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Himachal High Court: केंद्रीय श्रम न्यायालय ने दिए थे दूरदर्शन के कैजुअल कर्मियों को नियमित करने के आदेश, हाईकोर्ट ने किए रद्द

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 30, 2023, 9:49 PM IST

केंद्रीय श्रम न्यायालय ने दूरदर्शन के कैजुअल कर्मियों को नियमित करने के आदेश दिए थे. जिसे हिमाचल हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...(Himachal High court) (Himachal High Court cancels Central Labor Court decision related)

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शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय के कैजुअल दूरदर्शन कर्मियों से जुड़े फैसले को रद्द कर दिया है. केंद्रीय श्रम न्यायालय ने दूरदर्शन के कैजुअल (आकस्मिक) कर्मियों को नियमित करने के आदेश जारी किए थे. इस पर दूरदर्शन प्रबंधन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने बेशक केंद्रीय श्रम मंत्रालय के फैसले को रद्द कर दिया, लेकिन दूरदर्शन कर्मियों को आंशिक राहत भी प्रदान की है.

न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने दूरदर्शन के कैजुअल कर्मचारियों को आंशिक राहत प्रदान करते हुए अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि उनके मामले में दूरदर्शन को श्रम कानूनों का पालन करना होगा. साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि कैजुअल कर्मियों को नियमित कर्मियों की तर्ज पर इन न्यूनतम ग्रेड देना होगा. इस मामले में दूरदर्शन की ओर से दायर याचिका को हाईकोर्ट ने आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय चंडीगढ़ के फैसले को आंशिक रूप से निरस्त बेशक किया, लेकिन कुछ बिंदुओं पर आंशिक रूप से स्वीकार भी कर लिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि दूरदर्शन के आकस्मिक कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के आदेश के अलावा श्रम न्यायालय का फैसला सही है. श्रम न्यायालय ने दूरदर्शन को आदेश दिए थे कि वह आकस्मिक एवं अनुबंध कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के लिए पॉलिसी बनाएं और उन्हें खाली पड़े पदों पर नियमित करे.

इसके अलावा अदालत ने श्रम नियमों का पालन करने और नियमित कर्मचारी की तर्ज पर न्यूनतम ग्रेड देने के आदेश दिए थे. इस निर्णय को दूरदर्शन ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट को बताया गया था कि दूरदर्शन में आकस्मिक एवं अनुबंध कर्मियों ने अपनी सेवाएं नियमित करने के लिए श्रम न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका को स्वीकार करते हुए श्रम न्यायालय ने उन्हें नियमित करने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि श्रम अदालत ने नियमित करने के आदेश अपने क्षेत्राधिकार के दायरे के बाहर पारित किए हैं. इस पर हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया.

ये भी पढ़ें: मकान मालिक को अपनी संपत्ति का आनंद लेने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता, आवासीय परिसर के किराएदार का कमर्शियल परिसर में दोबारा प्रवेश का दावा गलत

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय के कैजुअल दूरदर्शन कर्मियों से जुड़े फैसले को रद्द कर दिया है. केंद्रीय श्रम न्यायालय ने दूरदर्शन के कैजुअल (आकस्मिक) कर्मियों को नियमित करने के आदेश जारी किए थे. इस पर दूरदर्शन प्रबंधन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने बेशक केंद्रीय श्रम मंत्रालय के फैसले को रद्द कर दिया, लेकिन दूरदर्शन कर्मियों को आंशिक राहत भी प्रदान की है.

न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य ने दूरदर्शन के कैजुअल कर्मचारियों को आंशिक राहत प्रदान करते हुए अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि उनके मामले में दूरदर्शन को श्रम कानूनों का पालन करना होगा. साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि कैजुअल कर्मियों को नियमित कर्मियों की तर्ज पर इन न्यूनतम ग्रेड देना होगा. इस मामले में दूरदर्शन की ओर से दायर याचिका को हाईकोर्ट ने आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय चंडीगढ़ के फैसले को आंशिक रूप से निरस्त बेशक किया, लेकिन कुछ बिंदुओं पर आंशिक रूप से स्वीकार भी कर लिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि दूरदर्शन के आकस्मिक कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के आदेश के अलावा श्रम न्यायालय का फैसला सही है. श्रम न्यायालय ने दूरदर्शन को आदेश दिए थे कि वह आकस्मिक एवं अनुबंध कर्मियों की सेवाएं नियमित करने के लिए पॉलिसी बनाएं और उन्हें खाली पड़े पदों पर नियमित करे.

इसके अलावा अदालत ने श्रम नियमों का पालन करने और नियमित कर्मचारी की तर्ज पर न्यूनतम ग्रेड देने के आदेश दिए थे. इस निर्णय को दूरदर्शन ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट को बताया गया था कि दूरदर्शन में आकस्मिक एवं अनुबंध कर्मियों ने अपनी सेवाएं नियमित करने के लिए श्रम न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका को स्वीकार करते हुए श्रम न्यायालय ने उन्हें नियमित करने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि श्रम अदालत ने नियमित करने के आदेश अपने क्षेत्राधिकार के दायरे के बाहर पारित किए हैं. इस पर हाईकोर्ट ने केंद्रीय श्रम न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया.

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