शिमला: मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से हिमाचल में फ्री हो चुकी बिजली परियोजनाओं में हिमाचल को मिलने वाली बिजली का हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है जो कि फ्री हो चुकी है. हिमाचल दौरे पर आए केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह के सामने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे को उठाया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने इन परियोजनाओं को एक निर्धारित समय में हिमाचल को वापस दिलाने की भी मांग रखी है.
कई परियोजनाएं हो चुकी हैं ऋण मुक्त: दरअसल,मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के हाल ही में किन्नौर जिला के दौरे के दौरान प्रदेश हित में ऊर्जा क्षेत्र से संबधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और उनसे सहयोग करने का आग्रह किया. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को बताया कि केंद्रीय संयुक्त उपक्रम सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) व भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के अधीन बनाई गई कई परियोजनाएं ऋण मुक्त हो चुकी हैं, जिनमें नाथपा झाकड़ी, रामपुर, भाखड़ा बांध, ब्यास सतलुज लिंक व पौंग बांध परियोजनाएं शामिल हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में एसजेवीएनएल द्वारा संचालित नाथपा झाकड़ी परियोजना (1500 मैगावाट) व रामपुर परियोजना (412 मेगावाट) से प्रदेश को केवल 12 प्रतिशत की दर पर मुफ्त बिजली मिल रही है जबकि एसजेवीएनएल को इन ऋण मुक्त हो चुकी परियोजनाओं से लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में अनुबंध अवधि सीमा भी निर्धारित नहीं की गई है, यह प्रदेश हित में होगा कि इन परियोजनाओं में अन्य परियोजनाओं की तर्ज पर 40 वर्ष की समय अवधि निर्धारित करने के साथ-साथ मुफ्त बिजली की दरों में बढ़ोतरी की जाए.
एसजेवीएनएल द्वारा नहीं किया जा रहा एमओयू: मुख्यमंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष एसजेवीएनएल द्वारा इसके काम के लिए एमओयू किए बिना ही लुहरी चरण-1 (210 मेगावाट), धौलासिद्ध (66 मेगावाट) व सुन्नी बांध (382 मेगावाट) का निर्माण कार्य शुरू करने का मामला भी उठाया. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बाद भी एसजेवीएनएल द्वारा एमओयू नहीं किया जा रहा है और ऊर्जा नीति में प्रावधानों को मानने में भी आनाकानी की जा रही है. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है.
बीबीएमबी की परियोजनाओं में हिमाचल को नहीं मिल रही रॉयल्टी: इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बीबीएमबी द्वारा संचालित भाखड़ा बांध परियोजना (1478 मैगावाट), ब्यास सतलुज लिंक (990 मैगावाट) व पौंग बांध परियोजना (396 मैगावाट) में किसी प्रकार की मुफ्त बिजली की रॉयल्टी नहीं दी जा रही है. इसके कारण प्रदेश सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व से वंचित होना पड़ रहा है. हालांकि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पारित ऊर्जा नीतियों में सभी परियोजनाओं से प्रदेश सरकार को मुफ्त बिजली रॉयल्टी के रूप में देने का प्रावधान किया गया है. जबकि बीबीएमबी द्वारा इन परियोजनाओं से प्रदेश सरकार को हिस्सेदारी के रूप में केवल मात्र 7.19 प्रतिशत बिजली निर्धारित दरों पर प्रदान की जा रही है, जो पर्याप्त नही है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने दिया आश्वासन: इन परियोजनाओं में उपयोग की गई भूमि व जल संपदा का पूरा स्वामित्व हिमाचल प्रदेश का है और इसके लिए कई परिवारों को विस्थापित होना पड़ा. अतः इन परियोजनाओं में भी अन्य परियोजनाओं की तरह मुफ्त बिजली रॉयल्टी के रूप में दी जानी चाहिए. वही केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार कर उचित फैसला लेने का आश्वासन दिया.
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