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कैसे स्मार्ट बनेगा शिमला! पंचायतों का कूड़ा पहाड़ों की रानी की सुंदरता में लगा रहा दाग

शहर को गारबेज फ्री सिटी बनाने में साथ लगती पंचायतों का कूड़ा बड़ी अड़चन बन गया है. जानिए पूरी खबर....

MC shimla
पंचायतों का कूड़ा
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Published : Jan 7, 2020, 6:42 PM IST

शिमला: स्मोक फ्री सिटी बनने के बाद अब शिमला शहर को कचरा मुक्त शहर बनाने का कार्य किया जा रहा है, लेकिन शहर को गारबेज फ्री सिटी बनाने में साथ लगती पंचायतों का कूड़ा बड़ी अड़चन बन गया है. नगर निगम शिमला की परिधि के साथ 11 पंचायते हैं, जिनके पास कूड़ा निष्पादन का कोई साधन नहीं है. ऐसे में पंचायतों के साथ लगते एमसी के क्षेत्रों में रोजाना कूड़े के ढेर लग रहे है.

वहीं, एमसी ने शहर से डम्पर हटा दिए जिसके बाद स्थिति बेकाबू हो गई हैं. इस समस्या को लेकर एमसी ने सभी 11 पंचायतों से सूखा कूड़ा लेने की मंजूरी दी हैं. आलम ये है कि शहर से डम्पर उठने के बाद पंचायतों का कूड़ा खुले में फैंका जा रहा है, रोजाना भारी भरकम कूड़ा उठाना एमसी के लिए परेशानी बन गया है.

वीडियो.

अक्तूबर 2019 में खंड विकास अधिकारी ने 11 पंचायतों का प्रस्ताव तैयार कर एमसी प्रशासन को दिया था, जिसे एमसी प्रशासन ने यह कह कर मंजूरी दी कि वह सूखा कूड़ा ही लेगा, लेकिन पंचायतों से मिश्रित कूड़ा आने लगा जिसे लेने से एमसी ने इंकार कर दिया.

नगर निगम के आयुक्त पंकज राय ने कहा कि एमसी एरिया के साथ लगती पंचायतें खुले में कूड़ा फेंक रही है. नगर निगम ने पंचायतों को खुले में कूड़ा न फेंकने के निर्देश भी दिए है.

शिमला: स्मोक फ्री सिटी बनने के बाद अब शिमला शहर को कचरा मुक्त शहर बनाने का कार्य किया जा रहा है, लेकिन शहर को गारबेज फ्री सिटी बनाने में साथ लगती पंचायतों का कूड़ा बड़ी अड़चन बन गया है. नगर निगम शिमला की परिधि के साथ 11 पंचायते हैं, जिनके पास कूड़ा निष्पादन का कोई साधन नहीं है. ऐसे में पंचायतों के साथ लगते एमसी के क्षेत्रों में रोजाना कूड़े के ढेर लग रहे है.

वहीं, एमसी ने शहर से डम्पर हटा दिए जिसके बाद स्थिति बेकाबू हो गई हैं. इस समस्या को लेकर एमसी ने सभी 11 पंचायतों से सूखा कूड़ा लेने की मंजूरी दी हैं. आलम ये है कि शहर से डम्पर उठने के बाद पंचायतों का कूड़ा खुले में फैंका जा रहा है, रोजाना भारी भरकम कूड़ा उठाना एमसी के लिए परेशानी बन गया है.

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अक्तूबर 2019 में खंड विकास अधिकारी ने 11 पंचायतों का प्रस्ताव तैयार कर एमसी प्रशासन को दिया था, जिसे एमसी प्रशासन ने यह कह कर मंजूरी दी कि वह सूखा कूड़ा ही लेगा, लेकिन पंचायतों से मिश्रित कूड़ा आने लगा जिसे लेने से एमसी ने इंकार कर दिया.

नगर निगम के आयुक्त पंकज राय ने कहा कि एमसी एरिया के साथ लगती पंचायतें खुले में कूड़ा फेंक रही है. नगर निगम ने पंचायतों को खुले में कूड़ा न फेंकने के निर्देश भी दिए है.

Intro:
शिमला शहर को गारबेज फ्री सिटी बनाने में साथ लगती पंचायतों का कूड़ा बड़ी अड़चन बन गया है। नगर निगम शिमला की परिधि के साथ 11 पंचायते हैं, जिनके पास कूड़ा निष्पादन का कोई साधन नहीं है। ऐसे में पंचायतों के साथ लगते एमसी के क्षेत्रों में रोजाना कूड़े के ढेर लग रहे है। वहीं एमसी द्वारा शहर से डम्पर हटा देने के बाद स्थिति बेकाबू हो गई हैं। Body:जबकि इस समस्या को लेकर एमसी ने सभी 11 पंचायतों से सूखा कूड़ा लेने की मंजूरी दी हैं। अक्तूबर 2019 में खंड विकास अधिकारी द्वारा 11 पंचायतों का प्रस्ताव तैयार कर एमसी प्रशासन को दिया गया था, जिसे एमसी प्रशासन ने यह कह कर मंजूरी दी कि वह सूखा कूड़ा ही लेगा। लेकिन योजना खटाई में तब पड़ गई जब पंचायतों से मिश्रित कूड़ा आने लगा। जिसे लेने से एमसी प्रशासन ने इंकार कर दिया।
आलम ये है कि शहर से डम्पर उठने के बाद पंचायतों का कूड़ा खुले में फैंका जा रहा है, रोजाना भारी भरकम कूड़ा उठाना एमसी के लिए परेशानी बन गया। वही अब केंद्र सरकार का स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग के लिए शिमला का गारबेज फ्री सिटी होना बेहद जरूरी है।


Conclusion:नगर निगम के आयुक्त पंकज राय का कहना है कि एमसी एरिया के साथ लगती पंचायतें खुले में कूड़ा फेंक रही है जबकि पंचायतों को खुले में कूड़ा न फेकने को कहा था और इन पंचायतों को नगर निगम को कूड़ा देने को कहा था लेकिन ये कूड़ा नही दे रहे है जिससे खुले में ही कूड़ा फेंक रहे है। पंचायतों को खुले में कूड़ा न फेंकने के निर्देश भी दिए है।
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