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कंगाली के दौर में अचानक खुली सुखविंदर सरकार की ₹3.93 करोड़ की लॉटरी, सस्ते चौपर से तीन साल में होगी 11.80 करोड़ से अधिक की बचत

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Published : Jul 30, 2023, 6:45 PM IST

आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल सरकार की मानो जैसे लॉटरी लग गई है. सरकार ने 7 सीटर चौपर का सस्ता डील करने में कामयाबी हासिल हुई है. जिसकी वजह से सरकार को सालाना 3.93 करोड़ रुपए की बचत होगी. पढ़िए पूरी खबर...(Himachal government got cheap helicopter)(Agusta westland chopper)(Himachal CM Helicopter)

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शिमला: आर्थिक संकट में घिरी हिमाचल सरकार को भारी बारिश के कारण आई आपदा ने कंगाली के दौर में धकेल दिया. हिमाचल के लिए चारों तरफ से आपदा के समाचार आ रहे थे, लेकिन कंगाली के दौर में अचानक से सुखविंदर सिंह सरकार के लिए एक लॉटरी खुल गई. यह लॉटरी ₹3.93 करोड़ रुपए सालाना की है. सुखविंदर सिंह सरकार के लिए ये लॉटरी सस्ते चौपर के रूप में आई है. परिस्थितियां हिमाचल सरकार पर कुछ इस कदर मेहरबान हुई कि सरकार को सस्ता चौपर मिल गया.

सुक्खू सरकार को मिला सस्ता चौपर: पायलट की दो सीटों सहित पांच अन्य सीटों यानी कुल सात सीटों वाले इस चौपर का किराया ₹2.58 लाख प्रति घंटा है. इस तरह पुराने चौपर के मुकाबले ये ₹82 हजार प्रति घंटा सस्ता है. चौपर की लीज के नियमों के अनुसार सरकार को हर महीने चालीस घंटे की उड़ान का किराया भरना पड़ता है. इस तरह 82 हजार रुपए प्रति घंटा के हिसाब से ये रकम ₹32.80 लाख मासिक और सालाना के हिसाब से ₹3 करोड़, 93 लाख, 60 हजार रुपए बनता है. चूंकि चौपर तीन साल के लिए होगी और शर्तों के अनुसार तीन साल में किराया भी सेम रहेगा तो, राज्य सरकार को कुल 11 करोड़, 80 लाख, 80 हजार रुपए की बचत होगी.

हिमाचल सरकार के लिए खुली लॉटरी: हिमाचल सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही थी, उस पर भारी बारिश के कारण आई आपदा ने पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान कर दिया. कंगाली के दौर में चारों तरफ से आपदा के समाचार आ रहे थे, लेकिन एक मोर्चे पर हिमाचल सरकार के लिए अचानक से लॉटरी खुल गई. ये लॉटरी सस्ते चौपर के रूप में खुली है. चार महीने से सुखविंदर सिंह सरकार बिना हेलीकॉप्टर के थी. सरकार सस्ते चौपर की तलाश कर रही थी. इसके लिए तीन बार टेंडर आमंत्रित किए गए. चूंकि रेट अधिक था, इसलिए बात नहीं बनी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू चाहते थे कि कहीं से किसी भी तरह सस्ता चौपर मिल जाए. इसी बीच, एक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि सुखविंदर सिंह सरकार की लॉटरी लग गई.

हिमाचल को बड़े चौपर की जरुरत: आपदा के लिहाज से संवेदनशील पहाड़ी राज्य हिमाचल के लिए हालांकि बड़े चौपर की जरूरत है, लेकिन फिलहाल काम चलाने के लिए छोटा चौपर भी ठीक है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इसी चौपर में रविवार को चंबा के लिए रवाना हुए. पहले राज्य सरकार के पास जो चौपर था, उसका किराया 3.40 लाख रुपए प्रति घंटा था. अब किराया 2.58 लाख रुपए प्रति घंटा है. इस तरह सीधे-सीधे 82 हजार रुपए प्रति घंटे की बचत हुई है.

अगस्ता वैस्टलैंड कंपनी का ग्रैंड मॉडल: हिमाचल सरकार ने जो चौपर लिया है, वो अगस्ता वैस्टलैंड कंपनी का ग्रैंड मॉडल है. टेंडर में शामिल हुई एयर चार्टर सर्विस कंपनी ने ये चौपर प्रोवाइड करवाया है. बताया जा रहा है कि ये चौपर पहले अरब देशों में से एक देश के कोई शेख प्रयोग कर रहे थे. ये चौपर पहले सौ घंटे से कुछ अधिक उड़ान भर चुका है. इसकी मशीनरी नई लगाई गई है. यही कारण है कि हिमाचल को चौपर सस्ता पड़ा है. टेंडर में तय शर्तों के अनुसार राज्य सरकार इस चौपर को तीन साल तक प्रयोग करेगी. यह चौपर ट्विन इंजन वाला है.

सीएम का निर्देश, हर हाल में चाहिए सस्ता चौपर: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का अफसरशाही को साफ निर्देश था कि चौपर सस्ते से सस्ता ही लेना है. सीएम ने जीएडी को स्पष्ट कर दिया था कि चाहे बिना चौपर के रहना बड़े, लेकिन महंगे किराए वाला नहीं चाहिए. यही कारण था कि सरकार ने तीन-तीन बार टेंडर आमंत्रित किए. कंपनियां पहले तो अड़ियल रवैया अपनाती रही, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें मालूम हो गया कि हिमाचल सरकार किसी भी कीमत पर महंगा टेंडर पास नहीं करेगी. इस तरह मोलभाव चलता रहा और अंतत: सस्ते चौपर पर बात बन गई.

