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हिमाचल पर कर्ज के बढ़ते भार पर जारी से सियासी तकरार, सुक्खू और बिंदल में वार-पलटवार

Himachal Pradesh Debt Politics: हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है. सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर अपना दामन साफ बता रहे हैं और एक-दूसरे के खिलाफ झंडा उठाए हुए हैं. कर्ज के तले दबते प्रदेश के लिए कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराती रही है. ताजा सियासी घमासान बीजेपी के उस आरोप पर है जिसके मुताबिक महज 10 महीने की सरकार में कांग्रेस 10300 करोड़ का कर्ज ले चुकी है. इस मसले पर दोनों पार्टियों के दो सबसे बड़े चेहरे आमने-सामने हैं. पढ़े पूरी ख़बर

Sukhvinder sukhu vs Rajeev bindal
Sukhvinder sukhu vs Rajeev bindal
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 23, 2023, 2:00 PM IST

प्रदेश पर बढ़ते कर्ज के बोझ पर बीजेपी vs कांग्रेस

शिमला: हिमाचल प्रदेश में बढ़ते कर्ज के बोझ पर सियासत लगातार उबाल मार रही है. बीजेपी और कांग्रेस के बीच कर्ज लेने पर तकरार छिड़ी हुई है. हिमाचल पर कर्ज का बोझ 75 हजार करोड़ के पार पहुंच चुका है. जिसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी रहती है. ताजा सियासी घमासान में बीजेपी की ओर से प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने मोर्चा संभाला है तो सरकार की ओर से पलटवार खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने किया है.

बीजेपी ने सरकार को घेरा- हिमाचल में कांग्रेस सरकार को बने एक साल का वक्त होने वाला है. इस बीच भाजपा ने प्रदेश सरकार पर 10 महीने के कार्यकाल के दौरान ही 10300 करोड़ का कर्ज लेने के आरोप लगाए हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने वर्तमान कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है और कांग्रेसी सफाई देने में जुटे हैं. लेकिन वो सफाई भी ठीक ढंग से नहीं दे पा रहे हैं.

"आरटीआई के माध्यम से जानकारी मिली है कि जनवरी 2023 से अब तक हिमाचल सरकार ने 10,300 करोड़ का कर्ज लिया है. इस हिसाब से पिछले साल दिसंबर में सत्ता संभालने वाली कांग्रेस हर महीने औसतन 1000 करोड़ रुपये का कर्ज ले रही है. कांग्रेस इसी तरह लोन लेती रही तो 5 साल के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार 60 हजार करोड़ का कर्ज ले लेगी. जबकि सरकार ने ना तो कोई काम किया है, ना नए कार्यालय खोले हैं और ना ही अपनी दी हुई गारंटी पूरी की है." - राजीव बिंदल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष

राजीव बिंदल ने पूर्व की बीजेपी सरकार के दौरान खोले गए सरकारी संस्थानों को बंद करने को लेकर भी सुक्खू सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता कर्ज पर कर्ज ले रहे हैं और आंकड़ों की जादुगरी कर रही है. लेकिन जनता उनके बहकावे में नहीं आएगी. बिंदल ने कहा कि प्रदेश की जनता पूछ रही है कि कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में 1500 संस्थान बंद क्यों किए ?

मुख्यमंत्री ने दिया जवाब- उधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू समेत तमाम कांग्रेसी प्रदेश पर बढ़ते बोझ के लिए पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. बुधवार को सचिवालय कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि पूर्व की बीजेपी सरकार भारी देनदारी छोड़कर गई है. दरअसल हिमाचल के कर्मचारी डीए की किस्त की डिमांड कर रहे हैं. जिसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की देनदारी समेत तमाम देनदानियां पूर्व की सरकार छोड़कर गई है, जिसके कारण कर्मचारियों को लाभ देने में देरी हो रही है. सरकार के पहले साल में कर्ज लेने के बीजेपी के आरोपों पर सुखविंदर सुक्खू ने पलटवार किया है.

