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सुप्रीम कोर्ट में एसएमसी शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई 8 अक्टूबर तक टली

सुप्रीम कोर्ट में एसएमसी शिक्षकों द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई 8 अक्टूबर के लिए टल गई है. सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वह भी हाईकोर्ट के फैसले को एसएलपी के माध्यम से चुनौती देना चाहती है. सरकार के इस वक्तव्य के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला 8 अक्टूबर को कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए.

CMC teachers case in Supreme Court
CMC teachers case in Supreme Court
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Published : Sep 24, 2020, 6:32 PM IST

शिमला: स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है. गुरुवार को इस मामले को लेकर सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने एसएमसी शिक्षकों द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई 8 अक्टूबर के लिए टाल दी है.

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वह भी हाईकोर्ट के फैसले को एसएलपी के माध्यम से चुनौती देना चाहती है. सरकार के इस वक्तव्य के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला 8 अक्टूबर को कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया था.

मामले के अनुसार प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों ने सरकार द्वारा स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां को प्रदेश हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि एसएमसी शिक्षकों की नियुक्ति गैरकानूनी है और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है.

प्रार्थियों की यह भी दलील थी कि एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत है. इससे सभी को समान अवसर जैसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. दूसरी तरफ एसएमसी अध्यापकों का कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रूकावट के अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनका चयन प्रदेश सरकार द्वारा नियमों के तहत किया गया है.

कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर नियमों के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां करे. इन आदेशों को एसएमसी पीरियड बेस अध्यापकों के संघ व कुछ एसएमसी अधयापकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

राज्य सरकार दूसरी बार पहुंची हाईकोर्ट

उधर, हाईकोर्ट में भी इसी मामले को लेकर सरकार के आवेदन पर सुनवाई हुई. सरकार ने हाईकोर्ट से फैसले पर अमल करने के लिए अधिकतम एक वर्ष का समय मांगा. सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाधित सेवाएं दे रहे हैं.

इसलिए मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी है. सुनवाई के दौरान इन नियुक्तियों को चुनौती देने वाले प्रार्थियों की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में भी आज इस मामले को लेकर सुनवाई हो रही है, जिस कारण कोर्ट ने सरकार के आवेदन पर सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी.

शिमला: स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है. गुरुवार को इस मामले को लेकर सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने एसएमसी शिक्षकों द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई 8 अक्टूबर के लिए टाल दी है.

सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वह भी हाईकोर्ट के फैसले को एसएलपी के माध्यम से चुनौती देना चाहती है. सरकार के इस वक्तव्य के पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला 8 अक्टूबर को कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश दिए. उल्लेखनीय है हाईकोर्ट ने इन अध्यापकों की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया था.

मामले के अनुसार प्रार्थी कुलदीप कुमार व अन्यों ने सरकार द्वारा स्टॉप गैप अरेंजमेंट के नाम पर एसएमसी भर्तियां को प्रदेश हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि एसएमसी शिक्षकों की नियुक्ति गैरकानूनी है और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना है.

प्रार्थियों की यह भी दलील थी कि एसएमसी शिक्षकों की भर्तियां भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के विपरीत है. इससे सभी को समान अवसर जैसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. दूसरी तरफ एसएमसी अध्यापकों का कहना था कि वे वर्ष 2012 से हिमाचल के अति दुर्गम क्षेत्रों में बिना किसी रूकावट के अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उनका चयन प्रदेश सरकार द्वारा नियमों के तहत किया गया है.

कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्य सरकार 6 महीने के भीतर नियमों के तहत अध्यापकों की नियुक्तियां करे. इन आदेशों को एसएमसी पीरियड बेस अध्यापकों के संघ व कुछ एसएमसी अधयापकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.

राज्य सरकार दूसरी बार पहुंची हाईकोर्ट

उधर, हाईकोर्ट में भी इसी मामले को लेकर सरकार के आवेदन पर सुनवाई हुई. सरकार ने हाईकोर्ट से फैसले पर अमल करने के लिए अधिकतम एक वर्ष का समय मांगा. सरकार का कहना है कि एसएमसी अध्यापक दुर्गम क्षेत्रों में कोरोना काल के दौरान भी निर्बाधित सेवाएं दे रहे हैं.

इसलिए मौजूदा कोरोना संकट को देखते हुए इनकी सेवाएं फिलहाल जरूरी है. सुनवाई के दौरान इन नियुक्तियों को चुनौती देने वाले प्रार्थियों की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में भी आज इस मामले को लेकर सुनवाई हो रही है, जिस कारण कोर्ट ने सरकार के आवेदन पर सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी.

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