शिमला: पूर्व महापौर संजय चौहान ने नगर निगम पर टाउन हॉल की स्थिति को लेकर गुमराह करने और सरकार के दवाब में आकर टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि नगर निगम अपनी सम्पतियों के संरक्षण व इसका उपयोग करने में विफल साबित हुई है.
पूर्व महापौर ने कहा कि 60 करोड़ रुपये की लागत से बनी टूटीकंडी पार्किंग आज शुरू नहीं हुई है. पार्किंग से करोड़ों रुपये की आय नगर निगम को होनी थी, जिसे शहर की जनता के विकास के लिए खर्च किया जाना था. अब इस पर प्रदेश सरकार ने कब्जा करना शुरू कर दिया है और नगर निगम को इसके एवज में कुछ नहीं मिल रहा है.
रिज के साथ टक्का बेंच में नगर निगम ने शहर में पहला बुक कैफे बनाया था, जिसमे समाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए जेल विभाग के साथ चलाया जा रहा था और यह शहर में एक विशेष महत्व के स्थान के रूप में विकसित किया गया था. इसे अब वर्तमान बीजेपी शासित नगर निगम ने निजी हाथों में दे दिया है.
पूर्व महापौर ने कहा कि नगर निगम शिमला अब टाउन हॉल को लेकर जनता को झूठ बोल रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण वह इसको पूरी तरह से बैठक के लिए प्रयोग में नहीं ला सकती है, लेकिन यह सरासर झूठ है. निगम ने सरकार के दबाव में आकर स्वयं सदन में प्रस्ताव पारित कर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि वह इसमें व्यावसायिक गतिविधियां करना चाहता है.
संजय चौहान ने कहा कि नगर निगम शिमला के पास कोई भी ऐसा निर्धारित सदन नहीं है, जहां वह अपनी मासिक बैठक कर सके. नगर निगम ने किस कारण या किसके दबाव में आकर इस टाउन हॉल को अपनी जरूरत अनुसार प्रयोग न करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि जनता को इस निर्णय के बारे में जवाबदेही देनी चाहिए.
केंद्र सरकार ने जिस तरह से लाल किला कॉरपोरेट घराने को लाभ अर्जित करने के लिए निजी हाथों में सौंप दिया है, प्रदेश सरकार व नगर निगम भी इस ऐतिहासिक धोरोहर टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है. बता दें कि बीजेपी शासित नगर निगम शिमला जब से सत्तासीन हुई है तब से नगर निगम की सम्पतियों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते रहे है.
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