शिमला: गुरुवार को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में आबकारी एवं कराधान विभाग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के लीगेसी मामलों के समाधान को मंजूरी प्रदान की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना लंबित एरियर के समाधान के साथ-साथ वस्तु एवं सेवा कर के तहत निर्धारित कराधान कानूनों के लंबित आकलनों के निपटान के लिए जमा होने वाले किसी भी बकाया के लिए लागू होगी.
इस योजना से मूल्यांकन के मामलों और मुकदमों के तहत बकाया न मिलने वाले लंबित मुद्दों के निपटारे में तेजी आने की उम्मीद है. जयराम ठाकुर ने कहा कि गुजरात, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने जीएसटी लागू करने के बाद लंबित मामलों के समाधान के लिए बंदोबस्त योजना शुरू की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन राज्यों ने कुछ मौजूदा कानूनों के अंतर्गत बंदोबस्त योजना को रखा है. केंद्र सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के लंबित मामलों के निपटारे के लिए सबका विकास योजना 2019 (लीगेसी विवाद समाधान) में शुरू की थी.
सीएम ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाओं से आवेदकों को प्रतिरक्षण और प्रोत्साहन मिला है. महाराष्ट्र में करों पर 50 प्रतिशत, जुर्माने में 90 प्रतिशत और ब्याज में 95 प्रतिशत छूट दी गई है. इसके साथ ही कर्नाटक ने जुर्माने की बकाया और ब्याज में 90 प्रतिशत छूट दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने योजना के तहत 40 से 70 प्रतिशत के बकाया करों में छूट देने के अतिरिक्त अभियोजन में भी पूर्ण रूप से छूट प्रदान की है.
जयराम ठाकुर ने कहा कि लगभग 3500 करोड़ के बकाया और तीन लाख मूल्यांकन के मामले लंबित पड़े हैं. इस योजना से लगभग 620 से 670 करोड़ तक का राजस्व प्राप्त होगा और यह योजना वर्तमान के सभी डिफॉल्टर्स के लिए लागू होगी. इस योजना से सभी लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए मानवशक्ति उपलब्ध होगी, जिसके परिणामस्वरूप जीएसटी के अनुपालन में सुधार होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में भुगतान शुल्क का प्रावधान किया गया है.
उन्होंने कहा कि घोषक को कर भुगतान के लिए निपटान शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता होती है और रिटर्न कर के भुगतान में जहां देरी होती है, वहां 10 प्रतिशत की दर से भुगतान किया जाता है. इसके साथ ही जहां कोई रिटर्न दाखिल नहीं किया गया है और वैधानिक रूप (सीएफएच इत्यादि) शामिल व प्रस्तुत नहीं किए गए है, उन मामलों में 110 प्रतिशत कर देना होता है. उन्होंने कहा कि सेटलमेंट योजना के तहत घोषणा-पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल, 2020 होगी.