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कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के लिए हिमाचल को मिले 9.36 करोड़, सरकार ने निजी हाथों में सौंपा काम: कमल सोई

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Published : Feb 5, 2021, 10:51 PM IST

अंतराष्ट्ररीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने कहा है कि वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत केंद्र ने हिमाचल सरकार को कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए 9.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है.उन्होंने सरकार से इस सेंटर को बनाने में निजी कंपनियों को प्राथमिकता न देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि यह नारी की सुरक्षा से जुड़ा मसला है. निजी कंपनी को यह काम मिलने पर निजी कंपनी के पास वाहनों का डाटा चला जाएगा.

Government should create command and control center
कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाए सरकार

शिमलाः अंतराष्ट्ररीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने कहा है कि वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत केंद्र ने हिमाचल सरकार को कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए 9.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. निर्भया फंड के तहत यह रकम हिमाचल को मिली है, लेकिन हिमाचल सरकार इस सेंटर को बनाने में ढिलाई बरत रही है. कमल सोई ने शुक्रवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल सरकार ने कमांड और कंट्रोल सेंटर प्राइवेट हाथों में दे दिया है. 4-5 निजी कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है.

कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में न दे सरकार

सोई ने सरकार को इस सेंटर को बनाने में निजी कंपनियों को प्राथमिकता न देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि यह नारी की सुरक्षा से जुड़ा मसला है. निजी कंपनी को यह काम मिलने पर निजी कंपनी के पास गाड़ियों का डाटा चला जाएगा. इससे डाटा के गलत इस्तेमाल की संभावनाए बढ़ जाएगी. ऐसे में सरकार व परिवहन विभाग को कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में नहीं देना चाहिए. कंट्रोल रूम को बनाने का काम सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एनआईसी को मिलना चाहिए था.

वीडियो.

महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा

उनका कहना है कि कईं प्रदेशों में कंट्रोल रूम स्थापित किए जा चुके हैं तथा सरकारी उपक्रमों की ओर से यह काम किया गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कंट्रोल रूम को प्राइवेट कंपनीयों को देने के पीछे सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम को प्राइवेट कंपनीयों के हवाले करने से महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा है. अगर हिमाचल सरकार ने उनकी बात पर अमल नहीं किया तो उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.

3 से 4 लाख पब्लिक वाहनों में लगेगा जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम

सोई ने कहा कि हिमाचल में लगभग 3-4 लाख के करीब पब्लिक वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगना है. इनमें से 30 हजार के आसपास वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है. लेकिन कंट्रौल रूम बनाने काम शुरू नहीं हुआ है.

पढ़ें: कर्ज में डूबे हिमाचल को 15वें वित्तायोग की सलाह, पर्यटन से बदल सकती है देवभूमि की तकदीर

शिमलाः अंतराष्ट्ररीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने कहा है कि वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा के दृष्टिगत केंद्र ने हिमाचल सरकार को कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए 9.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है. निर्भया फंड के तहत यह रकम हिमाचल को मिली है, लेकिन हिमाचल सरकार इस सेंटर को बनाने में ढिलाई बरत रही है. कमल सोई ने शुक्रवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल सरकार ने कमांड और कंट्रोल सेंटर प्राइवेट हाथों में दे दिया है. 4-5 निजी कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गई है.

कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में न दे सरकार

सोई ने सरकार को इस सेंटर को बनाने में निजी कंपनियों को प्राथमिकता न देने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि यह नारी की सुरक्षा से जुड़ा मसला है. निजी कंपनी को यह काम मिलने पर निजी कंपनी के पास गाड़ियों का डाटा चला जाएगा. इससे डाटा के गलत इस्तेमाल की संभावनाए बढ़ जाएगी. ऐसे में सरकार व परिवहन विभाग को कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में नहीं देना चाहिए. कंट्रोल रूम को बनाने का काम सरकारी कंपनियों बीएसएनएल और एनआईसी को मिलना चाहिए था.

वीडियो.

महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा

उनका कहना है कि कईं प्रदेशों में कंट्रोल रूम स्थापित किए जा चुके हैं तथा सरकारी उपक्रमों की ओर से यह काम किया गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कंट्रोल रूम को प्राइवेट कंपनीयों को देने के पीछे सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम को प्राइवेट कंपनीयों के हवाले करने से महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा है. अगर हिमाचल सरकार ने उनकी बात पर अमल नहीं किया तो उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा.

3 से 4 लाख पब्लिक वाहनों में लगेगा जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम

सोई ने कहा कि हिमाचल में लगभग 3-4 लाख के करीब पब्लिक वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगना है. इनमें से 30 हजार के आसपास वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है. लेकिन कंट्रौल रूम बनाने काम शुरू नहीं हुआ है.

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