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हाईकोर्ट का अहम आदेश, गिरि नदी पर बांध बनाने के इंतजाम करे सरकार, नदी में न गिराया जाए मलबा

गिरि नदी पर जलाशय नहीं बनाने पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को 15 दिन के भीतर संबंधित विभागों के साथ मीटिंग करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने गिरि नदी में अवैध डंपिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal High Court
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Published : Nov 18, 2022, 9:03 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में अकसर पेयजल की किल्लत पेश आती है. पानी की कमी को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि गिरि नदी पर बांध बनाने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाए जाएं. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि गिरि नदी (Dam on the Giri river) में किसी भी तरह का मलबा न गिराया जाए.

हाईकोर्ट (Himachal High Court) के एडवोकेट विजय अरोड़ा ने शिमला शहर में पानी की कमी से जुड़ी जनहित याचिका अदालत में दाखिल की हुई है. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने कहा कि गिरि नदी पर बांध यानी डैम बनाने के इंतजाम किए जाएं. गिरि नदी पर बांध के निर्माण के लिए तैयार की गई डीपीआर का रिकार्ड हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है.

अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गिरि नदी पर डैम के निर्माण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 22 जुलाई 2019 को बैठक की गई थी. उस बैठक में डैम निर्माण से जुड़ी परियोजना को मात्र इस कारण से स्थगित किया गया कि गिरि नदी पर ऐसे निर्माण के लिए किसी भी तरह की आवश्यकता नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि उक्त बैठक कोविड-19 से पहले की गई थी.

उसके बाद भी शिमला शहर पानी की कमी से जूझ रहा है. खासकर गर्मियों के दौरान पेयजल की कमी को लेकर स्थिति नगर निगम के वश से बाहर हो जाती है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस कारण बांध निर्माण से जुड़े मामले पर पुनर्विचार करना अति आवश्यक है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को यह आदेश जारी किया है कि 15 दिन के भीतर इस बाबत सभी पक्षकारों के साथ मीटिंग का आयोजन करें. इस दौरान सभी पक्षकारों को यह आदेश जारी किए गए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि गिरि नदी में किसी भी प्रकार की मलबा न गिराया जाए.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सहित लोक निर्माण विभाग व वन विभाग को यह आदेश जारी किए हैं कि वह संयुक्त निरीक्षण करें और पहचान करें कि ऐसे कौन से संवेदनशील स्थान है जहां पर अवैध तरीके से मलबे की डंपिंग की जाती है. हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि इन स्थानों को तारों के जरिए सील किया जाए। साथ ही राज्य सरकार को विशेष बजट प्रस्ताव रखने के भी आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इन आदेशों की जानकारी गिरि नदी से लगती ग्राम पंचायतों को पहुंचाने के आदेश भी दिए हैं। अब अगली सुनवाई 8 दिसंबर को निर्धारित की गई है।

ये भी पढ़ें: दागी अफसरों की सूची में क्यों नहीं एसीएस प्रबोध सक्सेना का नाम, हाईकोर्ट में सोमवार को होगी सुनवाई

शिमला: राजधानी शिमला में अकसर पेयजल की किल्लत पेश आती है. पानी की कमी को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि गिरि नदी पर बांध बनाने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाए जाएं. साथ ही ये भी सुनिश्चित किया जाए कि गिरि नदी (Dam on the Giri river) में किसी भी तरह का मलबा न गिराया जाए.

हाईकोर्ट (Himachal High Court) के एडवोकेट विजय अरोड़ा ने शिमला शहर में पानी की कमी से जुड़ी जनहित याचिका अदालत में दाखिल की हुई है. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने कहा कि गिरि नदी पर बांध यानी डैम बनाने के इंतजाम किए जाएं. गिरि नदी पर बांध के निर्माण के लिए तैयार की गई डीपीआर का रिकार्ड हाईकोर्ट के समक्ष रखा गया है.

अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गिरि नदी पर डैम के निर्माण के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 22 जुलाई 2019 को बैठक की गई थी. उस बैठक में डैम निर्माण से जुड़ी परियोजना को मात्र इस कारण से स्थगित किया गया कि गिरि नदी पर ऐसे निर्माण के लिए किसी भी तरह की आवश्यकता नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि उक्त बैठक कोविड-19 से पहले की गई थी.

उसके बाद भी शिमला शहर पानी की कमी से जूझ रहा है. खासकर गर्मियों के दौरान पेयजल की कमी को लेकर स्थिति नगर निगम के वश से बाहर हो जाती है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस कारण बांध निर्माण से जुड़े मामले पर पुनर्विचार करना अति आवश्यक है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव को यह आदेश जारी किया है कि 15 दिन के भीतर इस बाबत सभी पक्षकारों के साथ मीटिंग का आयोजन करें. इस दौरान सभी पक्षकारों को यह आदेश जारी किए गए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि गिरि नदी में किसी भी प्रकार की मलबा न गिराया जाए.

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सहित लोक निर्माण विभाग व वन विभाग को यह आदेश जारी किए हैं कि वह संयुक्त निरीक्षण करें और पहचान करें कि ऐसे कौन से संवेदनशील स्थान है जहां पर अवैध तरीके से मलबे की डंपिंग की जाती है. हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि इन स्थानों को तारों के जरिए सील किया जाए। साथ ही राज्य सरकार को विशेष बजट प्रस्ताव रखने के भी आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इन आदेशों की जानकारी गिरि नदी से लगती ग्राम पंचायतों को पहुंचाने के आदेश भी दिए हैं। अब अगली सुनवाई 8 दिसंबर को निर्धारित की गई है।

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