ETV Bharat / state

2006 से पहले हिमाचल में रिटायर पेंशनर्स को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2006 से पहले रिटायर पेंशनधारियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट किया कि न्यूनतम 20 वर्ष का सेवाकाल पूरा करने वाले कर्मचारी भी पूरी पेंशन लेने के हकदार होंगे. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने केपी नायर द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए यह व्यवस्था दी.

HC shimla
HC shimla
author img

By

Published : Sep 2, 2020, 9:51 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2006 से पहले रिटायर पेंशनधारियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट किया कि न्यूनतम 20 वर्ष का सेवाकाल पूरा करने वाले कर्मचारी भी पूरी पेंशन लेने के हकदार होंगे. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने केपी नायर द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए यह व्यवस्था दी.

प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार एक कृत्रिम कट ऑफ डेट के आधार पर पेंशनधारकों में भेद नहीं कर सकती. ज्ञात रहे कि सरकार ने वर्ष 2006 में एक फैसले के तहत पूर्ण पेंशन के लिए जरूरी सेवा 33 वर्ष से घटा कर 20 वर्ष कर दी थी.

इससे पहले यदि कोई कर्मचारी 33 वर्ष से कम कार्यकाल में रिटायर होता था, तो उनकी पेंशन सेवाकाल के वर्षों के आधार पर तय की जाती थी. वर्ष 2009 में जारी अधिसूचना के तहत 01.01.2006 के बाद पूर्ण पेंशन के लिए 33 वर्ष के कार्यकाल की शर्त को खत्म करते हुए इसे 20 वर्ष कर दिया गया था, लेकिन यह भी कह दिया था कि यह नया प्रावधान केवल 2006 के बाद रिटायर होने वाले पेंशनरों के लिए लागू होगा.

याचिकाकर्ता जो 2006 से पहले का पेंशनर था ने उपर्युक्त शर्त को भेदभावपूर्ण और अनुच्छेद 14 के उल्लंघन के रूप में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि 2006 के पूर्व के पेंशनर्स भी सरकार द्वारा घोषित लाभ के हकदार हैं और उनकी पेंशन को 1.01.2006 के प्रभाव से अनुपात आधार पर कम नहीं किया जा सकता है. संपूर्ण रूप से पेंशनभोगी एक समरूप वर्ग बनाते हैं और उनसे कृत्रिम कट ऑफ डेट के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें: प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर, हिमाचल में बनेंगे 10 नए इंडोर खेल स्टेडियम

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2006 से पहले रिटायर पेंशनधारियों को बड़ी राहत देते हुए स्पष्ट किया कि न्यूनतम 20 वर्ष का सेवाकाल पूरा करने वाले कर्मचारी भी पूरी पेंशन लेने के हकदार होंगे. न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने केपी नायर द्वारा दायर याचिका को स्वीकारते हुए यह व्यवस्था दी.

प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार एक कृत्रिम कट ऑफ डेट के आधार पर पेंशनधारकों में भेद नहीं कर सकती. ज्ञात रहे कि सरकार ने वर्ष 2006 में एक फैसले के तहत पूर्ण पेंशन के लिए जरूरी सेवा 33 वर्ष से घटा कर 20 वर्ष कर दी थी.

इससे पहले यदि कोई कर्मचारी 33 वर्ष से कम कार्यकाल में रिटायर होता था, तो उनकी पेंशन सेवाकाल के वर्षों के आधार पर तय की जाती थी. वर्ष 2009 में जारी अधिसूचना के तहत 01.01.2006 के बाद पूर्ण पेंशन के लिए 33 वर्ष के कार्यकाल की शर्त को खत्म करते हुए इसे 20 वर्ष कर दिया गया था, लेकिन यह भी कह दिया था कि यह नया प्रावधान केवल 2006 के बाद रिटायर होने वाले पेंशनरों के लिए लागू होगा.

याचिकाकर्ता जो 2006 से पहले का पेंशनर था ने उपर्युक्त शर्त को भेदभावपूर्ण और अनुच्छेद 14 के उल्लंघन के रूप में हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने प्रार्थी की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि 2006 के पूर्व के पेंशनर्स भी सरकार द्वारा घोषित लाभ के हकदार हैं और उनकी पेंशन को 1.01.2006 के प्रभाव से अनुपात आधार पर कम नहीं किया जा सकता है. संपूर्ण रूप से पेंशनभोगी एक समरूप वर्ग बनाते हैं और उनसे कृत्रिम कट ऑफ डेट के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें: प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर, हिमाचल में बनेंगे 10 नए इंडोर खेल स्टेडियम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.