शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत कंप्यूटर शिक्षकों को लेकर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में आउटसोर्स आधार पर लगे कम्प्यूटर शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाने की छूट दे दी है.
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को यह छूट देते हुए स्पष्ट किया कि पॉलिसी बनाने के दौरान कंप्यूटर टीचर्स की लंबित याचिकाएं सरकार के आड़े नहीं आएंगी. गौरतलब है कि कंप्यूटर शिक्षकों की ओर से हाइकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं. मामले पर अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी.
न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि सरकार हाईकोर्ट के 5 जून 2014 के आदेशों को ध्यान में रखते हुए कम्प्यूटर शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाने के लिए स्वतंत्र है. साल 2014 में हाईकोर्ट ने सरकार को कम्यूटर शिक्षकों की मांगों को लेकर पॉलिसी बनाने की संभावनाएं तलाशने के आदेश दिए थे. विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने कंप्यूटर शिक्षकों की उस भर्ती नियम को चुनौती दी है जिसके तहत विभाग ने 5 वर्ष के अनुभव को भर्ती के लिये योग्य शर्त बनाया है.
पिछले 21 वर्षो से सेवाएं देने वाले कंप्यूटर शिक्षकों ने भी हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर कोर्ट से उनकी सेवाओं को नियमित करने के आदेश जारी करने का आग्रह किया है. कम्प्यूटर शिक्षकों ने नियमित अध्यापकों को मिलने वाले न्यूनतम वेतनमान की मांग के साथ-साथ उन्हें कांट्रेक्ट अथवा तदर्थ अध्यापकों के बराबर मानने की गुहार भी लगाई है. यह कंप्यूटर शिक्षक हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में वर्ष 2002 से आज तक सेवाएं देते आ रहे हैं.
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में 1326 कंप्यूटर शिक्षक 1100 स्कूलों में बीते 20 से 22 सालों से सेवाएं दे रहे हैं. हालांकि पहले ये शिक्षक नाइलेट कंपनी के अधीन थे, जिसका ये लगातार विरोध कर रहे थे. विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने इन शिक्षकों के लिए नीति बनाने की बात कही थी और कुछ समय पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने लेकर नाइलेट कंपनी से करार खत्म कर कंप्यूटर शिक्षकों को इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन के अधीन लगाने का फैसला किया था.
शिक्षकों का कहना है कि उनको लगा कि सरकार उनको सीधे कॉरपोरेशन के अधीन रखेगी, लेकिन उनको कॉरपोरेशन ने आगे पांच कंपनियों के अधीन कर दिया गया था. इसका कंप्यूटर शिक्षक विरोध कर रहे थे. इसके बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हुई बैठक में इनको फिलहाल नाइलेट कंपनी के अधीन रखने का फैसला लिया गया. अब हाइकोर्ट ने सरकार को इन कंप्यूटर शिक्षकों के लिए पॉलिसी बनाने की छूट दी है.
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