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IGMC की डॉ. शिखा ने रचा इतिहास, लीवर की आर्टरी की क्वाइलिंग कर मरीज को दी नई जिंदगी

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Published : Aug 5, 2020, 5:18 PM IST

शिमला आईजीएमसी की डॉ. शिखा सूद ने मरीज की हैपेटिक आर्टरी की क्वाइलिंग करके नई जिंदगी दी है. अब इस बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इलाज के लिए पीजीआई और एम्स नहीं जाना पड़ेगा. ऑपरेशन चार घंटे चला. मरीज ने खुद मॉनिटर पर ऑपरेशन देखा और वर्बल कमांड को भी फॉलो किया.

new life in artistry at IGMC
डॉ. शिखा सूद

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में तैनात सहायक प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद ने जिले के बगदा से आए 66 साल के अमर सिंह को हैपेटिक आर्टरी की क्वाइलिंग करके नई जिंदगी दी. यह इलाज पहली बार आईजीएमसी में हुआ.

बता दें कि अमर सिंह की गंभीर अवस्था को देखते हुए तुरंत उसका सीटी स्कैन एवं अल्ट्रासाउंड किया गया. जिसमें इस बीमारी का पता चला उसकी पित्त की थैली में तीन सेंटीमीटर की पथरी है. जो पित्त की थैली को चीरती हुई पित्त की नली में फंस गई. यही नहीं इसके साथ ही पत्थर ने हैपेटिक आर्टरी को भी चीर दिया. जिसके कारण मरीज की हालत गंभीर हो गई. इससे उसे सूडो एन्यूरिज्म हो गया. ऐसी गंभीर अवस्था में मरीज के शरीर में खून नसों से बाहर एकत्रित हो जाता. किसी भी समय मरीज की मौत होने की आशंका बनी रहती. ऐसी स्थिति में मरीज का ऑपरेशान नहीं किया जा सकता.

वीडियो
मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए डॉ. शिखा पहली ऐसी डॉक्टर हैं जिन्होंने हाल ही में एम्स न्यू दिल्ली में इंटरवेंशन रेडियोलॉजी में प्रशिक्षा प्राप्त की. उन्होंने गैस्टोइन्टैस्टाइनल रेडियोलॉजी में फैलोशिप की. यहां आईजीएमसी में पुन: कार्यभार संभालने के बाद डॉ. शिखा ने विभाग में हार्डवेयर की व्यवस्था कराई और मरीज का इलाज करके नई जिंदगी दी. बता दें कि डॉ. शिखा इसके अलावा अन्य कई और तरीके के इंटरवेशंस कर रही हैं जो कि प्रदेश के उच्चतम शिक्षण संस्थान आईजीएमसी में पहली बार हो रही है.

मरीज ने देखा ऑपरेशन

डॉ. शिखा सूद अभी तक कई मरीजों का उपचार बिना चीर फाड़ के कर चुकी हैं. उन्होंने मरीज की टांग की नस से जाते हुए हैपेटिक आर्टरी तक पहुंच कर सूडो एन्यूरिज्म को मेन आर्टिरियल फलो से अलग कर दिया. साढ़े चार घंटे तक चला यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा. डॉ .शिखा ने बताया कि उपचार के दौरान मरीज पूरी तरह होश में था और सामने रखे मॉनिटर में स्वयं का ऑपरेशन होता देख रहा था. यहां तक कि मरीज वर्बल कमांड्स को भी फॉलो कर रहा था. डॉ. शिखा ने बताया कि आर्टरी की क्वाइलिंग शरीर के किसी भी हिस्से में जहां कहीं भी सूडो एन्यूरिज्म बन गया हो, की जा सकती है. यह सूडो एन्यूरिज्म ट्यूमर, टामा, इन्फेक्शन या इन्फ्लेमेशन के कारण बन सकते हैं.

