शिमला: राजधानी के उपनगर कसुम्पटी में एक व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ निर्माण किया था. इलाके के एक व्यक्ति ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अवैध निर्माण की शिकायत की. अदालत ने पत्र को जनहित याचिका में तब्दील किया और अवैध निर्माण करने वाले को तलब किया. आरोपी व्यक्ति केवल एक बार अदालत में पेश हुआ. हाईकोर्ट ने प्रतिवादी से स्थिति स्पष्ट करने को कहा, लेकिन अवैध निर्माण करने वाला प्रतिवादी अदालत में पेश नहीं हुआ.
मकान गिराने का खर्चा दोषी से ही वसूलने का निर्देश: हाईकोर्ट ने इसे प्रतिवादी का अड़ियल रवैया माना और कहा कि उक्त व्यक्ति के मन में कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं है. हाईकोर्ट ने इसके बाद अवैध निर्माण को गिराने का आदेश जारी कर दिया. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने नियमों के खिलाफ किए गए उक्त निर्माण को गंभीरता से लेते हुए अवैध भवन को तुरंत गिराने का आदेश जारी किया. यही नहीं, मकान गिराने का खर्च भी अवैध निर्माण करने वाले दोषी से ही वसूलने के निर्देश दिए. खंडपीठ ने निर्माण गिराने में जिला प्रशासन को उचित सहायता मुहैया करवाने का जिम्मा सौंपा है. हाईकोर्ट ने 22 मई को अपने आदेश की अनुपालना रिपोर्ट भी तलब की है.
न्यायाधीश को पत्र लिखकर की गई थी शिकायत: कसुम्पटी के रहने वाले उदित पंवर नामक शख्स ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अवैध निर्माण की शिकायत की थी. पत्र में आरोप लगाया गया था कि कसुम्पटी निवासी एक व्यक्ति ने सरकारी जमीन पर नियमों के खिलाफ निर्माण किया है. आरोप लगाया गया कि निर्माण के लिए कोई स्वीकृति भी नहीं ली गई. हाईकोर्ट ने पत्र को जनहित याचिका मानकर उस पर संज्ञान लेते हुए दोषी को प्रतिवादी बनाया था. प्रतिवादी ने 4 अक्टूबर 2021 को अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी.
अड़ियल रवैया देखते हुए मकान गिराने का आदेश: अदालत ने अवैध निर्माण पर उसे अपना स्पष्टीकरण देने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दोषी प्रतिवादी उसके बाद अदालत में पेश ही नहीं हुआ. अदालत ने पाया कि प्रतिवादी न ही 4 अप्रैल 2023 को पेश हुआ और न ही 15 मई 2023 को. नगर निगम शिमला की ओर से अदालत को बताया गया कि दोषी ने नोटिस के बावजूद भी अवैध निर्माण को बंद नहीं किया ,बल्कि उसने अतिरिक्त अवैध निर्माण कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दोषी कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं रखता है. अदालत ने पाया कि दोषी जानबूझ कर अदालत में पेश नहीं हो रहा है.अदालत ने दोषी का अड़ियल रवैया देखते हुए मकान गिराने के आदेश जारी कर दिए.
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