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HC ने स्कूल को दिये छात्रों की फीस माफ करने के आदेश, मुलभूत सुविधाओं की कमी के चलते गिरी गाज

प्रदेश हाईकोर्ट ने धौलपुर स्थित अवर लेडी ऑफ स्नो किंडरगार्टन स्कूल को छात्रों की फीस वापस करने के आदेश दिये हैं. स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते ये आदेश जारी किये गए हैं. हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्कूल को लगभग 240 छात्रों की फीस वापिस करनी होगी.

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Published : Jun 25, 2019, 11:56 PM IST

हाईकोर्ट, हिमाचल प्रदेश.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने कुल्लू जिला के धौलपुर में स्थित अवर लेडी ऑफ स्नो किंडरगार्टन स्कूल को छात्रों की फीस वापिस करने के आदेश दिये हैं. कोर्ट ने ये आदेश स्कूल में छात्रों को मिल रही मूलभूत सुविधाओं देखते हुए दिए हैं, ताकि ये छात्र किसी अन्य स्कूल में दाखिला ले सकें.

कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल को लगभग 240 बच्चों को उनकी फीस वापिस करनी होगी. मुख्य न्यायाधीश रामा सुब्रमनियन व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने स्कूल प्रशासन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए.

गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2019 को पारित हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर कुल्लू द्वारा स्कूल को बंद करने पर जारी नोटिस पर फिलहाल स्थगन आदेश तो पारित कर दिया था. इसके साथ ही न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू को यह आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल परिसर जाकर इस बाबत निरीक्षण करें कि क्या राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप स्कूल में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई है या नहीं.

न्यायालय ने सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू द्वारा न्यायालय के समक्ष सौंपी रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि स्कूल में स्टाफ, भवन, पुस्तकालय, हर दिन शिक्षा देने के लिए निर्धारित घंटों, बच्चों की शारीरिक सुरक्षा बाबत किसी भी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है. रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को जारी अपने स्थगन आदेशों से रोक हटाते हुए स्कूल को छात्रों की फीस माफ करने के आदेश पारित कर दिए.

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने कुल्लू जिला के धौलपुर में स्थित अवर लेडी ऑफ स्नो किंडरगार्टन स्कूल को छात्रों की फीस वापिस करने के आदेश दिये हैं. कोर्ट ने ये आदेश स्कूल में छात्रों को मिल रही मूलभूत सुविधाओं देखते हुए दिए हैं, ताकि ये छात्र किसी अन्य स्कूल में दाखिला ले सकें.

कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल को लगभग 240 बच्चों को उनकी फीस वापिस करनी होगी. मुख्य न्यायाधीश रामा सुब्रमनियन व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने स्कूल प्रशासन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए.

गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2019 को पारित हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर कुल्लू द्वारा स्कूल को बंद करने पर जारी नोटिस पर फिलहाल स्थगन आदेश तो पारित कर दिया था. इसके साथ ही न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू को यह आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल परिसर जाकर इस बाबत निरीक्षण करें कि क्या राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप स्कूल में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई है या नहीं.

न्यायालय ने सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू द्वारा न्यायालय के समक्ष सौंपी रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि स्कूल में स्टाफ, भवन, पुस्तकालय, हर दिन शिक्षा देने के लिए निर्धारित घंटों, बच्चों की शारीरिक सुरक्षा बाबत किसी भी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है. रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को जारी अपने स्थगन आदेशों से रोक हटाते हुए स्कूल को छात्रों की फीस माफ करने के आदेश पारित कर दिए.

प्रदेश हाई कोर्ट ने कुल्लू जिला के धौलपुर में स्थित अवर लेडी ऑफ स्नो किंडरगार्टन स्कूल में मूलभूत सुविधाओं के कारण वहां पढ़ने वाले  लगभग 240 बच्चों को उनकी फीस वापस करने के आदेश जारी किए हैं। ताकि वे किसी अन्य स्कूल में दाखिला ले सकें। मुख्य न्यायाधीश रामा सुब्रमनियन व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने स्कूल प्रशासन द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए। गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2019 को पारित हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर कुल्लू द्वारा स्कूल को बंद करने बाबत जारी नोटिस पर फिलहाल स्थगन आदेश तो पारित कर दिया था।  मगर साथ ही न्यायालय ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू को यह आदेश जारी किए थे कि वह स्कूल परिसर जाकर इस बाबत निरीक्षण करें कि क्या राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप स्कूल में मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई है या नहीं। न्यायालय ने सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुल्लू द्वारा न्यायालय के समक्ष सौंपी रिपोर्ट का अवलोकन करने के पश्चात यह पाया कि स्कूल में स्टाफ, भवन, पुस्तकालय, हर दिन  शिक्षा देने के लिए  निर्धारित घण्टो,  बच्चों की शारीरिक सुरक्षा बाबत किसी भी तरह का इंतजाम नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को जारी अपने स्थगन आदेशों से रोक हटाते हुए उपरोक्त आदेश पारित कर दिए।  
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