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हिमाचल में कर्मचारियों के लिए जीपीएफ नियम संशोधित, जानिए अधिसूचना में क्या है खास

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Published : Jun 2, 2023, 9:37 PM IST

Updated : Jun 2, 2023, 9:47 PM IST

हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के लिए जीपीएफ रूल्स यानी जनरल प्रॉविडेंट फंड रूल्स संशोधित कर दिए हैं. अधिसूचना के अनुसार ये नियम अब जनरल प्रॉविडेंट फंड (सेंट्रल सर्विसिज) हिमाचल प्रदेश अमेंडमेंट्स रूल्स, 2023 के नाम से जाने जाएंगे. जैसे ही ये सरकारी गजट का हिस्सा होंगे, उसी समय से ये अस्तित्व में माने जाएंगे. पढ़ें पूरी खबर...

GPF rules revised for employees in Himachal
हिमाचल में कर्मचारियों के लिए जीपीएफ नियम संशोधित

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के लिए जीपीएफ रूल्स यानी जनरल प्रॉविडेंट फंड रूल्स संशोधित कर दिए हैं. इस संदर्भ में शुक्रवार को वित्त विभाग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई. वित्त विभाग के प्रधान सचिव मनीष गर्ग की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अस्थाई कर्मचारी के लिए एक साल की निरंतर यानी कंटीन्यूअस सरकारी सेवा पूरी करना जीपीएफ को लेकर पात्रता होगी. अधिसूचना के अनुसार ये नियम अब जनरल प्रॉविडेंट फंड (सेंट्रल सर्विसिज) हिमाचल प्रदेश अमेंडमेंट्स रूल्स, 2023 के नाम से जाने जाएंगे. जैसे ही ये सरकारी गजट का हिस्सा होंगे, उसी समय से ये अस्तित्व में माने जाएंगे.

अधिसूचना के अनुसार हिमाचल में नेशनल पेंशन स्कीम से ओल्ड पेंशन स्कीम में आने वाले कर्मियों को जीपीएफ का लाभ भी मिलेगा. महत्वपूर्ण बात ये है कि अस्थाई कर्मचारी एक साल की निरंतर यानी कंटीन्यूअस सर्विस के बाद जीपीएफ के पात्र होंगे. इसके अलावा जीपीएफ के लिए एक शर्त रहेगी, जिसके अनुसार जो कर्मचारी 15 मई 2003 से लेकर 31 मार्च 2023 तक एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम के तहत थे और जो कर्मचारी भविष्य में नेशनल पेंशन स्कीम का विकल्प चुनेंगे, वह जीपीएफ के लिए पात्र नहीं होंगे.

GPF rules revised for employees in Himachal
नोटिफिकेशन की कॉपी.

फिलहाल, जीपीएफ से जुड़ी अधिसूचना जारी होने के बाद अब संबंधित सरकारी विभागों के ड्राइंग एंड डिस्पर्सिंग ऑफिसर्स यानी डीडीओ जीपीएफ से संबंधित केस महालेखाकार कार्यालय को भेज सकेंगे. यहां उल्लेखनीय है कि एजी यानी महालेखाकार ही जनरल प्रोविडेंट फंड के मामलों को देखते हैं. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले ओपीएस लागू करने का फैसला लिया था. उसके बाद ओपीएस की एसओपी जारी हुई थी. साथ ही राज्य सरकार ने कर्मचारियों से ऑप्शन मांगा था कि कर्मचारी ओपीएस में आना चाहते हैं या एनपीएस में ही रहना चाहते हैं. इसके लिए दो माह का समय दिया गया है. उसके बाद से ही कर्मचारी जीपीएफ रूल्स में संशोधन का इंतजार कर रहे थे.

