शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने नगर निगम (municipal Corporation) में सरकार द्वारा मनोनीत पार्षद संजीव सूद (Councilor Sanjeev Sood) पर नगर निगम की बैठकों में भाग लेने पर रोक लगा दी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राकेश कुमार (Rakesh Kumar) द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किया.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार मनोनीत पार्षद संजीव सूद ने वर्ष 2009 में अवैध निर्माण (illegal construction) करने के मामले में नगर निगम को हलफनामा दिया था कि वह स्वीकृत मैप के अलावा किया गया अतिरिक्त निर्माण हटा देगा, लेकिन वर्ष 2009 से 2019 तक उसने अवैध निर्माण नहीं हटाया. प्रार्थी राकेश कुमार ने वर्ष 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (Urban Development Authority) के पास शिकायत दर्ज की थी, जिसमें कार्रवाई के दौरान प्रार्थी के आरोपों को सही पाया गया.
पार्षद संजीव सूद को डिफॉल्टर घोषित (declared defaulter) किया गया. प्रार्थी के अनुसार पार्षद को डिफॉल्टर घोषित करने बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. वह नवंबर 2019 से नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) की सभी बैठकों में भाग ले रहा है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि जब पार्षद संजीव सूद को वर्ष 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने अयोग्य करार दे दिया तो इसके बावजूद वह कैसे नगर निगम की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है. कोर्ट ने नगर निगम शिमला को कहा है कि अगली सुनवाई के दौरान मनोनीत पार्षद संजीव सूद द्वारा निगम की बैठकों में भाग लेने संबंधी संपूर्ण रिकॉर्ड (record) कोर्ट के समक्ष पेश करे. कोर्ट ने सरकार से भी 4 सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है.
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