रामपुर: शिमला जिले के रामपुर ब्लॉक में पंचायत स्तर पर तकनीकी स्टाफ व ग्राम सेवकों की भारी कमी का असर ग्रामीण विकास की कई बड़ी योजनाओं पर पड़ रहा है. इससे जहां विकास कार्यों में कई तरह की खामियां पाई जा रही हैं, वहीं कई योजनाएं समय से पूरी होती नहीं दिख रही हैं. स्टाफ की कमी के चलते मनरेगा और पीएमजीएसवाई जैसी प्रमुख योजनाएं सीधे तौर पर प्रभावित हुई हैं. विभिन्न पंचायत और ब्लाक स्तर पर ऐसे कर्मचारियों की नियुक्तियां नहीं हो रही हैं. जिसके चलते योजनाओं को पूरा करने में अनावश्यक देरी हो रही है.
हालात इस कदर हैं कि रामपुर व ननखड़ी में एक तकनीकी सहायक को चार से पांच पंचायतें सौंपी गई हैं. जिसमें उन्हें पंचायत के सभी कार्य करने हैं. इसी कारण पंचायत में कार्य प्रभावित हो रहे हैं. यदि तकनीकी सहायक हर पंचायत में हो तो कार्य को समय पर निपटाया जा सकता है और सरकार की योजनाओं को धरातल पर भी समय पर उतारा जा सकता है. जिस कारण ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत के लोगों को अब अपने कार्य करने में परेशानी हो रही है.
वहीं, इसको लेकर ग्राम पंचायत धार गौरा के प्रधान अजय राणा ने बताया कि सहायक तकनीकी व ग्राम सेवक की कमी के कारण पंचायतों में विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं, वह भी समय पर पुरी नहीं हो पा रही हैं. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के मनरेगा श्रमिकों को भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि रामपुर में कुल 36 पंचायतें हैं, जिनका काम इस समय 9 सहायक तकनीकी स्टाफ और 11 ग्राम सेवकों के हवाले हैं.
रामपुर भौगोलिक दृष्टि से अधिक कठिन क्षेत्र है. यहां पर सहायक तकनीकी स्टाफ और ग्राम सेवकों की अधिक जरूरत है ताकि क्षेत्र में मनरेगा जैसे कार्य को धरातल पर उतारा जाए. विकास खंड योजना अधिकारी रामपुर घनश्याम सोनी ने बताया कि रामपुर में 9 तकनीकी सहायक और 11 ग्राम सेवक मौजूद हैं, जो इस समय अपना कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्टाफ की कमी के चलते कार्य में देरी हो रही है. उम्मीद है कि जल्द यहां नए स्टाफ की तैनाती होगी.
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