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दुनिया की सबसे महंगी सब्जी पर भी पड़ी कोरोना की मार, कम दाम मिलने से ग्रामीणों को नुकसान - Corona impact on Morchella

इस बार अधिक बारिश होने से क्षेत्र के जंगलों में गुच्छी की पैदावार अच्छी है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि इस बार गुच्छी के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.

Corona impact on guchi
गुच्छी पर कोरोना का असर
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Published : May 6, 2020, 11:04 PM IST

Updated : May 7, 2020, 12:11 PM IST

रामपुर/शिमला: प्रदेश के जंगलों में पाए जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी पर भी इस बार कोरोना की मार पड़ रही है. ग्रामीणों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल गुच्छी की कीमत कम हुई है. औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी अधिकतर शिमला के जंगलों में पाई जाती है. इसे ढूंढने के लिए यहां के ग्रामीण जंगलों में जाते हैं.

इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए गुच्छी एक वरदान की तरह है. इससे यहां रहने वाले लोगों की अच्छी-खासी कमाई होती है. स्थानीय लोगों की मानें तो गुच्छी पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट व चमक के कारण जमीन से निकलती है. गुच्छी कई तरह की दवाइयों में प्रयोग होने वाली मशरूम प्रजाति की बूटी का सृजन बारिश के बाद आरंभ हो जाता है. लिहाजा सेब, अनार और सब्जियों के सीजन से पहले गुच्छी से अपनी आय बढ़ाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने अपने दूसरे काम को छोड़ इस अनमोल बूटी की खोज के लिए जंगलों की ओर रुख कर दिया है.

इस व्यवसाय से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार अधिक बारिश होने से क्षेत्र के जंगलों में गुच्छी की पैदावार अच्छी है. इसका सीजन चरम पर है, यह अद्भुत रसायनिक वाली बूटी दवाइयों में इस्तेमाल होने के साथ अब नामचीन होटलों में भी मेहमानों को परोसी जाने लगी है.

वीडियो

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि इस बार गुच्छी के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं.उन्होंने बताया कि गांव में गुच्छी लेने के आने वाले व्यापारी ग्रामीणों से 3 से 4 हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से ले रहे हैं. इससे ग्रामीणों को बहुत नुकसान हो रहा है. पिछले साल ग्रामीणों ने 6 से 8 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से यह गुच्छी गांव में व्यापारियों को बेची थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते गुच्छी की कीमत पर मार पड़ रही है.

वहीं, रामपुर बाजार के व्यापारी रितिक का कहना है कि इस बार अभी ज्यादा गुच्छी रामपुर बाजार में नहीं आ रही है. इसके क्या रेट है यह भी जानकारी नहीं मिली है. पिछले साल की गुच्छी को इस साल में हम 8 हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर गुच्छी बाहरी राज्य के व्यापारियों को भेजते हैं, जहां से यह गुच्छी विदेशों में जाती है.

ये भी पढ़ें: शिमला लोअर बाजार में DC का औचक निरीक्षण, दुकानदारों को दिए ये निर्देश

रामपुर/शिमला: प्रदेश के जंगलों में पाए जाने वाली औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी पर भी इस बार कोरोना की मार पड़ रही है. ग्रामीणों के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल गुच्छी की कीमत कम हुई है. औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी अधिकतर शिमला के जंगलों में पाई जाती है. इसे ढूंढने के लिए यहां के ग्रामीण जंगलों में जाते हैं.

इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए गुच्छी एक वरदान की तरह है. इससे यहां रहने वाले लोगों की अच्छी-खासी कमाई होती है. स्थानीय लोगों की मानें तो गुच्छी पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट व चमक के कारण जमीन से निकलती है. गुच्छी कई तरह की दवाइयों में प्रयोग होने वाली मशरूम प्रजाति की बूटी का सृजन बारिश के बाद आरंभ हो जाता है. लिहाजा सेब, अनार और सब्जियों के सीजन से पहले गुच्छी से अपनी आय बढ़ाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने अपने दूसरे काम को छोड़ इस अनमोल बूटी की खोज के लिए जंगलों की ओर रुख कर दिया है.

इस व्यवसाय से जुड़े लोगों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार अधिक बारिश होने से क्षेत्र के जंगलों में गुच्छी की पैदावार अच्छी है. इसका सीजन चरम पर है, यह अद्भुत रसायनिक वाली बूटी दवाइयों में इस्तेमाल होने के साथ अब नामचीन होटलों में भी मेहमानों को परोसी जाने लगी है.

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वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि इस बार गुच्छी के अच्छे दाम नहीं मिल पा रहे हैं.उन्होंने बताया कि गांव में गुच्छी लेने के आने वाले व्यापारी ग्रामीणों से 3 से 4 हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से ले रहे हैं. इससे ग्रामीणों को बहुत नुकसान हो रहा है. पिछले साल ग्रामीणों ने 6 से 8 हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से यह गुच्छी गांव में व्यापारियों को बेची थी, लेकिन इस बार कोरोना के चलते गुच्छी की कीमत पर मार पड़ रही है.

वहीं, रामपुर बाजार के व्यापारी रितिक का कहना है कि इस बार अभी ज्यादा गुच्छी रामपुर बाजार में नहीं आ रही है. इसके क्या रेट है यह भी जानकारी नहीं मिली है. पिछले साल की गुच्छी को इस साल में हम 8 हजार रूपये प्रति किलो के हिसाब से बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर गुच्छी बाहरी राज्य के व्यापारियों को भेजते हैं, जहां से यह गुच्छी विदेशों में जाती है.

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Last Updated : May 7, 2020, 12:11 PM IST
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