शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल लैंड टेनेंसी एंड लैंड रिफॉर्म एक्ट 1972 की धारा 118 से संबंधित आवेदन की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से ही पूरा करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक सचिवों के साथ आयोजित ‘मंडे मीटिंग’ की अध्यक्षता करते हुए यह आदेश दिए. जानकारी के अनुसार, इस बैठक में प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही विभिन्न विकासात्मक योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई. वहीं, बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि धारा 118 से संबंधित आवेदन की सारी प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से ही पूरा करने से इससे कार्य समयबद्ध होंगे और इनमें दक्षता भी सुनिश्चित होगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार लोगों को पारदर्शी एवं संवेदनशील प्रशासन प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है. व्यवस्था परिवर्तन के ध्येय के साथ सरकार हर क्षेत्र में सार्थक और सकारात्मक कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में नये पाठ्यक्रम आरंभ किये जाएंगे. उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में शुरू होने वाले नये पाठ्यक्रम रोजगारपरक और नवीन प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे. इनमें आईए (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) भी शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को गुणात्मक एवं व्यवहार्य बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. इससे युवाओं में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़ेगी, साथ ही रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
'इलेक्ट्रिक वाहनों से बदले जाएंगे 1500 बसों के बेड़े': मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल पथ परिवहन निगम के 1500 बसों के बेड़े को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों से बदला जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने प्रदेश में यूवी फिल्ट्रेशन यूनिट स्थापित करने के लिए स्थल चयनित करने के निर्देश भी दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल उपचार के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया जाएगा.
'30 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में इंतकाल अदालत': मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में म्यूटेशन (इंतकाल) अदालत आयोजित की जाएगी. इसके तहत सभी तहसील और उप-तहसील और बंदोबस्त सर्कल स्तर पर केवल लंबित म्यूटेशन सत्यापन के मामलों पर निपटरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 22000 से अधिक ऐसे मामले लंबित पड़े हैं. म्यूटेशन अदालत से आम आदमी को सुविधा के साथ ही उन्हें मूटेशन के लिए बार-बार सरकारी कार्यालयों में जाने से भी राहत मिलेगी. उन्होंने कहा कि म्यूटेशन की प्रक्रिया समयबद्ध पूरी न होने के कारण लोगों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इससे विकास कार्यों की प्रगति भी प्रभावित होती है.
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