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अगले वित्त वर्ष में शिक्षा-स्वास्थ्य और परिवहन पर ध्यान देगी सरकार, बजट में दिखेगा सामाजिक सरोकार

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आगामी 6 मार्च को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे. बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर ने की राज्य योजना बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की. कोरोना काल में 1 फरवरी 2021 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 का आम बजट पेश किया. सीएम जयराम ठाकुर भी इस कोरोना काल में 6 फरवरी को हिमाचल प्रदेश का बजट पेश करेंगे.

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अगले वित्त वर्ष में शिक्षा-स्वास्थ्य और परिवहन पर ध्यान देगी सरकार
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Published : Feb 11, 2021, 9:14 PM IST

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आगामी 6 मार्च को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे. जयराम ठाकुर के बजट के पिटारे से प्रदेश का हर तबका आस लगाए बैठा है. कोरोना काल में हर क्षेत्र पर असर डाला. इसके बाद हर कोई बजट से उम्मीद लगाए बैठा है. इस बीच बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर ने की राज्य योजना बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की.


बजट के लिए 9405.41 करोड़ रुपये का प्रावधान

प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के राज्य विकास बजट के लिए 9405.41 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है. इसे इस तरह से बांटा गया है.

कार्यक्रम विकास बजट कुल विकास बजट का प्रतिशत
सामान्य विकास कार्यक्रम 6096.70 करोड़ 64.82%
अनूसूचित जाति विकास कार्यक्रम2369.22 करोड़ 25.19%
अनुसूचित जनजाति विकास कार्यक्रम 846.49 करोड़ 9%
पिछड़े क्षेत्र विकास कार्यक्रम 93 करोड़ 0.99%

बजट में दिखेगा जन सरोकार

कोरोना काल में 1 फरवरी 2021 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 का आम बजट पेश किया. सीएम जयराम ठाकुर भी इस कोरोना काल में 6 फरवरी को हिमाचल प्रदेश का बजट पेश करेंगे. कोरोना काल में हर क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है. खासकर आर्थिक मोर्चे पर लगभग हर तबके को हानि हुई है.

ऐसे में सरकार इस बार सरकार के बजट में जन सरोकार प्राथमिकता हो सकता है. सरकार ने प्रस्तावित बजट को 11 प्राथमिक क्षेत्रों में बांटा है. इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर परिवहन और संचार को सूची में सबसे पहले स्थान दिया है.

विकास बजट के मुताबिक प्राथमिकताएं

सरकार ने 2021-22 के प्रस्तावित बजट को 11 प्राथमिकता क्षेत्रों के आधार पर बांटा है. सरकार ने विकास कार्यों के लिए 13,174.45 करोड़ के वार्षिक विकास बजट को मंजूरी दी है. इसमें राज्य की हिस्सेदारी 9405.41 करोड़ जबकि केंद्रीय योजनाओं की हिस्सेदारी 3769.04 करोड़ रुपये होगी.

बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में वार्षिक विकास बजट को स्वीकृति दी गई. प्राथमिकताओं के हिसाब से सरकार ने सूची में सबसे पहले सामाजिक सेवाओं और परिवहन एवं संचार को रखा है जिनपर कुल बजट का 41.77 फीसदी और 25.64 फीसदी खर्च किया जाएगा.

प्राथमिकताक्षेत्र प्रस्तावित बजट(करोड़) फीसद
पहली सामाजिक सेवाएं 5503.0841.77
दूसरीपरिवहन एवं संचार 3376.5625.63
तीसरी कृषि व संबंधित क्षेत्र 1126.15 8.55
चौथी ऊर्जा 906.07 6.88
पांचवीं सामान्य आर्थिक सेवाएं 773.58 5.87
छठी ग्रामीण विकास 674.57 5.12
सातवीं सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 436.12 3.31
आठवींउद्योग एवं खनिज 177.32 1.34
नौवीं सामान्य सेवाएं 127.74 0.97
दसवींसाइंस टैक. एवं पर्यावरण 45.48 0.35
ग्यारहवीं विशेष क्षेत्र कार्यक्रम 27.78 0.21
कुल 13174 करोड़ 100


