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Shimla Traffic: ट्रैफिक जाम से थम जाती है शिमला की रफ्तार, सड़क किनारे खड़ी खटारा गाड़ियां, हाई कोर्ट ने सरकार को दिए ये आदेश

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में लोगों को आए दिन ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ता है. शहर में अक्सर कई घंटों का लंबा जाम लगता है. जिस पर अब हिमाचल हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट ने ट्रैफिक जाम समस्या को लेकर प्रदेश सरकार को कोर्ट मित्र के सुझावों को मानने के आदेश जारी किए हैं. (Himachal High Court on Shimla Traffic Jam Problem)

Himachal High Court on Shimla Traffic Jam Problem
शिमला ट्रैफिक जाम की समस्या पर हिमाचल हाई कोर्ट का संज्ञान
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 6, 2023, 9:40 AM IST

शिमला: राजधानी से जूझ रही है. शहर में जाम लगने के कई कारण हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को शिमला शहर में जाम की समस्या को दुरुस्त करने के लिए इस केस में नियुक्त कोर्ट मित्र यानी एमिकस क्यूरी के सुझावों पर अमल करने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है.

खटारा गाड़ियों ने बढ़ाई समस्या: अदालत के कोर्ट मित्र ने बताया कि शिमला में खटारा हो चुकी निजी और सरकारी गाड़ियां लंबे समय से सड़कों पर खड़ी हैं. इस कारण सड़कें संकरी हो जाती हैं और आम जनता को जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है. कोर्ट मित्र ने सुझाव दिया है कि ऐसे वाहनों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए. इसके अलावा अदालत को बताया गया कि शिमला में रोपवे के निर्माण के लिए निविदाएं तो आमंत्रित की गई हैं, लेकिन निर्माण कार्य शुरू किए जाने की कोई जानकारी नहीं है.

शिमला में सुरंगों पर उठे सवाल: कोर्ट मित्र ने शिमला में बनने वाली तीन सुरंगों पर भी सवालिया निशान उठाया है. कोर्ट को बताया गया कि देश-विदेश में मशहूर शिमला शहर के लिए विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और कई विदेशी कंपनियां वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, लेकिन इन सुरंगों को बनाने का प्रस्ताव न जाने कहां गुम हो गया है. इसके अलावा शिमला शहर में निजी क्षेत्र के तहत पार्किंग बनाने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं. इसके अलावा मोनोरेल और मल्टी लेयर रोड बनाने का सुझाव भी दिया गया है.

बिना परमिट गाड़ियों पर पूछा सवाल: इससे पहले हिमाचल हाई कोर्ट ने डीएसपी शिमला (ट्रैफिक) से शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि क्या शहर में सील्ड और प्रतिबंधित रोड पर बिना परमिट गाड़ियां चलाई जा सकती हैं? अदालत ने इस संदर्भ में विशेषकर रामचंद्र चौक से टका बैंच वाया जोधा निवास और टका बैंच से जाखू वाया ड्रीम लैंड होटल सड़क का जिक्र किया.

हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश: इसके अलावा अदालत की तरफ से डीएसपी शिमला (ट्रैफिक) को यह बताने के आदेश दिए गए थे कि शहर में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. कोर्ट ने पूछा था कि क्या सर्कुलर रोड पर वाहन पार्क किये जा सकते है या नहीं? यदि सड़क के किनारे अवैध तरीके से वाहन खड़े किए जा रहे हैं तो उन्हें हटाने के बारे क्या कदम उठाए जाते हैं. अदालत ने इन सभी बिंदुओं पर गौर करने के साथ ही कोर्ट मित्र के सुझावों पर अमल करने के आदेश जारी किए हैं.

ये भी पढ़ें: शिमला जिले में ट्रैफिक बढ़ने के बावजूद 2022 के मुकाबले सड़क हादसों में 50% की कमी, जानें क्या रही वजह?

शिमला: राजधानी से जूझ रही है. शहर में जाम लगने के कई कारण हैं. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को शिमला शहर में जाम की समस्या को दुरुस्त करने के लिए इस केस में नियुक्त कोर्ट मित्र यानी एमिकस क्यूरी के सुझावों पर अमल करने का आदेश दिया है. मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है.

खटारा गाड़ियों ने बढ़ाई समस्या: अदालत के कोर्ट मित्र ने बताया कि शिमला में खटारा हो चुकी निजी और सरकारी गाड़ियां लंबे समय से सड़कों पर खड़ी हैं. इस कारण सड़कें संकरी हो जाती हैं और आम जनता को जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है. कोर्ट मित्र ने सुझाव दिया है कि ऐसे वाहनों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए. इसके अलावा अदालत को बताया गया कि शिमला में रोपवे के निर्माण के लिए निविदाएं तो आमंत्रित की गई हैं, लेकिन निर्माण कार्य शुरू किए जाने की कोई जानकारी नहीं है.

शिमला में सुरंगों पर उठे सवाल: कोर्ट मित्र ने शिमला में बनने वाली तीन सुरंगों पर भी सवालिया निशान उठाया है. कोर्ट को बताया गया कि देश-विदेश में मशहूर शिमला शहर के लिए विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और कई विदेशी कंपनियां वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, लेकिन इन सुरंगों को बनाने का प्रस्ताव न जाने कहां गुम हो गया है. इसके अलावा शिमला शहर में निजी क्षेत्र के तहत पार्किंग बनाने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं. इसके अलावा मोनोरेल और मल्टी लेयर रोड बनाने का सुझाव भी दिया गया है.

बिना परमिट गाड़ियों पर पूछा सवाल: इससे पहले हिमाचल हाई कोर्ट ने डीएसपी शिमला (ट्रैफिक) से शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी मांगी थी कि क्या शहर में सील्ड और प्रतिबंधित रोड पर बिना परमिट गाड़ियां चलाई जा सकती हैं? अदालत ने इस संदर्भ में विशेषकर रामचंद्र चौक से टका बैंच वाया जोधा निवास और टका बैंच से जाखू वाया ड्रीम लैंड होटल सड़क का जिक्र किया.

हिमाचल हाई कोर्ट के आदेश: इसके अलावा अदालत की तरफ से डीएसपी शिमला (ट्रैफिक) को यह बताने के आदेश दिए गए थे कि शहर में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. कोर्ट ने पूछा था कि क्या सर्कुलर रोड पर वाहन पार्क किये जा सकते है या नहीं? यदि सड़क के किनारे अवैध तरीके से वाहन खड़े किए जा रहे हैं तो उन्हें हटाने के बारे क्या कदम उठाए जाते हैं. अदालत ने इन सभी बिंदुओं पर गौर करने के साथ ही कोर्ट मित्र के सुझावों पर अमल करने के आदेश जारी किए हैं.

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