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विकासनगर में पार्किंग बनाने वाली कंपनी को 40 लाख की बैंक गारंटी पेश करने के आदेश, एमसी शिमला के आवेदन पर हाई कोर्ट का फैसला

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला के विकास नगर में पार्किंग बनाने वाली कंपनी मैसर्ज रुद्रा इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एक माह के भीतर 40 लाख की बैंक गारंटी जमा करने के आदेश जारी किए हैं. जानकारी के अनुसार, कंपनी ने ठेका रद्द करने को लेकर एमसी की तरफ से जारी नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. पढ़ें पूरी खबर.. (Himachal High Court)

Himachal HC Order to Ms Rudra Infrastructure
शिमला में पार्किंग बनाने वाली कंपनी को 40 लाख की बैंक गारंटी जमा करने के आदेश
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 10:13 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर विकास नगर में पार्किंग का निर्माण करने वाली कंपनी को हाई कोर्ट ने 40 लाख रुपये की बैंक गारंटी पेश करने के आदेश जारी किए हैं. इस बारे में हाई कोर्ट ने नगर निगम शिमला का आवेदन स्वीकार किया और निर्माण कंपनी मैसर्ज रुद्रा इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एमसी शिमला के समक्ष उक्त रकम की बैंक गारंटी प्रस्तुत करने के आदेश दिए. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने उक्त आदेश पारित किए. हाई कोर्ट ने कंपनी को एक माह के भीतर चालीस लाख रुपए की बैंक गारंटी देने को कहा है.

मामले के अनुसार कंपनी ने उसका ठेका रद्द करने को लेकर एमसी की तरफ से जारी नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उस पर हाई कोर्ट ने 8 अगस्त 2018 को इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे. इसके बाद मामला 6 सितंबर 2018 को लिस्ट किया गया था. उसके बाद नगर निगम शिमला प्रशासन ने अपना अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की थी, जिस पर ये मामला 13 सितंबर 2018 के लिए स्थगित कर दिया गया. तब अदालत ने इस मामले में दी गई अंतरिम राहत की अवधि को और बढ़ा दिया था. इसके बाद मामला विभिन्न तारीखों पर सूचीबद्ध किया जाता रहा और अंतत: दिसंबर 2018 को कंपनी ने मामला वापिस ले लिया. इस प्रकार कंपनी को न्यायालय के आदेश से राहत मिली हुई थी और बैंक गारंटी भुनाने के लिए कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती थी.

इस बीच एमसी की तरफ से बैंक गारंटी की वैधता 11.09.2018 को समाप्त हो गई, लेकिन निगम प्रशासन बैंक गारंटी की समय अवधि पूरी होने के बाद भी एक्शन नहीं ले सका. बाद में नगर निगम प्रशासन ने कंपनी को चालीस लाख रुपए की नई बैंक गारंटी (रिन्यू) कर जमा करने के लिए दिसंबर 2018 में पत्र लिखा. उसके बाद कई बार कहने पर भी कंपनी ने कोई रिस्पांस नहीं दिया. इस पर नगर निगम शिमला प्रशासन को हाई कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दाखिल कर बैंक गारंटी के संदर्भ में गुहार लगानी पड़ी. अदालत ने एमसी का आवेदन मंजूर करते हुए कंपनी को चालीस लाख रुपए की बैंक गारंटी जमा करने के आदेश जारी किए. ये रकम एक महीने में जमा करनी होगी.

ये भी पढ़ें: बगशाड़ की जगह तत्तापानी को सब-तहसील का दर्जा देने की मांग खारिज, HC ने कहा- जनहित में सरकारी फैसले को नहीं दी जा सकती चुनौती

शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर विकास नगर में पार्किंग का निर्माण करने वाली कंपनी को हाई कोर्ट ने 40 लाख रुपये की बैंक गारंटी पेश करने के आदेश जारी किए हैं. इस बारे में हाई कोर्ट ने नगर निगम शिमला का आवेदन स्वीकार किया और निर्माण कंपनी मैसर्ज रुद्रा इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को एमसी शिमला के समक्ष उक्त रकम की बैंक गारंटी प्रस्तुत करने के आदेश दिए. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कैंथला ने उक्त आदेश पारित किए. हाई कोर्ट ने कंपनी को एक माह के भीतर चालीस लाख रुपए की बैंक गारंटी देने को कहा है.

मामले के अनुसार कंपनी ने उसका ठेका रद्द करने को लेकर एमसी की तरफ से जारी नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. उस पर हाई कोर्ट ने 8 अगस्त 2018 को इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे. इसके बाद मामला 6 सितंबर 2018 को लिस्ट किया गया था. उसके बाद नगर निगम शिमला प्रशासन ने अपना अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की थी, जिस पर ये मामला 13 सितंबर 2018 के लिए स्थगित कर दिया गया. तब अदालत ने इस मामले में दी गई अंतरिम राहत की अवधि को और बढ़ा दिया था. इसके बाद मामला विभिन्न तारीखों पर सूचीबद्ध किया जाता रहा और अंतत: दिसंबर 2018 को कंपनी ने मामला वापिस ले लिया. इस प्रकार कंपनी को न्यायालय के आदेश से राहत मिली हुई थी और बैंक गारंटी भुनाने के लिए कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती थी.

इस बीच एमसी की तरफ से बैंक गारंटी की वैधता 11.09.2018 को समाप्त हो गई, लेकिन निगम प्रशासन बैंक गारंटी की समय अवधि पूरी होने के बाद भी एक्शन नहीं ले सका. बाद में नगर निगम प्रशासन ने कंपनी को चालीस लाख रुपए की नई बैंक गारंटी (रिन्यू) कर जमा करने के लिए दिसंबर 2018 में पत्र लिखा. उसके बाद कई बार कहने पर भी कंपनी ने कोई रिस्पांस नहीं दिया. इस पर नगर निगम शिमला प्रशासन को हाई कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दाखिल कर बैंक गारंटी के संदर्भ में गुहार लगानी पड़ी. अदालत ने एमसी का आवेदन मंजूर करते हुए कंपनी को चालीस लाख रुपए की बैंक गारंटी जमा करने के आदेश जारी किए. ये रकम एक महीने में जमा करनी होगी.

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