शिमला: हिमाचल प्रदेश में तबादला नीति में प्रावधान है कि पति-पत्नी यदि सरकारी नौकरी में हैं तो उन्हें एक स्थान पर पोस्टिंग दी जाती है. जिला सिरमौर में एक दंपत्ति शिक्षा विभाग में कार्यरत है. दोनों की पोस्टिंग अलग-अलग स्थान पर थी. शिक्षक दंपत्ति ने उन्हें एक ही स्थान पर समायोजित करने के लिए विभाग से आग्रह किया. विभाग ने शिक्षक दंपत्ति को समायोजित नहीं किया. इस पर शिक्षक पति-पत्नी हिमाचल हाई कोर्ट की शरण में गए.
याचिका की सुनवाई के बाद अदालत ने शिक्षा विभाग से दोनों को एक स्थान पर समायोजित करने के लिए निर्देश दिए हैं. साथ ही शिक्षा निदेशक से आदेश की अनुपालना रिपोर्ट मांगी है. शिक्षा निदेशक को ये रिपोर्ट दस फरवरी तक अदालत में पेश करनी होगी. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा के समक्ष मामले की सुनवाई हुई.
न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने शिक्षा निदेशक को आदेश दिए कि वह 10 फरवरी तक आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट अदालत में पेश करें. मामले के अनुसार जिला सिरमौर की सुरेखा चौहान और उनके पति, दोनों ही शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. याचिकाकर्ता सुरेखा चौहान जिला की राजकीय प्राथमिक पाठशाला नगेथा में सीएचटी यानी सेंट्रल हैड टीचर के पद पर तैनात हैं.
वहीं, उनके पति 40 किलोमीटर दूर एक राजकीय महाविद्यालय में सेवारत हैं. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति के तहत उन्होंने शिक्षा विभाग को एक ही स्थान पर समायोजित करने के लिए आवेदन किया था, लेकिन शिक्षा विभाग ने उसे समायोजित करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया. अदालत को बताया गया कि 31 जनवरी 2023 को खाली होने वाले पद पर उसे तैनाती दी जा सकती है.
स्थानांतरण नीति में भी कर्मचारी दंपति को एक ही जगह पर समायोजित करने का विशेष प्रावधान है. अदालत ने स्थानांतरण नीति का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग को आदेश दिए कि वह एक हफ्ते के भीतर याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय ले और उन्हें पांवटा साहिब में खाली पद पर समायोजित करने का प्रयास करें. मामले पर शिक्षा निदेशक को दस फरवरी को अदालती आदेश की अनुपालना रिपोर्ट पेश करनी होगी.
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