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कोरोना से जंग: स्वास्थ्य विभाग के 'बफर स्टॉक स्टोर रूम' में बिना छुट्टी लिए काम कर रहे कर्मचारी

राजधानी शिमला में स्वास्थ्य विभाग ने बफर स्टॉक स्टोर रूम बनाया है. यहां से प्रदेश में सभी कोविड सेंटर में सामान भेजा जाता है. उप निदेशक व नोडल अधिकारी डॉ. रमेश चंद ने बताया कि कर्फ्यू के दौरान ट्रक से लोडिंग-अनलोडिंग करना एक चुनौती है, क्योंकि समय पर मजदूर नहीं मिलते. ऐसे में जो सामान केंद्र से आ रहा है उसे स्टोर में रखना या फिर प्रदेश के विभिन्न केंद्र तक पहुंचना एक चुनौती रहता है. ऐसे में उनके सहयोगी कर्मचारी पिछले साल से बिना छुट्टी लिए काम कर रहे हैं.

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Published : May 27, 2021, 8:29 AM IST

शिमला: शिमला में कोरोना कर्फ्यू के चलते मजदूर ढूंढना एक चुनौती है, वो भी रात के समय में. ऐसे में निदेशालय में बतौर उप निदेशक व उनके सहयोगी दिन-रात काम कर रहे हैं. ट्रक से खुद सामान लोडिंग-अनलोडिंग का जिम्मा संभाल रखा है. मजदूर मिलने पर उनसे भी काम लिया जाता है, नहीं तो खुद ही मोर्चा संभाल लेते हैं.

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बिना छुटी लिए कर रहे काम

उप निदेशक व नोडल अधिकारी डॉ. रमेश चंद ने बताया कि पिछले साल जब कोरोना संक्रमण शुरू हुआ था, तब स्वास्थ्य विभाग ने बफर स्टॉक स्टोर रूम बनाया था. यहां से प्रदेश में सभी कोविड सेंटर में सामान भेजा जाता है. डॉ. रमेश चंद ने कहा कि कर्फ्यू के दौरान ट्रक से लोडिंग-अनलोडिंग करना एक चुनौती है, क्योंकि समय पर मजदूर नहीं मिलते. ऐसे में जो सामान केंद्र से आ रहा है उसे स्टोर में रखना या फिर प्रदेश के विभिन्न केंद्र तक पहुंचना एक चुनौती रहता है. ऐसे में उनके सहयोगी कर्मचारी पिछले साल से बिना छुट्टी लिए काम कर रहे हैं.

खाने की नहीं कोई व्यवस्था

स्टोर में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि वह सुबह 6 बजे स्वास्थ्य निदेशालय आ जाते हैं. यहां चाय-पानी व खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. कई बार काम करते हुए रात को 12 बज जाते हैं. कोरोना कर्फ्यू होने के कारण दुकानें दोपहर 1 बजे तक ही खुलती है. कई बार तो घर का राशन भी नहीं ले पाते हैं.

ये भी पढ़ें: कोरोना से मिले जख्मों पर मरहम, अनाथ बच्चों को पांच लाख व विधवाओं के नाम दो लाख की एफडी करेगी सरकार

शिमला: शिमला में कोरोना कर्फ्यू के चलते मजदूर ढूंढना एक चुनौती है, वो भी रात के समय में. ऐसे में निदेशालय में बतौर उप निदेशक व उनके सहयोगी दिन-रात काम कर रहे हैं. ट्रक से खुद सामान लोडिंग-अनलोडिंग का जिम्मा संभाल रखा है. मजदूर मिलने पर उनसे भी काम लिया जाता है, नहीं तो खुद ही मोर्चा संभाल लेते हैं.

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बिना छुटी लिए कर रहे काम

उप निदेशक व नोडल अधिकारी डॉ. रमेश चंद ने बताया कि पिछले साल जब कोरोना संक्रमण शुरू हुआ था, तब स्वास्थ्य विभाग ने बफर स्टॉक स्टोर रूम बनाया था. यहां से प्रदेश में सभी कोविड सेंटर में सामान भेजा जाता है. डॉ. रमेश चंद ने कहा कि कर्फ्यू के दौरान ट्रक से लोडिंग-अनलोडिंग करना एक चुनौती है, क्योंकि समय पर मजदूर नहीं मिलते. ऐसे में जो सामान केंद्र से आ रहा है उसे स्टोर में रखना या फिर प्रदेश के विभिन्न केंद्र तक पहुंचना एक चुनौती रहता है. ऐसे में उनके सहयोगी कर्मचारी पिछले साल से बिना छुट्टी लिए काम कर रहे हैं.

खाने की नहीं कोई व्यवस्था

स्टोर में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि वह सुबह 6 बजे स्वास्थ्य निदेशालय आ जाते हैं. यहां चाय-पानी व खाने की कोई व्यवस्था नहीं है. कई बार काम करते हुए रात को 12 बज जाते हैं. कोरोना कर्फ्यू होने के कारण दुकानें दोपहर 1 बजे तक ही खुलती है. कई बार तो घर का राशन भी नहीं ले पाते हैं.

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