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HC की सरकार को सलाह, 500 कर्मियों से अधिक के विभागों को बनाएं ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी - ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी न्यूज

प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह अपने 500 कर्मचारियों से अधिक के विभाग, बोर्ड अथवा कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के स्थानांतरण हेतु ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी तैयार कर उसे लागू करे.

HC on online transfer policy
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Published : Mar 18, 2020, 9:27 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह अपने 500 कर्मचारियों से अधिक के विभाग, बोर्ड अथवा कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के स्थानांतरण हेतु ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी तैयार कर उसे लागू करे. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने पड़ोसी राज्य हरियाणा की तबादला नीति का उदाहरण देते हुए सरकार को उपरोक्त सलाह दी.

कोर्ट ने वन विभाग में कार्यरत फॉरेस्ट गार्ड सुनीता देवी के तबादला आदेशों को रद्द करते हुए चिंता व्यक्त की कि कोर्ट विभिन्न फैसलों के बावजूद सरकार लगातार अपने कर्मचारियों के तबादला संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 सहित अदालती दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही है. इस कारण प्रभावित कर्मचारियों को पहले ट्रिब्यूनल के समक्ष जाना पड़ता था और अब ट्रिब्यूनल बंद होने पर हाईकोर्ट में याचिकायें दायर करनी पड़ रही है. तबादलों से जुड़ी अवांछित याचिकाओं के कारण हाईकोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद हो रहा है.

मामले के अनुसार वन मंत्री द्वारा याचिकाकर्ता सुनीता देवी की तबादला प्रक्रिया न केवल शुरू की परन्तु उस पर अंतिम निर्णय भी दिया. वन मंत्री की इस सक्रियता के कारण विभागाध्यक्ष इस तबादले पर अपना स्वतंत्र फैसला नहीं ले सका. प्रार्थी का तबादला देहरा फॉरेस्ट डिवीजन के तहत गुम्मेर बीट से कोटला बीट को किया गया था.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के लिए NDRF की एक बटालियन स्वीकृत, आपदा राहत कोष में मिलेंगे 454 करोड़

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि वह अपने 500 कर्मचारियों से अधिक के विभाग, बोर्ड अथवा कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के स्थानांतरण हेतु ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी तैयार कर उसे लागू करे. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने पड़ोसी राज्य हरियाणा की तबादला नीति का उदाहरण देते हुए सरकार को उपरोक्त सलाह दी.

कोर्ट ने वन विभाग में कार्यरत फॉरेस्ट गार्ड सुनीता देवी के तबादला आदेशों को रद्द करते हुए चिंता व्यक्त की कि कोर्ट विभिन्न फैसलों के बावजूद सरकार लगातार अपने कर्मचारियों के तबादला संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 सहित अदालती दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही है. इस कारण प्रभावित कर्मचारियों को पहले ट्रिब्यूनल के समक्ष जाना पड़ता था और अब ट्रिब्यूनल बंद होने पर हाईकोर्ट में याचिकायें दायर करनी पड़ रही है. तबादलों से जुड़ी अवांछित याचिकाओं के कारण हाईकोर्ट का बहुमूल्य समय बर्बाद हो रहा है.

मामले के अनुसार वन मंत्री द्वारा याचिकाकर्ता सुनीता देवी की तबादला प्रक्रिया न केवल शुरू की परन्तु उस पर अंतिम निर्णय भी दिया. वन मंत्री की इस सक्रियता के कारण विभागाध्यक्ष इस तबादले पर अपना स्वतंत्र फैसला नहीं ले सका. प्रार्थी का तबादला देहरा फॉरेस्ट डिवीजन के तहत गुम्मेर बीट से कोटला बीट को किया गया था.

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