ETV Bharat / state

पूर्व मेयर का नगर निगम पर बड़ा आरोप, कहा: सरकार के दबाव में काम कर रही MC - टूटीकंडी पार्किंग

संजय चौहान ने कहा कि नगर निगम शिमला टाउन हॉल, बुक कैफे और टूटीकंडी पार्किंग के उचित उपयोग में पूर्णतः विफल रही है, जोकि शहर की जनता के साथ बड़ा धोखा है क्योंकि यह सारी सम्पतियां जनता की अमानत है.

Municipal Corporation
पूर्व मेयर का नगर निगम पर बड़ा आरोप
author img

By

Published : Jan 16, 2020, 4:59 PM IST

शिमला: पूर्व महापौर संजय चौहान ने नगर निगम पर टाउन हॉल की स्थिति को लेकर गुमराह करने और सरकार के दवाब में आकर टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि नगर निगम अपनी सम्पतियों के संरक्षण व इसका उपयोग करने में विफल साबित हुई है.

पूर्व महापौर ने कहा कि 60 करोड़ रुपये की लागत से बनी टूटीकंडी पार्किंग आज शुरू नहीं हुई है. पार्किंग से करोड़ों रुपये की आय नगर निगम को होनी थी, जिसे शहर की जनता के विकास के लिए खर्च किया जाना था. अब इस पर प्रदेश सरकार ने कब्जा करना शुरू कर दिया है और नगर निगम को इसके एवज में कुछ नहीं मिल रहा है.

रिज के साथ टक्का बेंच में नगर निगम ने शहर में पहला बुक कैफे बनाया था, जिसमे समाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए जेल विभाग के साथ चलाया जा रहा था और यह शहर में एक विशेष महत्व के स्थान के रूप में विकसित किया गया था. इसे अब वर्तमान बीजेपी शासित नगर निगम ने निजी हाथों में दे दिया है.

पूर्व महापौर ने कहा कि नगर निगम शिमला अब टाउन हॉल को लेकर जनता को झूठ बोल रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण वह इसको पूरी तरह से बैठक के लिए प्रयोग में नहीं ला सकती है, लेकिन यह सरासर झूठ है. निगम ने सरकार के दबाव में आकर स्वयं सदन में प्रस्ताव पारित कर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि वह इसमें व्यावसायिक गतिविधियां करना चाहता है.

संजय चौहान ने कहा कि नगर निगम शिमला के पास कोई भी ऐसा निर्धारित सदन नहीं है, जहां वह अपनी मासिक बैठक कर सके. नगर निगम ने किस कारण या किसके दबाव में आकर इस टाउन हॉल को अपनी जरूरत अनुसार प्रयोग न करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि जनता को इस निर्णय के बारे में जवाबदेही देनी चाहिए.

वीडियो.

केंद्र सरकार ने जिस तरह से लाल किला कॉरपोरेट घराने को लाभ अर्जित करने के लिए निजी हाथों में सौंप दिया है, प्रदेश सरकार व नगर निगम भी इस ऐतिहासिक धोरोहर टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है. बता दें कि बीजेपी शासित नगर निगम शिमला जब से सत्तासीन हुई है तब से नगर निगम की सम्पतियों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते रहे है.

ये भी पढे़ं: अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडी, स्थानीय लोग परेशान

शिमला: पूर्व महापौर संजय चौहान ने नगर निगम पर टाउन हॉल की स्थिति को लेकर गुमराह करने और सरकार के दवाब में आकर टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि नगर निगम अपनी सम्पतियों के संरक्षण व इसका उपयोग करने में विफल साबित हुई है.

पूर्व महापौर ने कहा कि 60 करोड़ रुपये की लागत से बनी टूटीकंडी पार्किंग आज शुरू नहीं हुई है. पार्किंग से करोड़ों रुपये की आय नगर निगम को होनी थी, जिसे शहर की जनता के विकास के लिए खर्च किया जाना था. अब इस पर प्रदेश सरकार ने कब्जा करना शुरू कर दिया है और नगर निगम को इसके एवज में कुछ नहीं मिल रहा है.