हिमाचल में बजट में दिखेगी केंद्रीय बजट की झलक

जयराम ठाकुर के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट की झलक भी दिख सकती है. दरअसल 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया था. उसमें सबसे ज्यादा ध्यान आम आदमी की सेहत का रखा गया था. कोरोना काल के इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा मिलना लाजमी था. स्वास्थ्य बजट में पिछले साल के मुकाबले 135 फीसदी का इजाफा हुआ और इसे 94 हजार करोड़ से 2.38 लाख करोड़ कर दिया गया.

स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए दिया जा सकता है बड़ा हिस्सा

कोरोना काल में ही सीएम जयराम ठाकुर भी हिमाचल का बजट पेश करने वाले हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा दिया जा सकता है. जिस तरह से विकास विकास बजट में सामाजिक सेवाओं को प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा गया है, उससे जाहिर है कि जयराम सरकार के बजट में इस बार जन सरोकार की झलक दिखेगी. पिछली बार ( वर्ष 2020-21) के बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र 394.75 करोड़ रूपए का प्रवाधान किया गया थी यह कुल बजट का करीब 6 प्रतिशत था.

बजट कैसे होता है खर्च ?

प्रदेश सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में खर्च होता है. इसके अलावा पिछले वित्तीय वर्षों में लिए गए कर्ज के ब्याज की अदायगी और कर्ज की आदयगी में भी बजट का एक बड़ा हिस्सा चुकाना पडता है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल बजट का 26.14 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी पर, 13.40 प्रतिशत पेंशन पर, 9.16 प्रतिशत कर्ज पर लगे ब्याज को चुकाने पर और 13.50 प्रतिशत कर्ज की किश्त चुकाने पर खर्च हुआ था.

2020-21 के बजट की बात करें तो कुल बजट का 30.20 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी पर, 14.71 प्रतिशत पेंशन पर, 10.04 प्रतिशत कर्ज पर लगे ब्याज को चुकाने पर और 6.19 प्रतिशत कर्ज की किश्त चुकाने पर खर्च हुआ था.

ये भी पढ़ेंः आईजीएमसी सुरक्षा गार्ड यूनियन के सदस्यों ने CM से की मुलाकात, रखी ये मांग

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आगामी 6 मार्च को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे. जयराम ठाकुर के बजट के पिटारे से प्रदेश का हर तबका आस लगाए बैठा है. कोरोना काल में हर क्षेत्र पर असर डाला. इसके बाद हर कोई बजट से उम्मीद लगाए बैठा है. इस बीच बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर ने की राज्य योजना बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता की.


बजट के लिए 9405.41 करोड़ रुपये का प्रावधान

प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के राज्य विकास बजट के लिए 9405.41 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है. इसे इस तरह से बांटा गया है.

कार्यक्रम विकास बजट कुल विकास बजट का प्रतिशत
सामान्य विकास कार्यक्रम 6096.70 करोड़ 64.82%
अनूसूचित जाति विकास कार्यक्रम2369.22 करोड़ 25.19%
अनुसूचित जनजाति विकास कार्यक्रम 846.49 करोड़ 9%
पिछड़े क्षेत्र विकास कार्यक्रम 93 करोड़ 0.99%

बजट में दिखेगा जन सरोकार

कोरोना काल में 1 फरवरी 2021 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 का आम बजट पेश किया. सीएम जयराम ठाकुर भी इस कोरोना काल में 6 फरवरी को हिमाचल प्रदेश का बजट पेश करेंगे. कोरोना काल में हर क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है. खासकर आर्थिक मोर्चे पर लगभग हर तबके को हानि हुई है.

ऐसे में सरकार इस बार सरकार के बजट में जन सरोकार प्राथमिकता हो सकता है. सरकार ने प्रस्तावित बजट को 11 प्राथमिक क्षेत्रों में बांटा है. इसमें स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर परिवहन और संचार को सूची में सबसे पहले स्थान दिया है.

