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एमसी शिमला की वोटर्स लिस्ट में अन्य विधानसभा से जुड़े Voters को रोकने वाले प्रावधान को चुनौती, सुनवाई टली - himachal high court news

नगर निगम शिमला की मतदाता सूची में बाहरी विधानसभा के वोटरों को रोकने वाले प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 2 जनवरी 2023 तक टल गई है. पढ़ें पूरा मामला...

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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो).
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Published : Dec 26, 2022, 9:55 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में नगर निगम शिमला की मतदाता सूची में बाहरी विधानसभा के वोटरों को रोकने वाले प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 2 जनवरी 2023 तक टल गई है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष कुणाल वर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

याचिका के अनुसार शहरी विकास विभाग ने 9 मार्च, 2022 को अधिसूचना जारी की थी. इस संदर्भ में जारी आदेश के लागू होने से शिमला नगर निगम के 20000 से अधिक मतदाता प्रभावित होंगे और उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा. नगर निगम शिमला का नगर क्षेत्र राज्य विधान सभा क्षेत्रों के तीन खंडों अर्थात शिमला शहरी, कसुम्पटी, शिमला ग्रामीण तक फैला हुआ है.

एमसी शिमला का वर्तमान कार्यकाल 18 जून 2022 को समाप्त हो गया था. प्रार्थी का कहना है कि वो शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहता था, लेकिन सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर उसे एमसी, शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. प्रार्थी का आरोप है कि ऐसा पहली बार किया गया है.

इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई मतदाता उस विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो एमसी शिमला का हिस्सा नहीं है, तो उसे एमसी में निर्वाचक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाएगा. यह अधिसूचना जारी करके सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव नियम, 2012 के नियम 14, 16 और 26 में संशोधन किया है, जिससे अन्य विधायी निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचकों को नगर निगम के मतदाता होने से रोक दिया गया है, जो एमसी क्षेत्र का हिस्सा नही है.

यह अधिसूचना उस नागरिक के नगर निगम क्षेत्र में वोट देने के संवैधानिक और वैधानिक अधिकार को खत्म करती है जो नगर निगम का सामान्य निवासी होने के साथ साथ किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र का मतदाता भी है. प्रार्थी का आरोप है कि विवादित अधिसूचना जारी करने की पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी ढंग से की गई है और संबंधित मतदाता की आपत्तियां भी आमंत्रित नहीं की गई है. मामले की सुनवाई अब अगले साल जनवरी में होगी.

ये भी पढ़ें- हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के सारे कार्यों पर रोक, SIT गठित

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में नगर निगम शिमला की मतदाता सूची में बाहरी विधानसभा के वोटरों को रोकने वाले प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 2 जनवरी 2023 तक टल गई है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष कुणाल वर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई.

याचिका के अनुसार शहरी विकास विभाग ने 9 मार्च, 2022 को अधिसूचना जारी की थी. इस संदर्भ में जारी आदेश के लागू होने से शिमला नगर निगम के 20000 से अधिक मतदाता प्रभावित होंगे और उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा. नगर निगम शिमला का नगर क्षेत्र राज्य विधान सभा क्षेत्रों के तीन खंडों अर्थात शिमला शहरी, कसुम्पटी, शिमला ग्रामीण तक फैला हुआ है.

एमसी शिमला का वर्तमान कार्यकाल 18 जून 2022 को समाप्त हो गया था. प्रार्थी का कहना है कि वो शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहता था, लेकिन सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर उसे एमसी, शिमला की मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. प्रार्थी का आरोप है कि ऐसा पहली बार किया गया है.

इस प्रावधान के अनुसार यदि कोई मतदाता उस विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो एमसी शिमला का हिस्सा नहीं है, तो उसे एमसी में निर्वाचक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाएगा. यह अधिसूचना जारी करके सरकार ने हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव नियम, 2012 के नियम 14, 16 और 26 में संशोधन किया है, जिससे अन्य विधायी निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचकों को नगर निगम के मतदाता होने से रोक दिया गया है, जो एमसी क्षेत्र का हिस्सा नही है.

यह अधिसूचना उस नागरिक के नगर निगम क्षेत्र में वोट देने के संवैधानिक और वैधानिक अधिकार को खत्म करती है जो नगर निगम का सामान्य निवासी होने के साथ साथ किसी अन्य विधानसभा क्षेत्र का मतदाता भी है. प्रार्थी का आरोप है कि विवादित अधिसूचना जारी करने की पूरी प्रक्रिया अपारदर्शी ढंग से की गई है और संबंधित मतदाता की आपत्तियां भी आमंत्रित नहीं की गई है. मामले की सुनवाई अब अगले साल जनवरी में होगी.

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