शिमला: हिमाचल में भांग की खेती करने पर पाबंदी है. पुलिस इसको लेकर एनडीपीएस एक्ट के तहत भी कार्रवाई भी करती है, लेकिन हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने की मांग भी समय-समय पर उठती रही है. हिमाचल सरकार में संसदीय सचिव के पद पर तैनात सुंदर सिंह ठाकुर ने भी भांग की खेती की मैडिसनल, इंडस्ट्रियल यूज की वकालत की है और कहा है कि इसके लिए पॉलिसी बनाई जानी चाहिए.
पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा है कि हिमाचल के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने भांग की खेती को लेकर पॉलिसी तैयार कर दी है. इसी तरह बिहार, गुजरात भी भांग की पॉलिसी बनाने जा रहे हैं, लेकिन हिमाचल में जहां भांग पाई जाती है वहां इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा.
सीपीएस सुंदर ठाकुर ने कहा है कि हिमाचल में भांग की खेती को मैडिसिनल और इंडस्ट्रियल यूज के लिए वैध बनाना चाहिए. भांग का इस्तेमाल कैंसर की दवाईयों में होता है, लेकिन विडंबना है कि इसकी दवाईयां विदेश से आ रही हैं, जबकि हिमाचल में भांग से दवाईयां तैयार की जा सकती हैं. इसके रैशे का इस्तेमाल कपड़े तैयार करने में किया जाता है. इससे हैंडलूम इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल सकता है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे में हिमाचल में भी इस ओर कदम उठाए जाने की जरूरत है.
'बिना नशे वाली भांग की खेती की किस्म हो तैयार'
सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा है कि भांग का नशे के लिए इस्तेमाल करने पर पाबंदी है और इसे जारी रखा जाना चाहिए, लेकिन दूसरे उपयोग के लिए इसके नशे मुक्त किस्म की खेती की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिमाचल में जितनी भांग है और इसका औद्योगिक इस्तेमाल हो तो इससे रोजगार भी मिलेगा.
एनडीपीएस एक्ट में भांग की खेती पर पाबंदी
बता दें कि देश में भांग की खेती करना प्रतिबंधित किया गया है. 1985 में भारत सरकार ने नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज अधिनियम (एनडीपीएस एक्ट) के तहत भांग की खेती करना प्रतिबंधित कर रखा है. हालांकि इस अधिनियम के तहत राज्य सरकारों को औद्योगिक अथवा बागवानी उदेश्यों के लिए भांग की नियंत्रित और विनियमित खेती करने की अमुमति है.
उल्लेखनीय है कि परंपरागत रूप से भांग की शिमला, मंडी, कुल्लू, चंबा और सिरमौर जिला में उगाती है. इसके रेशे से टोकरियां, रस्सी और चप्पलें बनाई जाती थीं और इसके बीजों का उपयोग पारंपरिक खाना पकाने में किया जाता था, लेकिन सरकार की सख्ती के बाद अब इनका उपयोग नाममात्र का रह गया है, हालांकि चोरी छिपे चरस की तस्करी की जाती है.
ये भी पढ़ें- Bank Holidays in Feb 2023 : फरवरी के 28 में से 10 दिन बंद रहेंगे बैंक, देखें छुट्टियों की लिस्ट