शिमला: दुनिया भर में कोरोना महामारी के दौरान निजी और सरकारी काम इंटरनेट के माध्यम से किए जा रहे हैं. ऐसे में कई साइबर अपराधी सक्रिय हो गए हैं. साइबर विभाग के पास जैसे ही शिकायत आती है वह तुरन्त मामले की जांच में लग जाता हैं, लेकिन साइबर विभाग का कहना है कि जांच के दौरान विभिन्न विभागों द्वारा सूचना समय पर नहीं मिलने से जांच प्रभावित होती है.
हिमाचल प्रदेश साइबर विभाग के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि साइबर अपराध के मामले आते ही वह फेसबुक, पेटीएम, ई-वॉलेट, बैंक से सूचना मांगने के लिए पत्र लिखते हैं, लेकिन उन्हें समय पर रिप्लाई नहीं आता है.
उन्होंने बताया कि कई बार सूचना मिलने में 2 से 3 महीने लग जाते हैं, जिसके कारण मामलों की जांच लटक जाती है. एएसपी ने बताया कि 60 फीसदी मामले सुलझा लिए जाते हैं, जबकि 40 फीसदी मामले अभी भी विभाग द्वारा मांगी गई सूचना का रिप्लाई नहीं मिलने से लटके पड़े हैं.
नरवीर सिंह ने बताया कि बीते 2 सालों में साइबर अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है. साइबर अपराध में एफआईआर आंकड़ों की बात करे तो 2018 में 80, 2019 में 95, 2020 में 59 मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं, शिकायत में 2018 में 980, 2019 में 1638 और 2020 में अब तक 1984 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
नरवीर सिंह का कहना है कि साइबर अपराध के अंतर्गत पैसों की ठगी के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि विभाग और सरकार लोगों को साइबर क्राइम से बचने के लिए जागरुकर कर रही है, लेकिन इसके बावजूद लोग ठगी का शिकार होते जा रहे हैं.
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