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रिकॉर्ड! हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने बनाया रिकॉर्ड, सात दिन में सुने 683 मामले - Tarlok Singh Chauhan made a record

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान (justice tarlok singh chauhan ) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक सप्ताह में रिकॉर्ड 683 मामलों पर सुनवाई (Justice Tarlok Singh Chauhan made a record in the hearing) की. मुख्य न्यायाधीश के अस्वस्थ होने के कारण खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखे गए मामलों की सुनवाई भी न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ही की. इस दौरान अधिकतम 192 मामले सुनवाई के लिए रखे गए.

himachal high court
हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : Dec 6, 2021, 8:45 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान (justice tarlok singh chauhan ) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक सप्ताह में रिकॉर्ड 683 मामलों पर सुनवाई (Justice Tarlok Singh Chauhan made a record in the hearing) की. मुख्य न्यायाधीश के अस्वस्थ (Chief Justice unwell in Himachal) होने के कारण खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखे गए मामलों की सुनवाई भी न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ही की. इस दौरान अधिकतम 192 मामले सुनवाई के लिए रखे गए.


हाईकोर्ट की रजिस्टर में उपलब्ध आंकड़ों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो इस सप्ताह में 253 मामलों का भी निपटारा किया गया. अदालत ने जेबीटी और बीएड शिक्षकों की भर्ती को लेकर चल रहे महत्वपूर्ण मामले पर अपना निर्णय सुनाया. इसके इलावा अदालत ने सिरमौर में हुए प्रवीण कुमार हत्याकांड (Praveen Kumar murder case) के मामले की जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर भी अपना निर्णय सुनाया. ज्ञात रहे इस मामले में सिरमौर पुलिस ने प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की थी जिससे आहत होकर मृतक के परिजनों ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात पुलिस की कार्य प्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज करते हुए राज्य सरकार के गृह सचिव को आदेश दिए थे कि लापरवाह पुलिस कर्मियों और और जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सेवा नियमों के अनुरूप कार्रवाई की जाए और अवगत करवाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घोर लापरवाही न हो.


इसके इलावा अदालत के समक्ष इसी तरह का एक और महत्वपूर्ण मामला राज्य सरकार के कर्मियों को सरकारी आवास आवंटन में नौकरशाही द्वारा बरती जा रही दादगीरी पर भी कड़ा संज्ञान लिया और सचिव जीएडी देवेश कुमार को अदालत में तलब किया और आवास आवंटन में बरती जा रही बंदरबांट पर कड़ी फटकार भी लगाई.

इसी तरह अदालत ने एक एक्सेम्पलरी फैसला भी सुनाया जिसमें कि प्रार्थी पक्ष पर एक लाख बीस हजार रुपए की कीमत भी लगाई गयी. इस फैसले में अदालत ने कहा कि प्रार्थी पक्ष ने कानूनी प्रक्रिया का सरेआम दुरुपयोग किया और बेवजह तीन प्रतिवादियों को अदालत में घसीटा. इसलिए उन्हें हुई परेशानी के लिए प्रार्थी पक्ष कॉस्ट की राशि अदा करेगा. इसके इलावा इसी खंडपीठ ने कर्मचारी यूनियन द्वारा कर्मियों के तबादले करने की सिफरिश करने पर यूनियन की मान्यता रद्द करने के आदेश भी राज्य सरकार को दिए हैं.

ये भी पढे़ं: एसएफआई का 21वां राज्य सम्मेलन संपन्न: प्रदेश सचिव अमित बोले- सरकार की कमियों को छिपाने का किया जा रहा प्रयास

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान (justice tarlok singh chauhan ) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक सप्ताह में रिकॉर्ड 683 मामलों पर सुनवाई (Justice Tarlok Singh Chauhan made a record in the hearing) की. मुख्य न्यायाधीश के अस्वस्थ (Chief Justice unwell in Himachal) होने के कारण खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए रखे गए मामलों की सुनवाई भी न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने ही की. इस दौरान अधिकतम 192 मामले सुनवाई के लिए रखे गए.


हाईकोर्ट की रजिस्टर में उपलब्ध आंकड़ों पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो इस सप्ताह में 253 मामलों का भी निपटारा किया गया. अदालत ने जेबीटी और बीएड शिक्षकों की भर्ती को लेकर चल रहे महत्वपूर्ण मामले पर अपना निर्णय सुनाया. इसके इलावा अदालत ने सिरमौर में हुए प्रवीण कुमार हत्याकांड (Praveen Kumar murder case) के मामले की जांच की मांग को लेकर दायर याचिका पर भी अपना निर्णय सुनाया. ज्ञात रहे इस मामले में सिरमौर पुलिस ने प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की थी जिससे आहत होकर मृतक के परिजनों ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात पुलिस की कार्य प्रणाली पर कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज करते हुए राज्य सरकार के गृह सचिव को आदेश दिए थे कि लापरवाह पुलिस कर्मियों और और जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सेवा नियमों के अनुरूप कार्रवाई की जाए और अवगत करवाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की घोर लापरवाही न हो.


इसके इलावा अदालत के समक्ष इसी तरह का एक और महत्वपूर्ण मामला राज्य सरकार के कर्मियों को सरकारी आवास आवंटन में नौकरशाही द्वारा बरती जा रही दादगीरी पर भी कड़ा संज्ञान लिया और सचिव जीएडी देवेश कुमार को अदालत में तलब किया और आवास आवंटन में बरती जा रही बंदरबांट पर कड़ी फटकार भी लगाई.

इसी तरह अदालत ने एक एक्सेम्पलरी फैसला भी सुनाया जिसमें कि प्रार्थी पक्ष पर एक लाख बीस हजार रुपए की कीमत भी लगाई गयी. इस फैसले में अदालत ने कहा कि प्रार्थी पक्ष ने कानूनी प्रक्रिया का सरेआम दुरुपयोग किया और बेवजह तीन प्रतिवादियों को अदालत में घसीटा. इसलिए उन्हें हुई परेशानी के लिए प्रार्थी पक्ष कॉस्ट की राशि अदा करेगा. इसके इलावा इसी खंडपीठ ने कर्मचारी यूनियन द्वारा कर्मियों के तबादले करने की सिफरिश करने पर यूनियन की मान्यता रद्द करने के आदेश भी राज्य सरकार को दिए हैं.

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