विकास बजट के मुताबिक प्राथमिकताएं

सरकार ने 2021-22 के प्रस्तावित बजट को 11 प्राथमिकता क्षेत्रों के आधार पर बांटा है. सरकार ने विकास कार्यों के लिए 13,174.45 करोड़ के वार्षिक विकास बजट को मंजूरी दी है. इसमें राज्य की हिस्सेदारी 9405.41 करोड़ जबकि केंद्रीय योजनाओं की हिस्सेदारी 3769.04 करोड़ रुपये होगी.

बुधवार को सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में वार्षिक विकास बजट को स्वीकृति दी गई. प्राथमिकताओं के हिसाब से सरकार ने सूची में सबसे पहले सामाजिक सेवाओं और परिवहन एवं संचार को रखा है जिनपर कुल बजट का 41.77 फीसदी और 25.64 फीसदी खर्च किया जाएगा.

प्राथमिकताक्षेत्र प्रस्तावित बजट(करोड़) फीसद
पहली सामाजिक सेवाएं 5503.0841.77
दूसरीपरिवहन एवं संचार 3376.5625.63
तीसरी कृषि व संबंधित क्षेत्र 1126.15 8.55
चौथी ऊर्जा 906.07 6.88
पांचवीं सामान्य आर्थिक सेवाएं 773.58 5.87
छठी ग्रामीण विकास 674.57 5.12
सातवीं सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 436.12 3.31
आठवींउद्योग एवं खनिज 177.32 1.34
नौवीं सामान्य सेवाएं 127.74 0.97
दसवींसाइंस टैक. एवं पर्यावरण 45.48 0.35
ग्यारहवीं विशेष क्षेत्र कार्यक्रम 27.78 0.21
कुल 13174 करोड़ 100


हिमाचल में बजट में दिखेगी केंद्रीय बजट की झलक

जयराम ठाकुर के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट की झलक भी दिख सकती है. दरअसल 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया था. उसमें सबसे ज्यादा ध्यान आम आदमी की सेहत का रखा गया था. कोरोना काल के इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा मिलना लाजमी था. स्वास्थ्य बजट में पिछले साल के मुकाबले 135 फीसदी का इजाफा हुआ और इसे 94 हजार करोड़ से 2.38 लाख करोड़ कर दिया गया.

स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए दिया जा सकता है बड़ा हिस्सा

कोरोना काल में ही सीएम जयराम ठाकुर भी हिमाचल का बजट पेश करने वाले हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा दिया जा सकता है. जिस तरह से विकास विकास बजट में सामाजिक सेवाओं को प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा गया है, उससे जाहिर है कि जयराम सरकार के बजट में इस बार जन सरोकार की झलक दिखेगी. पिछली बार ( वर्ष 2020-21) के बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र 394.75 करोड़ रूपए का प्रवाधान किया गया थी यह कुल बजट का करीब 6 प्रतिशत था.

बजट कैसे होता है खर्च ?

प्रदेश सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में खर्च होता है. इसके अलावा पिछले वित्तीय वर्षों में लिए गए कर्ज के ब्याज की अदायगी और कर्ज की आदयगी में भी बजट का एक बड़ा हिस्सा चुकाना पडता है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल बजट का 26.14 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी पर, 13.40 प्रतिशत पेंशन पर, 9.16 प्रतिशत कर्ज पर लगे ब्याज को चुकाने पर और 13.50 प्रतिशत कर्ज की किश्त चुकाने पर खर्च हुआ था.

2020-21 के बजट की बात करें तो कुल बजट का 30.20 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों की सैलरी पर, 14.71 प्रतिशत पेंशन पर, 10.04 प्रतिशत कर्ज पर लगे ब्याज को चुकाने पर और 6.19 प्रतिशत कर्ज की किश्त चुकाने पर खर्च हुआ था.

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