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जल्द शुरू होगा खैर का कटान, हर साल काटे जाएंगे 16,500 पेड़: सीएम सुक्खू

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Published : May 26, 2023, 6:52 PM IST

Updated : May 27, 2023, 6:42 AM IST

हिमाचल प्रदेश के 10 वन प्रमंडलों में सरकारी जमीन पर खैर का पेड़ काटने की सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मामले की पुरजोर पैरवी की थी, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के वन विभाग के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया.

CM Sukhwinder said Khair cutting will start soon
सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बाद जल्द शुरू होगा खैर का कटान

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद प्रदेश में जल्द खैर कटान शुरू होगा. मुख्यमंत्री ने कहा ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों के कटान के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है और इन वन मंडलों में हर साल 16,500 पेड़ों का कटान निर्धारित किया जा सकेगा. उन्होंने कहा यहां खैर का कटान शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा.

अदालत ने वन विभाग के पक्ष में सुनाया निर्णय: मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि कोर्ट ने प्रदेश के 10 वन मंडलों की सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है. प्रदेश सरकार ने इस मामले की पुरजोर वकालत की थी, जिसके चलते शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को खैर के पेड़ के दस वर्ष में कटान के कार्यक्रम से छूट देना चाहती है. ताकि वे अपनी सुविधानुसार कटान कर सकें. इससे उनकी आर्थिकी को बल मिलेगा. उन्होंने कहा हिमाचल के निचले क्षेत्रों में खैर के पेड़ों को व्यावसायिक रूप से उत्पादित करने से राज्य के राजस्व में और किसानों की आय में वृद्धि होगी.

पांच मंडलों के लिए जल्द तैयार होगा कार्य योजना: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के नाहन, पांवटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा वन मंडलों के लिए शीघ्र ही कार्य योजना तैयार की जाएगी. इसके लिए अधिकारी वनों के निरीक्षण शुरू करेंगे और इन वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए खैर के पेड़ों की गणना की जाएगी. खैर के पेड़ का उपयोग इसके औषधीय गुणों के कारण बहुतायत किया जाता है. इस पेड़ की छाल, पत्ते, जड़ और बीज में औषधीय गुण पाए जाते हैं. जलन को कम करने के लिए इसकी छाल का उपयोग किया जाता है. इस पेड़ को कत्थे का पेड़ भी कहा जाता है. कत्था पाचन में सहायक होता है. खैर से निकलने वाले गोंद का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है. जंगली पौधा होने के कारण यह आसानी से उगाया जा सकता है. यह पौधा गर्म इलाकों में अच्छे से फलता-फूलता है और इसे अधिक देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है.

मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश सरकार किसानों को ध्यान में रखकर निर्णय ले रही है. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में खैर के पेड़ के कटान के परिणामों को जानने के लिए प्रायोगिक आधार पर पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी. वैज्ञानिक और नियोजित तरीके से खैर का कटान वनों के बेहतर प्रबंधन में सहायक होता है. इससे पुराने पेड़ों के स्थान पर नए व स्वस्थ खैर के पौधे उगते हैं. खैर के वृक्षों का समय पर कटान न होने से अधिकांश पेड़ सड़ जाते हैं, जिससे बेहतर वन प्रबंधन नहीं हो पाता. ऐसे में इस निर्णय से किसानों को फायदा होने के साथ-साथ वनों के प्रबंधन में भी सहायता मिलेगी.

ये भी पढे़ं: अब तो कोर्ट ने भी बोल दिया, CM साहब मिड डे मील वर्कर्स को पूरे 12 महीने का वेतन दो: CITU

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद प्रदेश में जल्द खैर कटान शुरू होगा. मुख्यमंत्री ने कहा ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों के कटान के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है और इन वन मंडलों में हर साल 16,500 पेड़ों का कटान निर्धारित किया जा सकेगा. उन्होंने कहा यहां खैर का कटान शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा.

अदालत ने वन विभाग के पक्ष में सुनाया निर्णय: मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि कोर्ट ने प्रदेश के 10 वन मंडलों की सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है. प्रदेश सरकार ने इस मामले की पुरजोर वकालत की थी, जिसके चलते शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को खैर के पेड़ के दस वर्ष में कटान के कार्यक्रम से छूट देना चाहती है. ताकि वे अपनी सुविधानुसार कटान कर सकें. इससे उनकी आर्थिकी को बल मिलेगा. उन्होंने कहा हिमाचल के निचले क्षेत्रों में खैर के पेड़ों को व्यावसायिक रूप से उत्पादित करने से राज्य के राजस्व में और किसानों की आय में वृद्धि होगी.

पांच मंडलों के लिए जल्द तैयार होगा कार्य योजना: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के नाहन, पांवटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा वन मंडलों के लिए शीघ्र ही कार्य योजना तैयार की जाएगी. इसके लिए अधिकारी वनों के निरीक्षण शुरू करेंगे और इन वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए खैर के पेड़ों की गणना की जाएगी. खैर के पेड़ का उपयोग इसके औषधीय गुणों के कारण बहुतायत किया जाता है. इस पेड़ की छाल, पत्ते, जड़ और बीज में औषधीय गुण पाए जाते हैं. जलन को कम करने के लिए इसकी छाल का उपयोग किया जाता है. इस पेड़ को कत्थे का पेड़ भी कहा जाता है. कत्था पाचन में सहायक होता है. खैर से निकलने वाले गोंद का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है. जंगली पौधा होने के कारण यह आसानी से उगाया जा सकता है. यह पौधा गर्म इलाकों में अच्छे से फलता-फूलता है और इसे अधिक देखभाल की जरूरत भी नहीं होती है.

मुख्यमंत्री ने कहा प्रदेश सरकार किसानों को ध्यान में रखकर निर्णय ले रही है. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में खैर के पेड़ के कटान के परिणामों को जानने के लिए प्रायोगिक आधार पर पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी. वैज्ञानिक और नियोजित तरीके से खैर का कटान वनों के बेहतर प्रबंधन में सहायक होता है. इससे पुराने पेड़ों के स्थान पर नए व स्वस्थ खैर के पौधे उगते हैं. खैर के वृक्षों का समय पर कटान न होने से अधिकांश पेड़ सड़ जाते हैं, जिससे बेहतर वन प्रबंधन नहीं हो पाता. ऐसे में इस निर्णय से किसानों को फायदा होने के साथ-साथ वनों के प्रबंधन में भी सहायता मिलेगी.

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Last Updated : May 27, 2023, 6:42 AM IST
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