शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने भरी अदालत में प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने सख्त शब्दों में कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षकों की भर्ती व प्रमोशन नियमों को संविधान संशोधन जैसा जटिल काम समझती है.
मामला प्रदेशभर के स्कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े हजारों पदों से जुड़ा है. इसी मामले में सरकार की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. उल्लेखनीय है कि बीते 26 जून को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए थे कि शिक्षकों से जुड़े भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आरएंडपी रूल्स) में आठ हफ्ते के भीतर संशोधन कर नियमों के आधार पर शिक्षकों की भर्ती की जाए.
शिक्षकों से जुड़े भर्ती एवं पदोन्नति नियमों में संशोधन के लिए राज्य सरकार ने इस बार फिर से तीन महीने का समय मांगा. इसी पर हाईकोर्ट ने भरी अदालत में टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या राज्य सरकार भर्ती एवं प्रमोशन नियमों में संशोधन करने के लिए संविधान में संशोधन करने जितना जटिल कार्य कर रही है.
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी व न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह स्कूलों में खाली पड़े पदों को इसी शैक्षणिक सत्र में भरे और अगले शैक्षणिक सत्र का इंतजार न किया जाए.
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को ये बताया गया कि 31 जुलाई 2019 तक जेबीटी, एलटी, शास्त्री, टीजीटी आर्ट्स, टीजीटी नॉन मेडिकल व टीजीटी मेडिकल के कुल 4491 पद खाली पड़े थे. इसी तरह 736 पद 31 जुलाई 2019 तक रिटायरमेंट व प्रमोशन की वजह से खाली हो गए थे.
कुल 3132 शिक्षकों के पदों को भरने के लिए प्रक्रिया जारी है. सरकार ने बताया कि 2095 पदों को भरने के लिए पहले ही जरूरी स्वीकृति ले ली गई है. मामले पर सुनवाई आगामी 25 नवंबर को निर्धारित की गई है.
गौरतलब है कि शिक्षा सचिव ने शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को बताया था कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षकों के 14,354 पद खाली हैं. इसमें से प्राथमिक स्कूलों में टीचर्स के 25293 स्वीकृत पदों में से 1754 पद खाली हैं. इसी तरह अप्पर प्राइमरी वर्ग में अध्यापकों के 16185 स्वीकृत पदों में से 2499 पद खाली हैं. सी एंड वी वर्ग के 16901 स्वीकृत पदों में से 5277 पद खाली हैं.