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राज्यसभा सांसद के डीओ नोट पर हुए तबादले को HC ने किया रद्द, कहा: राजनीतिक हस्तक्षेप से की गई ट्रांसफर - Himachal HC on transfer matter

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सुपरिटेंडिंग इंजीनियर ऑपरेशन कांगड़ा सर्कल में तैनात सुपरिटेंडिंग इंजीनियर इलेक्ट्रिकल बृज लाल ठाकुर के डीओ नोट पर आधारित तबादला आदेशों को रद्द कर दिया है.

Himachal High court
हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : May 5, 2021, 7:51 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने सुपरिटेंडिंग इंजीनियर ऑपरेशन कांगड़ा सर्कल में तैनात सुपरिटेंडिंग इंजीनियर इलेक्ट्रिकल बृज लाल ठाकुर के डीओ नोट पर आधारित तबादला आदेशों को रद्द कर दिया है. प्रार्थी के अनुसार राज्यसभा सांसद के डीओ नोट को आधार बनाकर निजी प्रतिवादी को एडजस्ट करने के उद्देश्य से उसे मौजूदा स्थान से जोगिंदर नगर सर्कल भेजा जा रहा है.

स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश सांसद द्वारा जारी डीओ नोट के आधार पर किया गया है, जबकि हाई कोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित फैसलों को देखते हुए डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है.

प्रार्थी का आरोप

प्रार्थी का यह भी आरोप था कि उसका तबादला सरकार द्वारा स्थानांतरणों पर बैन लगाने के बावजूद किया गया है. इतना ही नहीं जिस प्रतिवादी अधिकारी को उसके स्थान पर एडजस्ट किया जा रहा है उसका गृह जिला कांगड़ा होने के कारण भी उसे प्रार्थी के स्थान पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने यह पाया कि स्थानांतरण आदेश पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते किये गए हैं. न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया.

ये भी पढ़ें: लापता शिक्षक का नहीं लगा कोई सुराग, डीजीपी संजय कुंडू के हाथ में दी गई 'कमान'

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने सुपरिटेंडिंग इंजीनियर ऑपरेशन कांगड़ा सर्कल में तैनात सुपरिटेंडिंग इंजीनियर इलेक्ट्रिकल बृज लाल ठाकुर के डीओ नोट पर आधारित तबादला आदेशों को रद्द कर दिया है. प्रार्थी के अनुसार राज्यसभा सांसद के डीओ नोट को आधार बनाकर निजी प्रतिवादी को एडजस्ट करने के उद्देश्य से उसे मौजूदा स्थान से जोगिंदर नगर सर्कल भेजा जा रहा है.

स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं

न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने पाया कि स्थानांतरण आदेश सांसद द्वारा जारी डीओ नोट के आधार पर किया गया है, जबकि हाई कोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में पारित फैसलों को देखते हुए डीओ नोट के आधार पर जारी स्थानांतरण आदेश कानूनन मान्य नहीं है.

प्रार्थी का आरोप

प्रार्थी का यह भी आरोप था कि उसका तबादला सरकार द्वारा स्थानांतरणों पर बैन लगाने के बावजूद किया गया है. इतना ही नहीं जिस प्रतिवादी अधिकारी को उसके स्थान पर एडजस्ट किया जा रहा है उसका गृह जिला कांगड़ा होने के कारण भी उसे प्रार्थी के स्थान पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. न्यायालय ने यह पाया कि स्थानांतरण आदेश पूरी तरह से राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते किये गए हैं. न्यायालय ने स्थानांतरण आदेशों को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया.

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