शिमला: हिमाचल प्रदेश में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साल 2020 में इस साल अब तक 3124 शिकायतें आ चुकी हैं. इनमें से अधिकतर मामले पैसों की ठगी से जुड़े हैं. सोशल मीडिया से लेकर, डिजिटल वॉलेट और डेबिट-क्रेडिट कार्ड से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक के जरिये इन मामलों को अंजाम दिया गया है.
साइबर क्राइम का फैलता जाल
हिमाचल में साल दर साल साइबर क्राइम का जाल फैलता जा रहा है. साल 2016 में हिमाचल सरकार ने पुलिस मुख्यालय शिमला में साइबर थाना बनाया गया. आंकड़ों के मुताबिक इस साल अब तक सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले सामने आए हैं. पुलिस के मुताबिक इस साल साइबर ठगी के मामलों में पैसे के लिहाज से सबसे ज्यादा रिकवरी की गई है लेकिन महज 10 महीनों में करीब 3000 से ज्यादा मामले चिंताजनक हैं.
डरा रहे हैं आंकड़े
- साल 2016 में सोशल नेटवर्किंग साइट्स या एप के जरिये हुई धोखाधड़ी की 101 शिकायतें आई. जो साल 2017 में 151, साल 2018 में 269, साल 2019 में 436 और साल 2020 में 1054 तक पहुंच गए.
- डेबिट और क्रेडिट कार्ड के जरिये हुए साइबर अपराधों की शिकायतों में साल दर साल इजाफा हुआ है. साल 2016 में ऐसे कुल 110 शिकायतें आईं जो साल 2017 में 419 तक पहुंच गई. साल 2018 में 523, साल 2019 में 766 और इस साल अब तक 983 शिकायतें सामने आई हैं.
- इसके अलावा कुछ अन्य मामले भी थे जिनमें साइबर क्राइम टीम की जरूरत पड़ी. ऐसे मामलों में भी साल दर साल इजाफा हुआ है. साल 2016 में ऐसे मामलों की संख्या 134 थी. जो साल 2018 में 188, साल 2019 में 436 और साल 2020 में 1023 पहुंच गए.
- शिमला स्थित प्रदेश के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में प्रदेशभर से साइबर क्राइम से जुड़ी शिकायतें पहुंचती हैं. आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में यहां कुल 519 शिकायतें आई जो साल 2016 में 570, साल 2018 में 980, साल 2019 में 1638 और साल 2020 में 3124 पहुंच गई. इन शिकायतों में मोबाइल फोन खोने की शिकायतें भी शामिल हैं क्योंकि फोन ढूंढने के लिए सर्विलांस भी इसी पुलिस स्टेशन से होता है.
- ज्यादातर साइबर अपराधों में लोगों से पैसों की ठगी की जाती है. साल दर साल ऐसे मामले बढ़ रहे हैं लेकिन पुलिस के मुताबिक रिकवरी या रिफंड का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. जो साल 2016 में 48,679 रुपये था. जो साल 2017 में 3,24,807.55 रुपये, साल 2018 में 9,59,186 रुपये, साल 2019 में 18,91,298 रुपये और साल 2020 में 11,78,064 रुपये तक पहुंचा. पुलिस के मुताबिक साइबर ठगी के जो भी मामले दर्ज हुए उनमें इस साल 34 लाख से ज्यादा की रिकवरी हुई.
क्या कहती है पुलिस ?
एएसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर का कहना है कि साइबर अपराध एक ऑर्गेनाइज्ड क्राइम है. जो दुनिया के किसी भी हिस्से में रहते हुए अंजाम दिया जा सकता है. इसलिये ऐसे मामलों में अपराधी तक पहुंचना और गिरफ्तारी से लेकर रिकवरी करना बहुत मुश्किल हो जाता है.
नरवीर सिंह राठौर बताते हैं कि बीते सालों में जो मामले सामने आए हैं उनमें डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिये ठगी से लेकर लॉटरी, केबीसी या किसी ऑफर का लालच देकर अपराध को अंजाम दिया गया है. इसके अलावा गाड़ी बेचने खरीदने के नाम पर, किसी वेबसाइट से शॉपिंग, टावर लगाने, पेट्रोप पंप लेने, दुकान के लाइसेंस के नाम पर और नौकरी दिलाने के नाम पर भी ठगी हुई है.
सावधानी हटी, कमाई लुटी
साइबर ठगी से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है. बिना जांच परख या किसी के झांसे में आकर अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी किसी को भी ना दें. इसके अलावा ओटीपी, सीवीवी नंबर, एटीएम पिन भी किसी के साथ शेयर ना करें.
इंटरनेट से लेकर किसी वेबसाइट पर ऑफर, गिफ्ट , नौकरी के बदले पैसा या सस्ती कार, सामान बेचने वालों के झांसे में ना आएं.
आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का जमाना है जो साइबर ठगों के लिए एक मौका है. इसलिये बिना जांच परख के ऑनलाइन शॉपिंग, ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करने से बचें. अज्ञात लिंक, मेल या QR कोड को स्कैन करने से भी बचना चाहिए.
शिमला में साइबर क्राइम के एएसपी नरवीर सिंह राठौर कहते हैं कि विभाग की तरफ से सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये लोगों को जागरुक किया जाता है लेकिन लोगों को खुद से जागरुक और सावधान होने की भी जरूरत है.
अगर फिर भी कोई शख्स साइबर ठगी का शिकार हो जाता है तो जल्द से जल्द इसकी जानकारी पुलिस को दे. नरवीर सिंह कहते हैं कि साइबर ठगी होने पर जल्द से जल्द उसकी शिकायत करें क्योंकि ऐसे मामलों में साइबर सैल द्वारा उठाए गए शुरुआती कदम मामले को सुलझाने औऱ रिकवरी के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं.
साइबर ठगी हो तो क्या करें?
साइबर ठगों का शिकार बनने पर सबसे पहले पुलिस को जानकारी दें. खासकर ऐसे मामलों में साइबर सैल को जानकारी देना उचित होगा. हिमाचल में इसके लिए साल 2016 में शिमला में साइबर सैल बना है जहां इस तरह के मामलों की जांच होती है. इसके अलावा मेल और टोल फ्री नंबर पर भी साइबर क्राइम की शिकायत दी जा सकती है.