अब कर्मचारियों का जीपीएफ रूल्स संशोधन का इंतजार भी खत्म हो गया है. हिमाचल में एनपीएस के तहत 1.35 लाख कर्मचारी थे. विकल्प के तौर पर अधिकांश कर्मचारी ओपीएस ही चुन रहे हैं. कुछ कर्मचारी असमंजस में हैं. ये वो कर्मचारी हैं, जिनकी दस साल की नियमित सेवा पूरी नहीं हो रही. एक और तथ्य गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत ब्याज तय किया है. फिलहाल, जीपीएफ रूल्स में संशोधन होने से कर्मचारी वर्ग में खुशी है.

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के लिए जीपीएफ रूल्स यानी जनरल प्रॉविडेंट फंड रूल्स संशोधित कर दिए हैं. इस संदर्भ में शुक्रवार को वित्त विभाग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई. वित्त विभाग के प्रधान सचिव मनीष गर्ग की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अस्थाई कर्मचारी के लिए एक साल की निरंतर यानी कंटीन्यूअस सरकारी सेवा पूरी करना जीपीएफ को लेकर पात्रता होगी. अधिसूचना के अनुसार ये नियम अब जनरल प्रॉविडेंट फंड (सेंट्रल सर्विसिज) हिमाचल प्रदेश अमेंडमेंट्स रूल्स, 2023 के नाम से जाने जाएंगे. जैसे ही ये सरकारी गजट का हिस्सा होंगे, उसी समय से ये अस्तित्व में माने जाएंगे.

अधिसूचना के अनुसार हिमाचल में नेशनल पेंशन स्कीम से ओल्ड पेंशन स्कीम में आने वाले कर्मियों को जीपीएफ का लाभ भी मिलेगा. महत्वपूर्ण बात ये है कि अस्थाई कर्मचारी एक साल की निरंतर यानी कंटीन्यूअस सर्विस के बाद जीपीएफ के पात्र होंगे. इसके अलावा जीपीएफ के लिए एक शर्त रहेगी, जिसके अनुसार जो कर्मचारी 15 मई 2003 से लेकर 31 मार्च 2023 तक एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम के तहत थे और जो कर्मचारी भविष्य में नेशनल पेंशन स्कीम का विकल्प चुनेंगे, वह जीपीएफ के लिए पात्र नहीं होंगे.

GPF rules revised for employees in Himachal
नोटिफिकेशन की कॉपी.

फिलहाल, जीपीएफ से जुड़ी अधिसूचना जारी होने के बाद अब संबंधित सरकारी विभागों के ड्राइंग एंड डिस्पर्सिंग ऑफिसर्स यानी डीडीओ जीपीएफ से संबंधित केस महालेखाकार कार्यालय को भेज सकेंगे. यहां उल्लेखनीय है कि एजी यानी महालेखाकार ही जनरल प्रोविडेंट फंड के मामलों को देखते हैं. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले ओपीएस लागू करने का फैसला लिया था. उसके बाद ओपीएस की एसओपी जारी हुई थी. साथ ही राज्य सरकार ने कर्मचारियों से ऑप्शन मांगा था कि कर्मचारी ओपीएस में आना चाहते हैं या एनपीएस में ही रहना चाहते हैं. इसके लिए दो माह का समय दिया गया है. उसके बाद से ही कर्मचारी जीपीएफ रूल्स में संशोधन का इंतजार कर रहे थे.

अब कर्मचारियों का जीपीएफ रूल्स संशोधन का इंतजार भी खत्म हो गया है. हिमाचल में एनपीएस के तहत 1.35 लाख कर्मचारी थे. विकल्प के तौर पर अधिकांश कर्मचारी ओपीएस ही चुन रहे हैं. कुछ कर्मचारी असमंजस में हैं. ये वो कर्मचारी हैं, जिनकी दस साल की नियमित सेवा पूरी नहीं हो रही. एक और तथ्य गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत ब्याज तय किया है. फिलहाल, जीपीएफ रूल्स में संशोधन होने से कर्मचारी वर्ग में खुशी है.

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Read Also- महंगाई से राहतः डिपुओं में 37 रुपए सस्ता सरसों का तेल, 110 रुपए प्रति लीटर लोगों को मिलेगा

Last Updated : Jun 2, 2023, 9:47 PM IST
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