Himachal CM Helicopter: सुक्खू सरकार चाहे सस्ता चौपर, जानें सीएम के हेलीकॉप्टर पर कितना खर्च करती है सरकार ?

शिमला: आर्थिक संकट में घिरी हिमाचल सरकार को भारी बारिश के कारण आई आपदा ने कंगाली के दौर में धकेल दिया. हिमाचल के लिए चारों तरफ से आपदा के समाचार आ रहे थे, लेकिन कंगाली के दौर में अचानक से सुखविंदर सिंह सरकार के लिए एक लॉटरी खुल गई. यह लॉटरी ₹3.93 करोड़ रुपए सालाना की है. सुखविंदर सिंह सरकार के लिए ये लॉटरी सस्ते चौपर के रूप में आई है. परिस्थितियां हिमाचल सरकार पर कुछ इस कदर मेहरबान हुई कि सरकार को सस्ता चौपर मिल गया.

सुक्खू सरकार को मिला सस्ता चौपर: पायलट की दो सीटों सहित पांच अन्य सीटों यानी कुल सात सीटों वाले इस चौपर का किराया ₹2.58 लाख प्रति घंटा है. इस तरह पुराने चौपर के मुकाबले ये ₹82 हजार प्रति घंटा सस्ता है. चौपर की लीज के नियमों के अनुसार सरकार को हर महीने चालीस घंटे की उड़ान का किराया भरना पड़ता है. इस तरह 82 हजार रुपए प्रति घंटा के हिसाब से ये रकम ₹32.80 लाख मासिक और सालाना के हिसाब से ₹3 करोड़, 93 लाख, 60 हजार रुपए बनता है. चूंकि चौपर तीन साल के लिए होगी और शर्तों के अनुसार तीन साल में किराया भी सेम रहेगा तो, राज्य सरकार को कुल 11 करोड़, 80 लाख, 80 हजार रुपए की बचत होगी.

हिमाचल सरकार के लिए खुली लॉटरी: हिमाचल सरकार पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही थी, उस पर भारी बारिश के कारण आई आपदा ने पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान कर दिया. कंगाली के दौर में चारों तरफ से आपदा के समाचार आ रहे थे, लेकिन एक मोर्चे पर हिमाचल सरकार के लिए अचानक से लॉटरी खुल गई. ये लॉटरी सस्ते चौपर के रूप में खुली है. चार महीने से सुखविंदर सिंह सरकार बिना हेलीकॉप्टर के थी. सरकार सस्ते चौपर की तलाश कर रही थी. इसके लिए तीन बार टेंडर आमंत्रित किए गए. चूंकि रेट अधिक था, इसलिए बात नहीं बनी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू चाहते थे कि कहीं से किसी भी तरह सस्ता चौपर मिल जाए. इसी बीच, एक घटनाक्रम ऐसा हुआ कि सुखविंदर सिंह सरकार की लॉटरी लग गई.

हिमाचल को बड़े चौपर की जरुरत: आपदा के लिहाज से संवेदनशील पहाड़ी राज्य हिमाचल के लिए हालांकि बड़े चौपर की जरूरत है, लेकिन फिलहाल काम चलाने के लिए छोटा चौपर भी ठीक है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इसी चौपर में रविवार को चंबा के लिए रवाना हुए. पहले राज्य सरकार के पास जो चौपर था, उसका किराया 3.40 लाख रुपए प्रति घंटा था. अब किराया 2.58 लाख रुपए प्रति घंटा है. इस तरह सीधे-सीधे 82 हजार रुपए प्रति घंटे की बचत हुई है.

अगस्ता वैस्टलैंड कंपनी का ग्रैंड मॉडल: हिमाचल सरकार ने जो चौपर लिया है, वो अगस्ता वैस्टलैंड कंपनी का ग्रैंड मॉडल है. टेंडर में शामिल हुई एयर चार्टर सर्विस कंपनी ने ये चौपर प्रोवाइड करवाया है. बताया जा रहा है कि ये चौपर पहले अरब देशों में से एक देश के कोई शेख प्रयोग कर रहे थे. ये चौपर पहले सौ घंटे से कुछ अधिक उड़ान भर चुका है. इसकी मशीनरी नई लगाई गई है. यही कारण है कि हिमाचल को चौपर सस्ता पड़ा है. टेंडर में तय शर्तों के अनुसार राज्य सरकार इस चौपर को तीन साल तक प्रयोग करेगी. यह चौपर ट्विन इंजन वाला है.

सीएम का निर्देश, हर हाल में चाहिए सस्ता चौपर: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का अफसरशाही को साफ निर्देश था कि चौपर सस्ते से सस्ता ही लेना है. सीएम ने जीएडी को स्पष्ट कर दिया था कि चाहे बिना चौपर के रहना बड़े, लेकिन महंगे किराए वाला नहीं चाहिए. यही कारण था कि सरकार ने तीन-तीन बार टेंडर आमंत्रित किए. कंपनियां पहले तो अड़ियल रवैया अपनाती रही, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें मालूम हो गया कि हिमाचल सरकार किसी भी कीमत पर महंगा टेंडर पास नहीं करेगी. इस तरह मोलभाव चलता रहा और अंतत: सस्ते चौपर पर बात बन गई.

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