शिमला: छोटा पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश बेशक पचास हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है, लेकिन मंत्रियों के ठाठ में कोई कमी नहीं है. प्रदेश के चार कैबिनेट मंत्रियों के कुछ समय पहले ही फॉर्च्यूनर गाड़ियों की खरीद जीएडी यानी सामान्य प्रशासन विभाग से मंजूर हुई थी.
फॉर्च्यूनर गाड़ियों की खरीद के समय फिजूलखर्ची का काफी शोर मचा था, लेकिन चारों फॉर्च्यूनर गाड़ियां सरकारी काफिले में शामिल हो चुकी हैं. गौर हो कि एक गाड़ी की कीमत 32 लाख रुपये है. इस तरह 1.28 करोड़ रुपये की गाड़ियां चार मंत्रियों को मिलेंगी और ये तब है, जब मंत्रियों के पास पहले से ही विभाग की गाड़ियां मौजूद हैं.
बता दें कि जिन मंत्रियों के लिए ये कारें आई हैं, उनमें शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, कृषि एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार सहित हिमाचल सरकार के मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा शामिल हैं. जीएडी के सचिव डॉ. आर एन बत्ता ने कारों के शिमला पहुंचने की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ये कारें आई हैं और नियमों के अनुसार मंत्रियों को अलॉट कर दी गई हैं. हालांकि आदर्श आचार संहिता लगने के बाद ये कारें मंत्री यूज नहीं कर पाएंगे.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से वन मंत्री गोविंद ठाकुर, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री किशन कपूर और ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा को फॉर्च्यूनर मिली हैं. हिमाचल में सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, मंत्रियों को खुश करने में कोई सरकार पीछे नहीं रही है.
कांग्रेस के कार्यकाल में भी मंत्रियों के लिए 2.50 करोड़ रुपये कीमत की दस कैमरी गाड़ियां ली गई थीं. इधर, जयराम सरकार के सत्ता में आने पर मंत्रियों को जब विभाग आवंटित हुए तो संबंधित विभागों ने 20 से 30 लाख तक की नर्ई गाड़ियां खरीद कर मंत्रियों को दी थीं. अब कुछ मंत्रियों के पास तो दो से अधिक गाड़ियां हैं.