शिमला: हिमाचल सरकार ने मंडियों में सेब को वजन के हिसाब से बेचने का फैसला लिया है. प्रदेश की सभी मंडियों में इस व्यवस्था को अपनाया जाएगा, लेकिन इस तरह से मंडियों में सेब बेचना आसान नहीं होगा. इससे मंडियों में समय ज्यादा लगेगा और साथ में इससे विवाद होने की संभावना भी रहेगी. यही वजह है कि आढ़ती भी इसके लिए यूनिवर्सल कार्टन को ही एक मात्र हल मान रहे हैं.
वजन के हिसाब से सेब को बिक्री: हिमाचल सरकार ने इसी सीजन से वजन के हिसाब से सेब बेचने का फैसला किया है. इसको लेकर बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी की जा चुकी है. सरकार ने जो वजन के हिसाब से सेब बेचने को लेकर जो फैसला लिया है, उसमें पुराने कार्टन के इस्तेमाल ही संभावना लग रही है. इस टेलीस्कोपिक कार्टन को बागवानों के लिए भरना आसान नहीं होगा. उनका सेब की पेटी को इस तरह से भरना होगा कि इसका वजन 24 किलो से ज्यादा न हो.
नये फैसले से बागवानों को आएगी परेशानी: सरकार के इस फैसले से बागवानों के सामने कई परेशानी आ सकती है. क्योंकि बागवानों को इन पेटियों को पहले खुद तोलना पड़ेगा कि इसमें कितना वजन है. फिर इसकी डिटेल भी बनानी होगी, जो उनके लिए पेचीदा काम होगा. क्योंकि इसी डिटेल के आधार पर खरीदारी मंडियों में बागवानों से सेब की खरीद करता है फिर मंडियों में जब बागवान जाएगा तो, वहां पर आढ़तियों को वजन कराना पड़ेगा. यही नहीं अगर भरा हुई सेब की पेटियां समय पर मंडी में नहीं पहुंचती को उनका वजन भी कम होने की संभावना रहेगी.
सैंपल के लिए कुछ सेब की पेटियों का होगा वजन: किसान सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं. वही, आढ़ती भी इस फैसले में सरकार का सहयोग करने की बात कर रहे हैं, लेकिन मंडियों में वजन के हिसाब से सेब बेचने में कई व्यावहारिक दिक्कतें आएंगी. आढ़तियों की मानें तो इस प्रक्रिया में वक्त लगेगा, हालांकि सरकार ने सैंपल के तौर पर कुछ पेटियों का वजन मापने का विकल्प दिया है. इसके बावजूद भी इसमें समय लगेगा और यही नहीं इससे वजन को लेकर भी विवाद पनपने की पूरी आशंका है. आढ़ती इस तरह सेब बेचने में दिक्कत आने की आशंका जता रहे हैं.
आढ़तियों ने सेब बिक्री में जताई परेशानी की आशंका: आढ़तियों का कहना है कि वे सरकार के आदेश मानने के लिए तैयार है, लेकिन इसमें कई व्यावहारिक दिक्कतें आने की संभावना है. सब्जी मंडी ढली के आढ़ती बिटटू वर्मा ने कहा सरकार के फैसला आढ़तियों को मान्य है. बागवान चाहे जिसमें भी सेब लाए उनको तो बेचना ही पड़ेगा, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा. जबकि मंडियों में उनके पास इतनी जगह नहीं है कि वहां पर पेटियों को रखा जा सके.
सेब की वजन को लेकर हो सकता विवाद: सब्जी मंडी आढ़ती एसोसिएशन के उप प्रधान अमन सूद का कहना है कि यह हमारे लिए नई व्यवस्था है. यहां जगह की कमी है और जब रश होगा तो ऐसे में पेटियों को तोलना काफी कठिन होगा. इससे विवाद होने की भी संभावना रहेगी. हिमाचल में वजन के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था पहली बार लागू हो रही है. इससे बागवानों और खरीदारों को भी दिक्कत आएगी. यूनिवर्सल कार्टन ही इसका एक मात्र हल है. ऐसे में सरकार को यूनिवर्सल कार्टन को लागू करना चाहिए.
बागवान और आढ़तियों ने की यूनिवर्सल कार्टन की मांग: बागवान और आढ़ती सहित सभी वर्गों का मानना है कि वजन के हिसाब से सेब बेचने के लिए यूनिवर्सल कार्टन एक बेहतर माध्यम है. यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से ज्यादा का सेब आ नहीं सकता. इसका डिजाइन इस तरह से होता है कि इसकी पैकिंग 20 किलो से ज्यादा सेब भरा नहीं जा सकता. अगर सेब के लिए सरकार यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था करती है तो, बागवानों को सेब की पेटियों को भरने में आसानी रहेगी. इन पेटियों को तोलकर भरने की समस्या बागवानों को भी नहीं आएगी और न ही खरीदारों के साथ वजन को लेकर कोई विवाद होगा. संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा सरकार ने वजन के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था की है, लेकिन इसके लिए यूनिवर्सल कार्टन लागू किया जाना जरूरी है. इससे बागवानों और खरीदार दोनों को सहलुयित होगी. सरकार को इस बारे में जल्द फैसला लेना चाहिए.
विवाद होने पर सेब की पेटियों का जांचा जाएगा: एपीएमसी ढली के सचिव देवराज कश्यप का कहना है कि बागवानों की डिमांड पर ही वजन के हिसाब से सेब बेचने का फैसला सरकार ने लिया है और इसमें आढ़तियों का भी सहयोग रहेगा. उनका कहना है कि मंडियों में आने वाली सभी पेटियों को नहीं बल्कि कुछ सैंपल पेटियों का वजन करना होगा. वजन पर विवाद होने पर मंडियों में एपीएमसी की भी अपनी मशीन होगी, जिसमें पेटियों को जांचा जा सकेगा. इस विवाद को हल करने के लिए संबंधित पक्षों की कमेटी बनी होगी.
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