शिमला: हिमाचल में मंत्रीमंडल विस्तार के बाद पार्टी में घमासान मचा है. मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने से दो दिग्गज राजेंद्र राणा और पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा नाराज चल रहे हैं. ऐसे में नेताओं की नाराजगी लोकसभा चुनाव पर भारी न पड़ जाए. इसको देखते हुए हाईकमान ने सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू, संगठन की मुखिया प्रतिभा सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री समेत सभी कैबिनेट मंत्रियों और दी विधायकों सुधीर शर्मा व राजेंद्र राणा को दिल्ली तलब किया है.
हिमाचल में हाल ही में हुए मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद कांग्रेस में अंदरखाते कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मंत्रिमंडल की रेस में शामिल दो विधायकों सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा को कैबिनेट में स्थान न मिलने से पार्टी में घमासान मचा है. देश में चार महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं में चल रही आपसी खींचतान पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है.
ऐसे में कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश सरकार के मुखिया सुखविंदर सिंह सुक्खू, संगठन की मुखिया प्रतिभा सिंह समेत डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, समेत सभी कैबिनेट मंत्रियों को 27 दिसंबर को दिल्ली तलब किया है. इसके अतिरिक्त मंत्री पद न मिलने से नाराज चल रहे सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजेंद्र राणा और धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक सुधीर शर्मा को भी दिल्ली से बुलावा आया है. ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के हलचल मच गई है.
सर्दी में पहाड़ों में चढ़ा सियासी पारा: प्रदेश में भले ही इन दिनों कई स्थानों में तापमान माइनस में चल रहा हो, लेकिन कांग्रेस में मजे बवाल से पहाड़ों में सियासी पारा चढ़ गया है. दिल्ली से बुलावा आने के बाद लोगों में राजनीतिक को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हैं. सभी लोगों सरकार और संगठन को लेकर कयास लगा रहे हैं. खास बात ये है कि सुक्खू सरकार ने एक साल का कार्यकाल पूरा होने के अगले दिन ही कैबिनेट का विस्तार किया था. जिसमें घुमारवीं से राजेश धर्माणी व जयसिंहपुर से यादवेंद्र गोमा को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया. हालांकि अभी तक दोनों ही मंत्रियों को विभाग नहीं दिए गए हैं. इस बीच दिल्ली से हाई कमान का बुलावा आने से दोनों मंत्रियों को विभागों के अभी इंतजार करना पड़ सकता है.
मंत्री पद एक, दो दिग्गज रेस में: कांग्रेस में मचे घमासान को शांत करना हाईकमान के लिए भी मुश्किल हो सकता है. प्रदेश में 12 दिसंबर को हुए मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद अब केवल एक ही पद खाली रह गया है. वहीं मंत्री पद की रेस में दो दिग्गज सुधीर शर्मा और राजेंद्र राणा शामिल है. धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा स्वर्गीय वीरभद्र सिंह से करीबी रहे हैं. वे साल 2012 में वीरभद्र सिंह सरकार में भी मंत्री रहे हैं. वही सुजानपुर के विधायक को भी स्वर्गीय वीरभद्र सिंह का समर्थक रहे हैं. राजेंद्र राणा ने साल 2017 में अपने पहले ही चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को पटकनी दी. भाजपा ने साल 2017 में धूमल को मुख्यमंत्री के चेहरा घोषित किया था, लेकिन इसके बाद भी राजेंद्र राणा चुनाव जीतकर सुर्खियों में आए थे. अब दूसरी बार राजेंद्र राणा चुनाव जीतकर विधायक बने है. ऐसे में राणा को मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी की मुश्किल है कि सरकार में मंत्री का एक ही पद रिक्त है.
गारंटियों को लेकर भाजपा के निशाने पर भी रही सरकार: धर्मशाला में समाप्त हुए विधानसभा शीतकालीन सत्र में भी सरकार गारंटियों को लेकर भाजपा के निशाने पर रही. भाजपा विधायकों ने सदन के बाहर गोबर के टोकरे और दूध बेचकर और सेब की बोली लगाकर सरकार को खूब घेरा. बेरोजगारी और आउट सोर्स कर्मचारियों को लेकर भी भाजपा उग्र नजर आई. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हाई कमान बीजेपी के तेवरों को गंभीरता से लिया है. ऐसे में हाईकमान बाकी बची गारंटियों को पूरा करने के लिए दिशा निर्देश जारी कर सकती है, ताकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को सरकार के खिलाफ आक्रमक होने का मौका न मिल सके. इसके अलावा सरकार और संगठन के आपसी तालमेल बिठाने का भी हाई कमान पाठ पढ़ा सकती है. वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कहना है कि लंबे समय से प्रदेश कांग्रेस की मीटिंग प्रस्तावित थी. जो अब 27 दिसंबर को बुलाई गई है.
ये भी पढ़ें- 23 साल की नेहा शान से सड़कों पर दौड़ाती है ट्रक, संभाल रखा है पिता का कारोबार