शिमला :जिला शिमला के सिविल अस्पताल रोहड़ू में नर्सिज व फार्मासिस्ट के खाली पड़े पदों को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने अस्पताल में खाली पदों के कारण मरीजों को हो रही परेशानी पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव को अदालत में तलब किया है.
25 मई को बुलाया कोर्ट ने: हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 25 मई को तय की है. उल्लेखनीय है कि रोहड़ू अस्पताल में नर्सिज व पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को लेकर मीडिया में आई खबरों पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव सहित हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के निदेशक व रोहड़ू के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर यानी बीएमओ को भी मामले में प्रतिवादी बनाया है.
मरहम पट्टी के लिए स्टाफ उपलब्ध नहीं: मीडिया में आई खबरों के अनुसार रोहड़ू सिविल अस्पताल में नर्सिज व फार्मासिस्ट की कमी से मरीजों को सामान्य उपचार के लिए भी भटकना पड़ता है. मामूली मरहम पट्टी के लिए भी पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध नहीं होता. कारण ये है कि अभी नर्सिज के 31 में से केवल 14 ही पद भरे हुए हैं. यानी कुल 17 पद खाली हैं. इसी तरह फार्मासिस्ट के कुल पद 9 हैं, लेकिन मौजूदा समय में केवल 3 फार्मासिस्ट ही सेवाएं दे रहे हैं.
400 से ज्यादा रोज मरीज आते: फार्मासिस्ट के यहां 6 पद रिक्त पड़े हुए हैं. सामान्य समय में सिविल अस्पताल रोहड़ू में एक दिन में 400 से 500 मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं. यदि किसी दिन कोई नर्स या फार्मासिस्ट अवकाश पर रहता है तो ऐसे में डॉक्टर्स को खुद ही मरहम पट्टी करनी पड़ती है. स्थानीय नागरिकों ने कई बार सिविल अस्पताल में इन पदों को भरने के लिए सरकार के समक्ष पुकार की, लेकिन खाली पद नहीं भरे गए. हाईकोर्ट की तरफ से मामले में स्वत: संज्ञान लेने के बाद अब स्थानीय जनता को अस्पताल के अच्छे दिन आने की आस बंधी है.
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