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CM के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने दूसरे दिन भी सदन से किया वॉकआउट, संस्थानों की खोलने की उठाई मांग - हिमाचल बजट सत्र का दूसरा दिन

हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र के दूसरे दिन पूर्व की सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों को सुक्खू सरकार द्वारा बंद करने को लेकर चर्चा की गई. जिसपर विपक्ष को मख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया. पढ़ें पूरी खबर...

विपक्ष ने दूसरे दिन भी सदन से किया वॉकआउट.
विपक्ष ने दूसरे दिन भी सदन से किया वॉकआउट.
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Published : Mar 15, 2023, 8:25 PM IST

Updated : Mar 15, 2023, 8:35 PM IST

हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने सदन से किया वॉकआउट.

शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र दूसरे दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मंगलवार को विपक्ष की ओर से प्रदेश में बंद किए गए संस्थानों को लेकर नियम 67 के तहत चर्चा का प्रस्ताव रखा गया. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हालांकि चर्चा की अनुमति दी गई. सुबह से ही आज इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया. विपक्ष ने जहां संस्थान बंद करने को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया. वहीं, सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा बिना बजट के इन संस्थानों को खोलने के आरोप लगाए.

विपक्ष द्वारा सभी संस्थानों को दोबारा से खोलने की मांग की गई. वहीं, जब मख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस पर जवाब देने लगे तो विपक्ष ने सदन में नारेबाजी करना शुरू कर दिया और सदन से वॉकआउट कर बाहर आ गए. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही बदले की भावना से प्रदेश में संस्थानों को बंद किया, जबकि लोगों की मांग पर ही इन संस्थानों को खोला गया था. इसको लेकर आज विपक्ष द्वारा काम रोको प्रस्ताव के तहत नियम 67 के तहत सदन में चर्चा हुई, लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया.

सरकार से मांग की गई कि जितने भी संस्थानों को बंद किया गया है, उन्हें दोबारा खोला जाए और उसके बाद रिव्यू किया जाए. यदि सरकार को लगता है की इन्हें बंद करना चाहिए तो बंद करें, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही एक दम से सभी संस्थानों को बंद कर दिया. जबकि सरकार के पास किसी भी संस्थानों को ऐसे बंद करने का अधिकार नहीं है. पूर्व की सरकार ने लोगों की सहूलियत के लिए ये संस्थान खोले थे, लेकिन सरकार ने बदले की भावना से काम करना शुरू किया और संस्थान बंद कर दिए.

उन्होंने कहा कि जब भाजपा सत्ता में आई थी तो बदले की भावना से काम करना बंद कर दिया था और पूर्व की सरकार ने जो भी फैसले लिए थे किसी भी फैसले को नहीं बदला गया था, लेकिन इस सरकार में फिर से वही रिवायत शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो संस्थान बंद किए गए है पहले उन्हें खोला जाए और उसके बाद सरकार उन्हें रिव्यू करे. यदि सरकार को लगता है कि इन संस्थानों को बिना जरूरत के खोला गया है तो फैसला ले.

ये भी पढ़ें: जब चुराह के विधायक डॉ. हंसराज ने दी सदन में आमरण अनशन की चेतावनी, संस्थान बंद करने पर घेरी सुक्खू सरकार

हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र के दूसरे दिन भी विपक्ष ने सदन से किया वॉकआउट.

शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र दूसरे दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मंगलवार को विपक्ष की ओर से प्रदेश में बंद किए गए संस्थानों को लेकर नियम 67 के तहत चर्चा का प्रस्ताव रखा गया. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा हालांकि चर्चा की अनुमति दी गई. सुबह से ही आज इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया. विपक्ष ने जहां संस्थान बंद करने को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास किया. वहीं, सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा बिना बजट के इन संस्थानों को खोलने के आरोप लगाए.

विपक्ष द्वारा सभी संस्थानों को दोबारा से खोलने की मांग की गई. वहीं, जब मख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस पर जवाब देने लगे तो विपक्ष ने सदन में नारेबाजी करना शुरू कर दिया और सदन से वॉकआउट कर बाहर आ गए. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही बदले की भावना से प्रदेश में संस्थानों को बंद किया, जबकि लोगों की मांग पर ही इन संस्थानों को खोला गया था. इसको लेकर आज विपक्ष द्वारा काम रोको प्रस्ताव के तहत नियम 67 के तहत सदन में चर्चा हुई, लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया.

सरकार से मांग की गई कि जितने भी संस्थानों को बंद किया गया है, उन्हें दोबारा खोला जाए और उसके बाद रिव्यू किया जाए. यदि सरकार को लगता है की इन्हें बंद करना चाहिए तो बंद करें, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही एक दम से सभी संस्थानों को बंद कर दिया. जबकि सरकार के पास किसी भी संस्थानों को ऐसे बंद करने का अधिकार नहीं है. पूर्व की सरकार ने लोगों की सहूलियत के लिए ये संस्थान खोले थे, लेकिन सरकार ने बदले की भावना से काम करना शुरू किया और संस्थान बंद कर दिए.

उन्होंने कहा कि जब भाजपा सत्ता में आई थी तो बदले की भावना से काम करना बंद कर दिया था और पूर्व की सरकार ने जो भी फैसले लिए थे किसी भी फैसले को नहीं बदला गया था, लेकिन इस सरकार में फिर से वही रिवायत शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो संस्थान बंद किए गए है पहले उन्हें खोला जाए और उसके बाद सरकार उन्हें रिव्यू करे. यदि सरकार को लगता है कि इन संस्थानों को बिना जरूरत के खोला गया है तो फैसला ले.

ये भी पढ़ें: जब चुराह के विधायक डॉ. हंसराज ने दी सदन में आमरण अनशन की चेतावनी, संस्थान बंद करने पर घेरी सुक्खू सरकार

Last Updated : Mar 15, 2023, 8:35 PM IST
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