ETV Bharat / state

जयराम सरकार के दिए सेवा विस्तार को वापिस लेने के खिलाफ दाखिल की थी याचिका, हाई कोर्ट में हुई खारिज

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पुन: रोजगार पॉलिसी को रद्द किए जाने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त तहसीलदार की याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता ओम प्रकाश शर्मा ने राज्य सरकार के 12 दिसंबर के निर्णय को हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. इस निर्णय के तहत सरकार ने सेवा विस्तार और पुन: रोजगार को तुरंत प्रभाव से निरस्त कर दिया था. पढे़ं पूरी खबर...

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
author img

By

Published : Dec 29, 2022, 7:18 AM IST

शिमला: हिमाचल में पूर्व सरकार की तरफ से विभिन्न अफसरों, कर्मियों को दिए गए सेवा विस्तार के संदर्भ में दाखिल की गई याचिका को हिमाचल हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया (Reemployment To Officers In Himachal Pradesh) है. दरअसल, हाई कोर्ट में ओम प्रकाश शर्मा की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका के जरिए मौजूदा सुखविंदर सिंह सरकार द्वारा पूर्व की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के समय में दिए गए सेवा विस्तार को खत्म करने को चुनौती दी गई थी.

हाई कोर्ट ने इस याचिका को गुणवत्ताहीन मानते हुए खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कोई भी सरकार सेवानिवृत सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को दिया सेवा विस्तार कभी भी वापिस ले सकती है. यह सरकार का विशेषाधिकार है कि वह अपनी नीति पर पुन: विचार कर नया फैसला ले.(Himachal High Court Judgement).

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालतें सरकार के नीतिगत फैसलों का न्यायिक पुनरावलोकन तब तक नहीं कर सकती जब तक फैसले दुर्भावनापूर्ण प्रतीत न हों. खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्तियां सीमित हैं. अदालत ने कहा कि सरकार की किसी नीति को परखने से पहले यह देखना होता है कि कोई भी नीति नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाली और वैधानिक प्रावधानों के विपरीत या फिर मनमानी नीति तो नहीं है ? हाई कोर्ट ने कहा कि सेवाविस्तार को वापिस लेना न तो अनुचित प्रतीत होता है और न ही मनमाना.

मामले के अनुसार प्रार्थी को पिछली सरकार ने सेवा विस्तार देते हुए एचपी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में तहसीलदार रिकवरी लगाया था. प्रार्थी के अनुसार उसका अनुबंध अप्रैल 2023 तक था परंतु मौजूदा सरकार ने उसका पक्ष सुने बिना ही 12 दिसंबर को जारी शासनादेश के तहत उसका अनुबंध खत्म कर दिया. प्रार्थी ने अपना सेवा विस्तार अनुबंध समय से पहले खत्म करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. खंडपीठ ने याचिका को गुणवत्ताहीन पाते हुए खारिज कर उसका निपटारा कर दिया.

ये भी पढ़ें: न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए पर्यटकों से गुलजार हुई पहाड़ों की रानी, शहर के सभी होटल पैक

शिमला: हिमाचल में पूर्व सरकार की तरफ से विभिन्न अफसरों, कर्मियों को दिए गए सेवा विस्तार के संदर्भ में दाखिल की गई याचिका को हिमाचल हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया (Reemployment To Officers In Himachal Pradesh) है. दरअसल, हाई कोर्ट में ओम प्रकाश शर्मा की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका के जरिए मौजूदा सुखविंदर सिंह सरकार द्वारा पूर्व की जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के समय में दिए गए सेवा विस्तार को खत्म करने को चुनौती दी गई थी.

हाई कोर्ट ने इस याचिका को गुणवत्ताहीन मानते हुए खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि कोई भी सरकार सेवानिवृत सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को दिया सेवा विस्तार कभी भी वापिस ले सकती है. यह सरकार का विशेषाधिकार है कि वह अपनी नीति पर पुन: विचार कर नया फैसला ले.(Himachal High Court Judgement).

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालतें सरकार के नीतिगत फैसलों का न्यायिक पुनरावलोकन तब तक नहीं कर सकती जब तक फैसले दुर्भावनापूर्ण प्रतीत न हों. खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्तियां सीमित हैं. अदालत ने कहा कि सरकार की किसी नीति को परखने से पहले यह देखना होता है कि कोई भी नीति नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाली और वैधानिक प्रावधानों के विपरीत या फिर मनमानी नीति तो नहीं है ? हाई कोर्ट ने कहा कि सेवाविस्तार को वापिस लेना न तो अनुचित प्रतीत होता है और न ही मनमाना.

मामले के अनुसार प्रार्थी को पिछली सरकार ने सेवा विस्तार देते हुए एचपी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में तहसीलदार रिकवरी लगाया था. प्रार्थी के अनुसार उसका अनुबंध अप्रैल 2023 तक था परंतु मौजूदा सरकार ने उसका पक्ष सुने बिना ही 12 दिसंबर को जारी शासनादेश के तहत उसका अनुबंध खत्म कर दिया. प्रार्थी ने अपना सेवा विस्तार अनुबंध समय से पहले खत्म करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. खंडपीठ ने याचिका को गुणवत्ताहीन पाते हुए खारिज कर उसका निपटारा कर दिया.

ये भी पढ़ें: न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए पर्यटकों से गुलजार हुई पहाड़ों की रानी, शहर के सभी होटल पैक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.