी चाहिेए. उन्होंने कहा कि सामाजिक भेवभाव को केवल कानून की सहायता से खत्म नहीं किया जा सकता. सामाजिक तौर पर भी कदम उठाए जाने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कुल जनसंख्या के हिसाब से 21 प्रतिशत बजट एससी वर्ग के उत्थान के लिए रखा गया है.
इसके अलावा एसटी वर्ग के लिए जनसंख्या के हिसाब से ही बजट का प्रावधान किया गया है, लेकिन सामाजिक तौर पर अभी भी इससे अधिक काम करने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सामाजिक तौर पर भेदभाव में कमी आई है, लेकिन आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी आज सामाजिक भेदभाव खत्म होना चाहिए था और आज के दौर में आरक्षण की जरूरत ही महसूस नहीं होनी चाहिेए थी, लेकिन जिस प्रकार से आज तक का शासन हुआ है आज भी आरक्षण की जरूरत है इसलिए केंद्र सरकार ने यह बिल लाया है 50 प्रतिशत से अधिक विधानसभाएं इसको पास कर संसद भेज रही हैं.
विपक्ष द्वारा आरएसएस पर उठाए सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1963 की परेड में नेहरू ने ही आरएसएस के लोगों को विशेष तौर पर शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया था. इसके अलावा सामाजिक समरस्ता संघ का मुख्य एजेंडा है. इसलिए इस प्रकार के सवाल संघ पर खड़े करना गलत होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बिल की आवश्यकता हमारे सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए है इसलिए यह बिल पास किया जाना जरूरी था.
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