शिमला: आर्थिक संकट से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश को अगले साल मार्च में शानन बिजली प्रोजेक्ट वापस मिलने की उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं. सुखविंदर सरकार को आशा है कि इस मामले में केंद्र हिमाचल का साथ देगा. राज्य सरकार ने इस बारे में संबंधित मंत्रालयों से पत्राचार किया है. जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़े तो, उसके लिए भी हिमाचल सरकार ने तैयारी की हुई है. हिमाचल ने अपने हक को हासिल करने के लिए दस्तावेज भी तैयार किए हुए हैं. राज्य सरकार को सूचना मिली है कि केंद्र ने पत्र लिखकर शानन बिजली घर को लेकर पंजाब से अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है. ये हिमाचल के लिए एक सकारात्मक संकेत है.
उल्लेखनीय है कि मार्च 2024 में शानन प्रोजेक्ट की 99 साल की लीज खत्म हो रही है. लीज के प्रावधानों के बाद ये प्रोजेक्ट हिमाचल को वापिस मिलना है. इस बिजलीघर से 200 करोड़ रुपए सालाना की कमाई होती है. इस कमाऊ पूत को छोड़ने के लिए पंजाब भी आसानी से तैयार नहीं होगा. फिलहाल, अब हिमाचल सरकार की नजरें केंद्र के रुख और पंजाब के जवाब पर टिक गई हैं.हिमाचल सरकार की मांग पर केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने लीज अवधि से जुड़े कानूनी पहलुओं को लेकर विधि मंत्रालय से सलाह ली है. उसके बाद पंजाब सरकार से जवाब लिया जा रहा है. पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत केंद्र सरकार अपना मत रखेगी.
गौरतलब है कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू शानन प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय उर्जा मंत्री से चर्चा कर चुके हैं. शानन प्रोजेक्ट ब्रिटिश काल का है. तब मंडी के राजा ने इस प्रोजेक्ट को लेकर एक समझौता साइन किया था. अभी हिमाचल सरकार ने भी इस बारे में पंजाब सरकार को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन इनका कोई लिखित जवाब अभी तक पड़ौसी राज्य से नहीं मिला है. उसके बाद हिमाचल सरकार ने केंद्र से इस मामले में हस्तक्षेप के लिए कहा और सारा रिकार्ड केंद्रीय मंत्रालय को भेजा है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद इस मामले में रुचि ले रहे हैं. वे चाहते हैं कि हर हाल में लीज अवधि पूरी होते ही हिमाचल को उसका हक मिल जाए. कारण ये है कि हिमाचल सरकार 200 करोड़ रुपए सालाना की आय को किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहती.
सीएम सुखविंदर सिंह ने पहले दिल्ली में केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह से चर्चा की. फिर आरके सिंह जून 2023 में हिमाचल दौरे पर आए और उनकी सीएम सुक्खू से बैठक भी हुई. आरके सिंह किन्नौर दौरे पर आए थे. उस समय भी आरके सिंह को राज्य सरकार ने इस बिजली प्रोजेक्ट को लेकर सारी वस्तुस्थिति समझाई थी. हिमाचल ने अपने हक में तर्क दिए थे. फिर ऊर्जा क्षेत्र में सीएम सुखविंदर सिंह के प्रधान सलाहकार रामसुभग सिंह भी आरके सिंह से मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंचे थे.
राजा जोगेंद्र सेन ने शानन प्रोजेक्ट के लिए दिलवाई थी जमीन: शानन प्रोजेक्ट के लिए मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने जमीन लीज पर उपलब्ध करवाई थी. समझौते के अनुसार 99 साल बाद ये प्रोजेक्ट उसी धरती की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित है. आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था. बाद में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन प्रोजेक्ट पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा. पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के तहत इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को ट्रांसफर किया था. ऊहल नदी पर बना शानन प्रोजेक्ट अंग्रेजों के समय 1932 में सिर्फ 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला था. बाद में इसकी कैपेसिटी को पंजाब बिजली बोर्ड ने बढ़ाया. शुरू होने के पचास साल बाद यानी वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट उत्पादन वाला बनाया गया. फिर इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई. अब ये 110 मेगावाट का है.
कानूनी पहलू के हिसाब से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश की स्थिति तर्कों के लिहाज से मजबूत है. हिमाचल का तर्क है कि पूर्व में आजादी से पहले ब्रिटिश इंडिया सरकार का उत्तराधिकार अब केंद्र सरकार का है. वहीं, मंडी के राजा, जिन्होंने समझौता किया था, अब उसका कानूनी वारिस का हक हिमाचल सरकार का बनता है. हिमाचल सरकार चाहती है कि यदि बात कानूनी लड़ाई तक पहुंचे तो पहले पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाए. ऐसे में हिमाचल के पास सुप्रीम कोर्ट में अपने तर्क रखने का अवसर आएगा और राज्य सरकार ये कह सकेगी कि मालिकाना हक होने के बाद भी शानन प्रोजेक्ट उसे वापिस नहीं किया जा रहा.
सुखविंदर सिंह सरकार ने ये स्पष्ट कर दिया है कि लीज पर दी गई संपत्ति का मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं हो सकता. यही कारण है कि हिमाचल सरकार खुद पहल करते हुए शानन प्रोजेक्ट वापसी के लिए अदालत नहीं जाना चाहती. क्योंकि हिमाचल का ये तर्क इग्नोर नहीं किया जाएगा कि लीज संपत्ति का मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं हो सकता. कुल मिलाकर हिमाचल का पलड़ा मजबूत है. पूर्व में शानन प्रोजेक्ट पंजाब बिजली बोर्ड को इसलिए ट्रांसफर हुआ था. क्योंकि वर्ष 1966 में हिमाचल में राज्य बिजली बोर्ड अस्तित्व में नहीं था. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि लीज अवधि पूरी होने पर शानन प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलना तय है. हिमाचल का पक्ष मजबूत है.