शिमला: लगातार बढ़ती आबादी के साथ ऊर्जा की खपत भी बढ़ रही है. भविष्य में ऊर्जा की मांग को पूरा करने के लिए नए ऊर्जा स्रोत तलाशना बहुत जरूरी है ताकि परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर भार कम हो सके.
हिमाचल में सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा भविष्य के लिए ऊर्जा का सबसे जरूरी माध्यम साबित हो सकता है. केंद्र सरकार भी सौर ऊर्जा पर निर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ा रही है और प्रदेश सरकार भी नई योजनाएं ला रही है.
हिमाचल सरकार हिम ऊर्जा के साथ मिलकर प्रदेश में सौर ऊर्जा के विस्तार के क्षेत्र में काम कर रही है. शुरुआती स्तर पर बेहतर रिजल्ट मिलने के बाद सौर ऊर्जा को हर क्षेत्र में बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए बकायदा सरकारें सब्सिडी मुहैया करवाती है.
सरकारी भवनों की छतों पर सोलर प्लांट
सरकारी भवनों की छत पर ग्रिड कनेक्टेड सौर ऊर्जा पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं. शिमला शहर में ही 66 सरकारी कार्यालयों की छतों पर इस तरह के प्लांट स्थापित किए गए हैं. इन भवनों में आईजीएमसी, हाइकोर्ट भवन, सचिवालय, शिक्षण संस्थान आदि शामिल हैं. इस तरह के प्लांट लगने से इन कार्यालयों में बिजली के बिलों की बचत हुई है. इन प्लांट को लगाने में 60 फीसदी सब्सिडी केंद्र सरकार और 40 फीसदी सब्सिडी प्रदेश सरकार की तरफ से दी गई.
हिम ऊर्जा द्वारा 23.25 मैगावाट ग्रिड कनेक्टिड परियोजनाएं अब तक स्थापित की जा चुकी हैं. शिमला शहर के अलावा कई जिलों के पंचायत भवनों से लेकर स्कूल, कॉलेज और निजी भवनों में भी इस तरह के प्लांट लगाए गए हैं.
ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफ टॉप पावर प्लांट से लोगों को मिली सुविधा
प्रदेश में हिमऊर्जा की सहायता से 41 उन्नत घराट, 878 सोलर चूल्हें और 17 विंड सोलर हाइब्रिड सिस्टम भी प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं. इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा 164803 स्ट्रीट लाईटें, 69935 लालटेन, 27713 घरेलू लाइटें, 3152.45 किलोवाट के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट, 14425.54 किलोवाट के ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफ टॉप पावर प्लांट और 20,24,000 सोलर वाटर हिंटिंग सिस्टम लोगों को उपलब्ध करवाएं गए हैं.
सौर ऊर्जा मतलब आम के आम गुठलियों के दाम
सौर ऊर्जा भविष्य को रोशन करने की वो तकनीक है जिसे आज भले कई लोग जटिल और मंहगा सौदा बताते हों लेकिन असल में सौर ऊर्जा आम के आम और गुठलियों के दाम वाला सौदा है.
हिम ऊर्जा के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर विनीत सूद बताते हैं कि अगर कोई 3 से 5 किलोवाट का ग्रिड कनेक्टिड सोलर रूफ टॉप पावर प्लांट लगाता है तो सब्सिडी मिलने के बाद जो भी उसका पैसा इसमें लगता है उसकी भरपाई 5 से 6 साल में हो जाती है. करीब 20 साल तक मुफ्त बिजली मिलती है और सरप्लस बिजली को बेचकर पैसा भी कमाया जा सकता है. इसके इस्तेमाल से लाइन लॉस जैसी परेशानी भी नहीं आती क्योंकि बिजली जहां पैदा हो रही है वहीं उसका उपभोग हो रहा है. सोलर एनर्जी क्लीन और ग्रीन एनर्जी है जिससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता.
सौर ऊर्जा से रोजगार को बढ़ावा
सरकार की तरफ से लोगों को सौर ऊर्जा के प्रति जागरुक भी किया जा रहा है औऱ सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के लिए योजनाएं भी शुरू की गई हैं. जिसके तहत सरकारें भारी-भरकम सब्सिडी भी देती हैं.
हिम ऊर्जा के सीनियर प्रोजेक्ट ऑफिसर विनीत सूद के मुताबिक सरकार ने हिमाचलियों के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के साथ रोजगार उपलब्ध कराने के लिए योजना शुरू की थी. जिसके तहत स्थानीय लोगों की जमीन पर ही 250 से 500 किलोवाट के सोलर प्लांट लगाए गए. जिनसे उनकी बिजली की मांग पूरी करने के साथ-साथ बिजली बोर्ड ने भी उनसे एक निश्चित दर से बिजली खरीदी.
सरकार के इस कदम का असर भी देखने को मिला और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला. साल 2018-19 में इस योजना के तहत करीब 20 मेगावाट और साल 2019-20 में 28 मेगावाट के प्रोजेक्ट हिमाचल के लोगों को अलॉट किए गए.
पांगी में रंग लाई हिम ऊर्जा की पहल
चंबा का पांगी क्षे़त्र राजधानी शिमला से लगभग 461 किलोमीटर दूर और 7,000 से 11,000 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. बर्फबारी के महीनों में यहां बिजली की कटौती आम बात है और दुर्गम क्षेत्र में बिजली की लाइन बाधित होने के कारण ये कटौती महीनों तक चल सकती है. ऐसे में सरकार ने 3.83 करोड़ का प्रावधान कर यहां के बीपीएल परिवारों को ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट मुहैया करवाए.
सरकार की तरफ से पांग में हिम ऊर्जा द्वारा 1000 बीपीएल परिवारों को 250 वाट के ऑफबीट सोलर प्लांट दिए गए. नतीजे उम्मीद से बढ़कर रहे तो पहल सफल साबित हुई. अब हिम ऊर्जा का लक्ष्य पांगी के बचे हुए 1162 बीपीएल परिवारों को भी ऑफबीट सोलर प्लांट पहुंचाने का है. इसके अलावा पांगी के सभी 5000 घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए सरकार से सब्सिडी की मांग भी की जाएगी.
दुर्गम क्षेत्र किन्नौर जिले के गांव कुन्नू और चारंग में स्वच्छ बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुन्नू गांव में 34 घरों और चारंग गांव में 40 घरों में एक किलोवाट के ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट निःशुल्क स्थापित किए.
हाइड्रो पावर के साथ सोलर पावर का भी सिरमौर बनेगा हिमाचल
हिमाचल एक बिजली उत्पादक राज्य है जहां छोटे-बड़े कई हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट हैं. हिमाचल की बदौलत उत्तर भारत के कई राज्यों को बिजली मिलती है. लेकिन हाइड्रो पावर परियोजनाओं के निर्माण में समय और धन बहुत अधिक खर्च होता है. इसके मुकाबले सौर ऊर्जा सस्ता और कम समय में बिजली आपूर्ति करने का जरिया है.
हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वक्त में सौर ऊर्जा पर निर्भरता को बढ़ाया जाए. सुखराम चौधरी ने कहा कि हिमाचल सरकार भी सौर ऊर्जा के विस्तार के लिए हर मुमकिन कदम उठा रही है और जल्द ही हिमाचल हाइड्रो पावर के साथ सोलर पावर का भी सिरमौर बनेगा.
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