रिज के साथ टक्का बेंच में नगर निगम ने शहर में पहला बुक कैफे बनाया था, जिसमे समाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए जेल विभाग के साथ चलाया जा रहा था और यह शहर में एक विशेष महत्व के स्थान के रूप में विकसित किया गया था. इसे अब वर्तमान बीजेपी शासित नगर निगम ने निजी हाथों में दे दिया है.

पूर्व महापौर ने कहा कि नगर निगम शिमला अब टाउन हॉल को लेकर जनता को झूठ बोल रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण वह इसको पूरी तरह से बैठक के लिए प्रयोग में नहीं ला सकती है, लेकिन यह सरासर झूठ है. निगम ने सरकार के दबाव में आकर स्वयं सदन में प्रस्ताव पारित कर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि वह इसमें व्यावसायिक गतिविधियां करना चाहता है.

संजय चौहान ने कहा कि नगर निगम शिमला के पास कोई भी ऐसा निर्धारित सदन नहीं है, जहां वह अपनी मासिक बैठक कर सके. नगर निगम ने किस कारण या किसके दबाव में आकर इस टाउन हॉल को अपनी जरूरत अनुसार प्रयोग न करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि जनता को इस निर्णय के बारे में जवाबदेही देनी चाहिए.

वीडियो.

केंद्र सरकार ने जिस तरह से लाल किला कॉरपोरेट घराने को लाभ अर्जित करने के लिए निजी हाथों में सौंप दिया है, प्रदेश सरकार व नगर निगम भी इस ऐतिहासिक धोरोहर टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है. बता दें कि बीजेपी शासित नगर निगम शिमला जब से सत्तासीन हुई है तब से नगर निगम की सम्पतियों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते रहे है.

ये भी पढे़ं: अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही एशिया की सबसे बड़ी चूना पत्थर मंडी, स्थानीय लोग परेशान

Intro:

