शिमलाः प्रदेश में रूसा के तहत 2013 से 2015 सत्र में बीएससी की डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को टीजीटी नॉन मेडिकल की भर्ती में नियम पूरे ना होने के चलते पर बाहर कर दिया गया है. मामले पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इसका सारा ठीकरा पूर्व की कांग्रेस सरकार पर फोड़ा है.
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व सरकार ने बिना सोचे समझे रूसा को प्रदेश में लागू कर दिया. इसमें ना तो सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन देखे गए और ना ही फेकल्टी की आवश्यकता. यही वजह है कि बाद प्रदेश में भाजपा सरकार को इसे रिव्यू करना पड़ा और इसमें आवश्यक बदलाव करते हुए इसे वार्षिक प्रणाली के तहत लाया गया.
वहीं, सुरेश भारद्वाज ने कहा कि यह मामला हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का है और एचपीयू कुलपति इस पूरे मामले को देखते हुए इसका समाधान करेंगे. उन्होंने कहा कि वह मामले से अवगत नहीं हैं और उन्हें भी समाचार पत्रों के माध्यम से इस बारे में जानकारी मिली है. ऐसे में अगर यह समस्या सरकार के पास आती है, तो इसका समाधान करने का प्रयास किया जाएगा.
इसके साथ उन्होंने कहा कि टीजीटी के लिए अलग सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन और बीएड के लिए अलग सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन की आवशयकता है. ऐसे में या तो बीएड की इस एलिजिबिलिटी को बदलना पड़ेगा, लेकिन यह मात्र एनसीटीई ही कर सकती है. ऐसे में इस पर विचार किया जाएगा कि किस तरह से इसका समाधान किया जा सकता है.
बता दें कि प्रदेश में वर्ष 2013 से 2015 में एचपीयू से रूसा के तहत जिन छात्रों ने यूजी डिग्री की है, उन्हें इस तरह के कॉम्बिनेशन पढ़ा दिए गए है कि अब इन युवाओं के हाथों में डिग्री होने के बाद भी शिक्षक बनने का अवसर छीन गया है.
इस तरह के दो अभ्यर्थियों को अभी हाल ही में टीजीटी नॉन मेडिकल की लिखित परीक्षा पास करने के बाद भी शिक्षक नहीं बन पाए हैं, क्योंकि उन्होंने रूसा के तहत वह सब्जेक्ट ही नहीं पढ़े हैं. जो उन्हें नियमों के तहत पढ़ने चाहिए थे. ऐसे में टीजीटी नॉन मेडिकल के पद के लिए हमीरपुर चयन आयोग ने इन दो अभ्यर्थियों को भर्ती से बाहर कर दिया है.