शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के मानव संसाधन केन्द्र में शनिवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज भी वैबनार के जरिए शामिल हुए. इस दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोविड-19 का सबसे अधिक प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र पर हुआ है. शैक्षणिक संस्थान बंद पड़े हैं और ऐसे में छात्रों की पढ़ाई को ऑनलाइन जारी रखा गया है.
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश में सभी बच्चों तक ऑनलाइन पहुंच बना पाना बहुत से कारणों से संभव नहीं है ऐसे में अब जो बच्चें ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं उनके घर-द्वार तक उन्हें स्टडी मैटेरियल उपलब्ध करवाया जाएगा. शिक्षक छात्रों के घर तक इस स्टडी मैटेरियल को पहुंचाने का काम करेंगे.
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 18 हजार स्कूल और कॉलेज चलाए जा रहे हैं. वहीं, 2300 स्कूल निजी संस्था की ओर से चलाए जा रहे है. उन्होंने इस बात को माना कि कोविड 19 से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को पटरी में लाया जा सकता है, शिक्षा के क्षेत्र में अगर बच्चों का एक साल खराब हो जाए तो उसकी पूर्ति करना संभव नहीं है.
शिक्षा मंत्री ने कहा सरकार की ओर से वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में 72 प्रतिशत और प्राथमिक स्कूलों में 63 प्रतिशत डिजिटल पढ़ाई करवाई जा रही है. अन्य छात्र प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में हैं. जिन्हें शिक्षक घर जा कर उन्हें नोट्स पहुंचाएंगे.
शिक्षा मंत्री ने बताया कि देशभर में सभी स्कूल कॉलेज पिछले 4 माह से बंद हैं. सभी सावधानियों के बावजूद भविष्य के लिए अनिश्चिताएं बनी हुई है. उन्होंने कहा कि सभी परीक्षाएं स्थगित या रद्द करनी पड़ी हैं. विद्यार्थी अनिश्चिताओं के कारण अवसाद ग्रस्त हो रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है.
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की सम्भावनाएं भी उजागर हुई है. उन्होंने कहा कि लोकल के लिए वोकल का शिक्षा पर भी असर हुआ है, जिससे स्वदेशी माध्यमों पर अनुसंधान की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई है, जिससे शिक्षा एवं रोजगार में नई संरचना स्थापित होगी.
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