बीजेपी शासित नगर निगम पर पूर्व महापौर संजय चौहान ने शिमला शहर की जनता को टाउनहाल को लेकर गुमराह करने और टाउनहाल को सरकार के दवाब में आकर इस बहुमूल्य संपति को निजी हाथों में सौंपने के आरोप लगाए है। उन्होंने कहा नगर निगम अपनी सम्पतियों के संरक्षण व इसके उपयोग करने में विफल हो रही है ओर प्रदेश सरकार के दबाव में आ कर सम्पतियों पर धीरे धीरे अपने स्वामित्व को समाप्त कर इन्हें निजी हाथों में सौंपने का कार्य कर रही है। नगर निगम शिमला का ऐतिहासिक टाउन हॉल , बुक कैफ़े ओर टूटीकंडी पार्किंग के उचित उपयोग में पूर्णतः विफल रही है। जोकि शहर की जनता के साथ बड़ा धोखा है क्योंकि यह सारी सम्पतियों जनता की अमानत है और किसी भी चुनी हुई सरकार व संस्था का दायित्व है कि वह जनता की इन बहुमूल्य सम्पतियों का संरक्षण कर इन्हें जनहित में इस्तेमाल करें।
Body:नगर निगम शिमला अब टाउन हॉल को लेकर जनता को झूठ बोल रही है कि उच्च न्यायालय के आदेश के कारण वह इसको पूरी तरह से बैठक आदि के लिए प्रयोग में नही ला सकती है। जबकि यह सरासर झूठ बोल रही क्योंकि उसने सरकार के दबाव में आकर स्वयं सदन में प्रस्ताव पारित कर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया था कि वह इसमें व्यवसायिक गतिविधियां करना चाहता है। उस पर कोर्ट ने उनके शपथ पत्र के आधार पर आदेश पारित किया है। अन्यथा कोई भी कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता था क्योंकि कानूनी रूप से नगर निगम शिमला इसका मालिक है और इसका इसमे स्वयं कब्जा है और राजस्व रिकार्ड में स्पष्ट रूप से इसमे गैर मुमकिन कार्यालय दर्ज है। केंद्र सरकार ने जिस प्रकार से लाल किला कॉरपोरेट घराने को लाभ अर्जित करने के लिए निजी हाथों में सौंप दिया है, प्रदेश सरकार व नगर निगम भी इस ऐतिहासिक धोरोहर टाउन हॉल को भी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है।
पूर्व नगर निगम द्वारा टाउन हॉल का जिस रूप में जीर्णोद्धार किया गया है उसे पूर्व स्थापित नगर निगम के कार्यालय के अनुरूप ही किया गया है। इसमे महापौर, उपमहापौर व अन्य कार्यालयों के साथ ही इसमें नगर निगम का सदन, पार्षदों के लिए जनता से मिलने का स्थान व जनसेवाओं के लिए चिन्हित तय स्थानों के अनुसार ही बनाया गया है। आज नगर निगम शिमला के पास कोई भी ऐसा निर्धारित सदन नही है जहां वह अपनी मासिक बैठक कर सके। परन्तु वर्तमान नगर निगम ने किस कारण या किसके दबाव में आकर इस टाउन हॉल को अपनी जरूरत अनुसार प्रयोग न कर इसे वाणिज्यिक इस्तेमाल का निर्णय लिया है जनता को इस निर्णय के बारे में जवाबदेही देनी चाहिए।
बीजेपी शासित नगर निगम शिमला जब से सत्तासीन हुई है तब से नगर निगम की सम्पतियों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। पूर्व नगर निगम के द्वारा आरम्भ की गई 60 करोड़ रुपये की लागत से बनी टूटीकंडी पार्किंग आज भी चालू नहीं कर पाई है और इससे करोडों रुपये की आय नगर निगम को होनी थी जिसे शहर की जनता के विकास के लिए खर्च किया जाना था। अब इस पर प्रदेश सरकार ने कब्जा करना आरम्भ कर दिया है और नगर निगम को इसके एवज में कुछ नही मिल रहा है। रिज के साथ टक्का बैंच में पूर्व नगर निगम ने शहर में पहला बुक कैफ़े बनाया था जिसमे समाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए जेल विभाग के साथ चलाया जा रहा था और यह शहर में एक विशेष महत्व का स्थान के रूप में विकसित किया गया था जिसे अब वर्तमान बीजेपी शासित नगर निगम ने निजी हाथों में दे दिया है। खिलिनी पार्किंग पर गैर कानूनी कब्जे ने तो नगर निगम शिमला की कार्यप्रणाली की पोल ही खोल दी है।
Conclusion:प्रदेश सरकार नगर निगम जोकि शहर की जनता द्वारा चुनी गई एक संवैधानिक संस्था है, को ताकत प्रदान करने के बजाय इसे कमजोर कर रही है। जिस प्रकार से शहर की जनता द्वारा चुनी नगर निगम के नियमित कार्यों में हस्तक्षेप कर इसकी कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रही है वह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करती है। और नगर निगम पर दबाव डालकर इसकी सम्पतियों पर जो कब्जा करने का कार्य है वह हमारे संविधान के अंतर्गत स्वीकार्य नहीं है।
प्रदेश सरकार व नगर निगम शिमला शहर की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर टाउन हॉल को निजी हाथों में देने के निर्णय को तुरन्त बदल कर इसे नगर निगम शिमला को पूर्ण रूप से सौंपा जाए ताकि संविधान के 74 वें संशोधन की दिशा को अमल में लाया जाए। नगर निगम इसका उपयोग जनहित में करें। यदि सरकार व नगर निगम शिमला टाउन हॉल को निजी हाथों में सौंपने के निर्णय को वापिस नहीं लेती है तो जनता को लामबंद कर निजीकरण के इस निर्णय को पलटने के लिए आंदोलन करेगी।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.