शिमला: गाय का गोबर और गौमूत्र भी कई उत्पादों का निर्माण कर सकता है जो बेहद फायदेमंद साबित होते हैं. कामनापूर्णी गौशाला में इसी बात की ओर ध्यान दिया जा रहा है. यहां से बेहद सामान्य कीमतों में गौमूत्र लोगों को उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके अलावा गोबर से धूप, हवन की लकड़िया भी बनाई जा रही हैं. इन्हीं उत्पादों को बेचकर इकट्ठा की गई राशि को गायों का पालन-पोषण में इस्तेमाल किया जाता है.
कैंसर को दूर करने की क्षमता रखता है गौमूत्र अर्क- समिति सदस्य
कामनापूर्णी गौशाला के समिति सदस्य ने कहा कि गाय के गोबर और गौमूत्र में औषधीय गुण होते हैं. यही वजह है कि गाय के गौमूत्र से तैयार किए जाने वाले गौमूत्र अर्क के सेवन से कैंसर जैसे गंभीर रोगों को भी ठीक किया जा सकता है बस शर्त है कि मरीज की कीमोथेरेपी शुरू ना कि गई हो. इसके साथ ही यह गौमूत्र अर्क डाइबटीज के मरीजों के लिए भी बेहद ही कारगर साबित होता है.
गोबर से बन रहे इकोफ्रेंडली गमले, धूप और लकड़ी
गोबर से हवन में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी तैयार की जा रही है. गोबर से बनी लकड़ी पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है और वातावरण को भी शुद्ध करती है. इसके अलावा गोबर के गमले भी बनाए जा रहें हैं. गोबर से बने गमलों में लगाए जाने वाले पौधे मिट्टी में लगाए जाने वाले पौधों से ज्यादा जल्दी बड़े होते है और उन्हें गाय के गोबर से खाद के गुण भी मिलते है.
2009 में एक गाय के साथ शुरु हुई थी गौशाला
कामनापूर्णी गौशाला की शुरुआत एक घायल गाय के साथ हुई थी. एक घायल गाय के साथ शुरू हुई ये गौशाला आज लोगों के लिए मिसाल बन गई है. कामनापूर्णी गौशाला से लोगों को सीख लेने चाहिए कि गाय पालन सिर्फ अपने फायदे के लिए न करें बल्कि उनकी देखभाल भी आवश्यक है. इसी उद्देश्य से कामनापूर्णी गौशाला की शुरूआत की गई थी जो आज एक मुहिम बन चुकी है.
अब तक 60 गायों का सहारा दे चुकी है कामनापूर्णी गौशाला
एक गाय के साथ शुरु हुई कामनापूर्णी गौशाला में अब तक 60 गायों को सहारा दिया गया है. गौशाला समिति की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि सड़कों पर बेसहारा छोड़ी गई दूसरी गायों को भी सहारा दिया जाए. इसके लिए समिति एक शेड का निर्माण गैशाला के साथ लगती जमीन पर करना चाह रही है, जिसके बाद 50 और गायों को यहां रखने की व्यवस्था की जा सकेगी, लेकिन इसके लिए समिति को सरकार से मदद की दरकार है.
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