"जिस 10300 करोड़ के कर्ज की बात हो रही है, हम तो उसे लेने के लिए तैयार हैं पर कोई दिलाओ तो, लेकिन हमारी लिमिट 6600 करोड़ कर दी है. अब अगर लिमिट 6600 करोड़ है तो 10 हजार करोड़ का लोन कैसे हो गया. हमने अब तक कुल 4400 करोड़ का ही लोन लिया है. ओल्ड पेंशन के कारण 1780 करोड़ हमारे रोक दिए हैं. अगर बीजेपी नेता 10 हजार करोड़ दिलाएंगे तो हिमाचल सरकार लेने के लिए तैयार है. वो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास जाएं और हमें वो कर्ज दिलाएं, हम तो मांग कर रहे हैं और मैंने बकायदा इसके लिए चिट्ठी भी लिखी थी."- सुखविंदर सुक्खू, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

कुल मिलाकर इन दिनों हिमाचल में एक बार फिर कर्ज पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. वैसे बीते करीब डेढ से दो दशक में हिमाचल में कर्ज को लेकर विपक्ष सरकार को घेरता रहा है, फिर चाहे सरकार किसी की भी हो. बीते कुछ सालों में हिमाचल पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ा है जो मौजूदा समय में 75 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है. इस साल आपदा में भी हिमाचल प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है जिसके बाद मुख्यमंत्री कई बार केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर चुके हैं.

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बीजेपी ने सरकार को घेरा- हिमाचल में कांग्रेस सरकार को बने एक साल का वक्त होने वाला है. इस बीच भाजपा ने प्रदेश सरकार पर 10 महीने के कार्यकाल के दौरान ही 10300 करोड़ का कर्ज लेने के आरोप लगाए हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने वर्तमान कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस की सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है और कांग्रेसी सफाई देने में जुटे हैं. लेकिन वो सफाई भी ठीक ढंग से नहीं दे पा रहे हैं.

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राजीव बिंदल ने पूर्व की बीजेपी सरकार के दौरान खोले गए सरकारी संस्थानों को बंद करने को लेकर भी सुक्खू सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता कर्ज पर कर्ज ले रहे हैं और आंकड़ों की जादुगरी कर रही है. लेकिन जनता उनके बहकावे में नहीं आएगी. बिंदल ने कहा कि प्रदेश की जनता पूछ रही है कि कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में 1500 संस्थान बंद क्यों किए ?

मुख्यमंत्री ने दिया जवाब- उधर मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू समेत तमाम कांग्रेसी प्रदेश पर बढ़ते बोझ के लिए पूर्व की जयराम ठाकुर सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं. बुधवार को सचिवालय कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने एक बार फिर दोहराया कि पूर्व की बीजेपी सरकार भारी देनदारी छोड़कर गई है. दरअसल हिमाचल के कर्मचारी डीए की किस्त की डिमांड कर रहे हैं. जिसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की देनदारी समेत तमाम देनदानियां पूर्व की सरकार छोड़कर गई है, जिसके कारण कर्मचारियों को लाभ देने में देरी हो रही है. सरकार के पहले साल में कर्ज लेने के बीजेपी के आरोपों पर सुखविंदर सुक्खू ने पलटवार किया है.

"जिस 10300 करोड़ के कर्ज की बात हो रही है, हम तो उसे लेने के लिए तैयार हैं पर कोई दिलाओ तो, लेकिन हमारी लिमिट 6600 करोड़ कर दी है. अब अगर लिमिट 6600 करोड़ है तो 10 हजार करोड़ का लोन कैसे हो गया. हमने अब तक कुल 4400 करोड़ का ही लोन लिया है. ओल्ड पेंशन के कारण 1780 करोड़ हमारे रोक दिए हैं. अगर बीजेपी नेता 10 हजार करोड़ दिलाएंगे तो हिमाचल सरकार लेने के लिए तैयार है. वो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास जाएं और हमें वो कर्ज दिलाएं, हम तो मांग कर रहे हैं और मैंने बकायदा इसके लिए चिट्ठी भी लिखी थी."- सुखविंदर सुक्खू, मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश

कुल मिलाकर इन दिनों हिमाचल में एक बार फिर कर्ज पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. वैसे बीते करीब डेढ से दो दशक में हिमाचल में कर्ज को लेकर विपक्ष सरकार को घेरता रहा है, फिर चाहे सरकार किसी की भी हो. बीते कुछ सालों में हिमाचल पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ा है जो मौजूदा समय में 75 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है. इस साल आपदा में भी हिमाचल प्रदेश को काफी नुकसान हुआ है जिसके बाद मुख्यमंत्री कई बार केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर चुके हैं.

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