मरीज की हालत बेहतर

डॉ. शिखा ने बताया कि मरीज अब एक दम ठीक है और चल फिर भी रहा है. मरीज ने स्वयं भोजन करना आरंभ कर दिया है. डॉ शिखा ने पीटीबीडी विद एनालाइजेशन करके भी आईजीएमसी में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उन्होंने बताया कि मरीज के उपचार के दौरान उन्होंने अपने दो जूनियर डॉक्टर्स डॉ आबोरेशी और डॉ राजेश को इस बीमारी को लेकर पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके साथ ऑपरेशन थियेटर में नर्स सुनीता रेडियोग्राफर तजेन्द्र भी मौजूद रहे. डॉ शिखा ने बताया कि ऐसे मरीजों को अब पीजीआई या एम्स जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

ये भी पढ़ें: पर्यटकों को सर्शत अनुमति के बाद भी सुनसान है ये हिल स्टेशन, कारोबारियों को सता रही चिंता

शिमला: इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में तैनात सहायक प्रोफेसर डॉ. शिखा सूद ने जिले के बगदा से आए 66 साल के अमर सिंह को हैपेटिक आर्टरी की क्वाइलिंग करके नई जिंदगी दी. यह इलाज पहली बार आईजीएमसी में हुआ.

बता दें कि अमर सिंह की गंभीर अवस्था को देखते हुए तुरंत उसका सीटी स्कैन एवं अल्ट्रासाउंड किया गया. जिसमें इस बीमारी का पता चला उसकी पित्त की थैली में तीन सेंटीमीटर की पथरी है. जो पित्त की थैली को चीरती हुई पित्त की नली में फंस गई. यही नहीं इसके साथ ही पत्थर ने हैपेटिक आर्टरी को भी चीर दिया. जिसके कारण मरीज की हालत गंभीर हो गई. इससे उसे सूडो एन्यूरिज्म हो गया. ऐसी गंभीर अवस्था में मरीज के शरीर में खून नसों से बाहर एकत्रित हो जाता. किसी भी समय मरीज की मौत होने की आशंका बनी रहती. ऐसी स्थिति में मरीज का ऑपरेशान नहीं किया जा सकता.

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मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए डॉ. शिखा पहली ऐसी डॉक्टर हैं जिन्होंने हाल ही में एम्स न्यू दिल्ली में इंटरवेंशन रेडियोलॉजी में प्रशिक्षा प्राप्त की. उन्होंने गैस्टोइन्टैस्टाइनल रेडियोलॉजी में फैलोशिप की. यहां आईजीएमसी में पुन: कार्यभार संभालने के बाद डॉ. शिखा ने विभाग में हार्डवेयर की व्यवस्था कराई और मरीज का इलाज करके नई जिंदगी दी. बता दें कि डॉ. शिखा इसके अलावा अन्य कई और तरीके के इंटरवेशंस कर रही हैं जो कि प्रदेश के उच्चतम शिक्षण संस्थान आईजीएमसी में पहली बार हो रही है.

मरीज ने देखा ऑपरेशन

डॉ. शिखा सूद अभी तक कई मरीजों का उपचार बिना चीर फाड़ के कर चुकी हैं. उन्होंने मरीज की टांग की नस से जाते हुए हैपेटिक आर्टरी तक पहुंच कर सूडो एन्यूरिज्म को मेन आर्टिरियल फलो से अलग कर दिया. साढ़े चार घंटे तक चला यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा. डॉ .शिखा ने बताया कि उपचार के दौरान मरीज पूरी तरह होश में था और सामने रखे मॉनिटर में स्वयं का ऑपरेशन होता देख रहा था. यहां तक कि मरीज वर्बल कमांड्स को भी फॉलो कर रहा था. डॉ. शिखा ने बताया कि आर्टरी की क्वाइलिंग शरीर के किसी भी हिस्से में जहां कहीं भी सूडो एन्यूरिज्म बन गया हो, की जा सकती है. यह सूडो एन्यूरिज्म ट्यूमर, टामा, इन्फेक्शन या इन्फ्लेमेशन के कारण बन सकते हैं.

मरीज की हालत बेहतर

डॉ. शिखा ने बताया कि मरीज अब एक दम ठीक है और चल फिर भी रहा है. मरीज ने स्वयं भोजन करना आरंभ कर दिया है. डॉ शिखा ने पीटीबीडी विद एनालाइजेशन करके भी आईजीएमसी में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. उन्होंने बताया कि मरीज के उपचार के दौरान उन्होंने अपने दो जूनियर डॉक्टर्स डॉ आबोरेशी और डॉ राजेश को इस बीमारी को लेकर पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके साथ ऑपरेशन थियेटर में नर्स सुनीता रेडियोग्राफर तजेन्द्र भी मौजूद रहे. डॉ शिखा ने बताया कि ऐसे मरीजों को अब पीजीआई या एम्स जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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